काशी हिंदू विश्वविद्यालय की टीम ने तैयार की उन्नत हरित हाइड्रोजन उत्पादन प्रणाली

नई दिल्ली। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के वैज्ञानिकों की ग्रीन केपलरेट टीम द्वारा विकसित क्वांटम-प्रौद्योगिकी वाली हरित हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकी का बुधवार को विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में उद्घाटन किया गया। विज्ञान एवं प्राद्योगिकी मंत्रालय द्वारा यहां जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार यह एक नयी उच्च प्रवाह क्षमता क्वांटम समर्थित हरित हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकी है जो हरित हाइड्रोजन उत्पादन को बड़ी मात्रा में बढ़ावा दे सकती है। ग्रीन केपलरेट टीम ने भंडारण मुक्त प्रत्यक्ष हाइड्रोजन अंतर-दहन इंजन प्रौद्योगिकियों विकसित करने की भी परिकल्पना की है।

इसका औपचारिक उद्घाटन जलवायु परिवर्तन और स्वच्छ ऊर्जा प्रभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की प्रमुख डॉ अनीता गुप्ता और वैज्ञानिक एवं जलवायु परिवर्तन एवं स्‍वच्‍छ ऊर्जा प्रभाग के निदेशक डॉ. रंजीत कृष्ण पई एवं आईआईटी दिल्ली की विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर आरआर सोंडे ने किया गया। इस अवसर पर देश भर से इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ उपस्थित थे।

विज्ञप्ति में कहा गया है, डॉ. सोमनाथ गराई और प्रोफेसर एस. श्रीकृष्णा की टीम द्वारा विकसित इस प्रौद्योगिकी ने पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा विकल्पों के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग का प्रदर्शन किया है। इस टीम ने अगली पीढ़ी के क्वांटम-संचालित फोटो-उत्प्रेरक को उच्च प्रोटॉन उपलब्धता और गतिशीलता वाले चार्ज ट्रांसफर सिस्टम के साथ प्रस्‍तुत किया है और ऊर्जा उत्पादन के लिए क्वांटम उत्प्रेरक अनुप्रयोग भी प्रदान किए हैं। इस प्रौद्योगिकी के पेटेंट का आवेदन हाइड्रोजन और फ्यूल सेल प्रोग्राम, स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान पहल के तहत ‘बुस्टिंग द एच2 इकोनॉमी बाई हार्नेसिंग मैरिट ऑफ क्वांटम एनकैप्सुलेशन कैमिस्‍ट्री : आगमेंटिड काइनेटिक्‍स फॉर वॉटर स्पिलेटिंग रिएक्‍शन अंडर कन्‍फाइनमेंट’परियोजना के नाम से किया गया है।

इस प्रणामी में अत्याधुनिक डिजाइन वाले फोटो रसायन-रिएक्टर तथा सौर ऊर्जा को अधिकतम करने के लिए अंतर्निहित इलुमिनेशन असेंबली और बाहरी अवतल परावर्तक पैनल लगाए गए हैं। इस टीम ने एक सतत इलेक्ट्रॉन युक्त प्रोटॉन आपूर्ति प्रणाली का निर्माण किया है, जो औद्योगिक धातु-अपशिष्ट का उपयोग करके एक इलेक्ट्रॉन इंजेक्टर तंत्र से प्रेरित है, जिसके द्वारा कठिन अनुकूलन के बाद, प्रयोगशाला पैमाने पर ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की अधिकतम दर लगभग एक लीटर व मिनट प्रति 10 ग्राम फोटो-फोटोअभिकर्मक तक पायी गयी है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस प्रौद्योगिकी से प्राप्त हाइड्रोजन गैस की उच्च शुद्धता के कारण इसको और शुद्ध किए बिना ही ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकता है। यह परिवहन एवं कृषि तथा अन्य कार्यों में उपयोगी होगी। (वार्ता)

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