नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने मानहानि के एक मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दलीलें सुनीं और बाद में शिकायतकर्ता की ओर से दलीलें सुनने के लिए मामले की सुनवाई 20 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी। शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत और प्रतिवादी अशोक गहलोत अपने वकीलों के साथ नई दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। गहलोत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने कहा कि आरोपी के बयानों से कोई मानहानि नहीं हुई है, क्योंकि उन्होंने कहा वह शुद्ध सत्य है। उन्होंने तर्क दिया कि शेखावत से एक FIR के संबंध में पूछताछ की गई है और इसके परिणामस्वरूप, उन्होंने अपना लिखित उत्तर प्रस्तुत किया है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि शिकायतकर्ता तथ्यों को छिपाने का दोषी था साफ हाथों से अदालत में नहीं आये हैं।
अधिवक्ता गुप्ता ने तर्क दिया कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर्याप्त रूप से दर्शाती है कि शिकायतकर्ता वास्तव में उपरोक्त FIR में आरोपी है, जिसकी जांच एसओजी द्वारा की जा रही है। उन्होंने कहा कि FIR अपने आप में संपूर्ण अपराध का विश्वकोश नहीं हो सकती है और केवल इसलिए कि शिकायतकर्ता का नाम उपरोक्त FIR में उल्लेखित नहीं है, यह नहीं कहा जा सकता है। कि वह या उसके परिवार के सदस्य उसमें आरोपी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि गहलोत द्वारा दिए गए बयान सच्चे हैं और जनता की भलाई के लिए दिए गए हैं। इस प्रकार, योग्यता के आधार पर IPC की धारा 500 के तहत अपराध नहीं बनता है और इसलिए, अदालत के पास आगे बढ़ने या नोटिस जारी करने का कोई अवसर नहीं है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (ACMM) हरजीत सिंह जसपाल ने दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया कि मामले को आगे की बहस के लिए 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राउज एवेन्यू, नई दिल्ली की जिला अदालत में गहलोत के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि गहलोत ने उन्हें बदनाम किया है और उन पर 900 करोड़ रुपये के संजीवनी क्रेडिट सोसायटी घोटाले में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया है। उन्होंने दलील दी कि जब राजस्थान सरकार ने मामले की जांच की तो उनका नाम कहीं भी सामने नहीं आया। शेखावत का आरोप है कि आरोपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस, मीडिया रिपोर्ट व सोशल मीडिया पोस्ट आदि के माध्यम से सार्वजनिक रूप से कहा है कि संजीवनी घोटाले में न केवल शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्य आरोपी हैं, बल्कि उनके खिलाफ भी आरोप हैं। उक्त घोटाले में शिकायतकर्ता का मामला सिद्ध हो गया है।
उनके वकील ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने अलग-अलग मौकों पर मीडिया को संबोधित किया है और झूठे बयानों के माध्यम से शिकायतकर्ता को दुर्भावनापूर्ण रूप से बदनाम करने के लिए अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो और पोस्ट भी अपलोड किए हैं, विशेष रूप से यह बताते हुए कि संजीवनी घोटाले में शिकायतकर्ता के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। यह साबित हो गया है और शिकायतकर्ता के खिलाफ गरीब और निर्दोष निवेशकों के पैसे के दुरुपयोग व गबन का अपराध साबित हो गया है। शेखावत ने अदालत से अनुरोध किया कि गहलोत पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधानों के तहत परिभाषित आपराधिक मानहानि का मुकदमा चलाया जाए और अपनी प्रतिष्ठा के नुकसान के लिए उचित वित्तीय मुआवजे की मांग की। भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 और 500 के तहत समन मिलने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत कोर्ट में पेश हुए हैं।(वार्ता)