नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नारवेकर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अन्य शिवसेना विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने के लिए “यथार्थवादी” समय-सीमा तय करने का मंगलवार को अंतिम अवसर देते हुए कहा कि वह इस मामले में अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को करेगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने फैसला करने में देरी पर एक बार फिर नाराजगी व्यक्त की। पीठ ने कहा कि कुल मिलाकर देखा जाए तो अयोग्यता याचिकाओं का एक सेट जून 2022 से लंबित है। पीठ ने कहा कि दसवीं अनुसूची (दलबदल विरोधी कानून) के मूल उद्देश्य को विफल नहीं किया जा सकता है।
इससे पहले, विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पेश मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि जहां तक अयोग्यता याचिका पर निर्णय लेने का सवाल है तो उन्हें एक यथार्थवादी समय सीमा तय करने के लिए कुछ और समय दिया जाना चाहिए। अदालत ने मेहता की याचिका को स्वीकार कर लिया कि वह दशहरा अवकाश के दौरान इस मामले में व्यक्तिगत रूप से पीठासीन अधिकारी के साथ बातचीत करेंगे। शीर्ष अदालत ने शिवसेना के महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुट और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता जयंत पाटिल द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तारीख मुकर्रर कर दी।
मुख्य न्यायाधीश अध्यक्षता वाली इस पीठ ने 13 अक्टूबर को भी विधानसभा अध्यक्ष द्वारा फैसला करने में देरी पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा था कि ‘अयोग्यता की कार्यवाही को दिखावे तक सीमित नहीं किया जा सकता। तब पीठ ने 17 अक्टूबर तक एक समय- सारणी बताने को कहा था। शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने 11 मई 2023 को अध्यक्ष को उचित अवधि के भीतर मामले का फैसला करने का निर्देश दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समूह की नई याचिका में यह भी कहा गया है कि अध्यक्ष ने 23 जून 2022 से लंबित अयोग्यता याचिकाओं के संबंध में कोई बैठक नहीं बुलाई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 11 मई 2023 के आदेश के बाद उन्हें तीन अभ्यावेदन भेजे गए थे, जिसमें उन्हें उचित अवधि के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया गया था। (वार्ता)