

मरते मरते रावण ने दुनिया को
बताया वह राम से क्यों हारा,
लंकापति रावण त्रैलोक्य विजयी
परम शिवभक्त पर श्रीराम से हारा।
दसानन दसों दिगपालों का नियंत्रक,
रावण महाविद्वान सर्वशक्तिमान था,
अति शक्तिशाली कुंभकरण, विद्वान
विभीषण भगवद्भक्त जैसा भाई था।
त्रिसिरा, मेघनाद, अक्षय कुमार जैसे
बलशाली सात पुत्रों का पिता रावण
खर दूषन, कुबेर जैसे सगे सम्बन्धी,
विश्रवा पुत्र, ऋषि पुलस्ति पौत्र था।
सोने की लंका कुबेर से छीन कर,
शिव को समर्पित किये काट काट
स्वयं दसों सिर सहस्त्र बार, खड़े,
सुर दिसिप भयभीत रावण दरबार।
ऐसा महा ज्ञानी, बलशाली,
ऐश्वर्यवान रावण क्यों हारा
और बिन मौत मारा भी गया
युद्ध में वनवासी श्री राम से।
लंकेश को अहंकार था अपने ऐश्वर्य
बलशक्ति, शिवभक्ति ज्ञानभंडार का
अहंकार में मदमस्त रावण, भ्रात द्रोह
ग्रसित, उस पर ईशद्रोह का पाप था।
श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम स्वयं
श्रीहरिविष्णु के अवतार थे,
सत्य तथा धर्म भी इस राम रावण
युद्ध में हर समय श्रीराम के साथ थे।
और मरते समय स्वयं रावण
ने यह कहा था श्री राम से,
आप विजयी हैं समर में, और मैं
मारा गया हूँ आपके ही वाण से।
आपका अनुज लक्ष्मण इस
युद्ध में आपके ही साथ है,
विभीषण मेरा अनुज है और
वह भी आपके ही साथ है।
मेरा अनुज और अनुज आपका
यदि दोनो होते हमारे साथ में,
विजय श्री होती हमारी, नही अप
घात होता तब हमारे साथ में।
एकता की शिक्षा सारे जगत को,
आदित्य अपना भाई अपने साथ हो,
इसलिए सम्मान दो निज भ्रात को।