जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
एकादशी के अलावा द्वादशी के श्राद्ध को भी संन्यासियों का श्राद्ध कहा जाता है। द्वादशी तिथि के देवता भी विष्णु ही है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की 12वीं तिथि के दिन यह श्राद्ध रखा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 11 अक्टूबर 2023 बुधवार को यह श्राद्ध रखा जाएगा। द्वादशी श्राद्ध किन पितरों के लिए किया जाता है, जानिए खास बातें।
- जिनके पिता संन्यासी हो गए हो उनका श्राद्ध द्वादशी तिथि को किया जाना चाहिए।
- जिनके पिता का देहांत इस तिथि को हुआ है उनका श्राद्ध भी इसी तिथि को करते हैं।
- इस तिथि को ‘संन्यासी श्राद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है।
- द्वादशी श्राद्ध करने से राष्ट्र का कल्याण तथा प्रचुर अन्न की प्राप्ति कही गयी है।
- एकादशी और द्वादशी को वैष्णव संन्यासियों का श्राद्ध करते हैं।
- इस दिन पितरगणों के अलावा साधुओं और देवताओं का भी आह्वान किया जाता है।
- इस दिन संन्यासियों को भोजन कराया जाता है या भंडारा रखा जाता है।
- इस तिथि में सात ब्राह्मणों को भोजन कराने का विधान है। यदि यह संभव न हो तो जमाई या भांजे को भोजन कराएं।
- इस श्राद्ध में तर्पण और पिंडदान के बाद पंचबलि कर्म भी करना चाहिए।
पितृपक्ष में तर्पण का महत्व
पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। ऐसा पितरों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किए जाते हैं। मान्यता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध या पितरों को तर्पण विधि विधान से देने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृदोष समाप्त हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार जो परिजन अपना शरीर त्याग कर चले जाते हैं उनकी आत्मा की शांति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ तर्पण किया जाता है, इसे ही श्राद्ध कहा जाता है। पुराणों के अनुसार पितृपक्ष में मृत्यु के देवता यमराज सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं, ताकि वो अपने स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका तर्पण किया जाता है, इससे प्रसन्न होकर पितर अपने घर को सुख -समृद्धि और शांति का आर्शीवाद प्रदान करते हैं।
पितृपक्ष में करें ये काम
पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर ही करना चाहिए। इस दिन घर की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए। पितृ पक्ष में गाय, कुत्ते और कौए को भोजन अवश्य कराना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से पितरों को हमारे द्वारा दिया गया भोजन प्राप्त होता है। पितृ पक्ष में जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसका मनपसंद खाना जरूर बनाना चाहिए। पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराना चाहिए और उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए।