देश के 400 जिलों से सनातन के 127 संप्रदायों के संतों का होगा जमावड़ा
वाराणसी। अखिल भारतीय सन्त समिति के राष्ट्रीय महामन्त्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि सनातन धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है। सनातन उन्मूलन की चुनौती देने वालों को यह संसद समुचित उत्तर देगी। देश के 400 जिलों से 127 सम्प्रदायों के साधु-सन्तों का चार दिनों के लिए काशी में जुटान होगा। गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामन्त्री (संगठन) गोविन्द शर्मा ने कहा कि दो नवम्बर को तीन संकल्पों के साथ 250 महामण्डलेश्वरों के द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ का रुद्राभिषेक किया जाएगा। अयोध्या में बलिदान हुए ज्ञात-अज्ञात सभी लोगों की आत्मा की को मोक्ष प्राप्त हो, राष्ट्र की एकता और अखण्डता अक्षुण्ण रहे और सनातन सापेक्ष सरकार की अगले आम चुनावों में वापसी हो, रुद्राभिषेक में ये तीन संकल्प लिए जायेंगे। काशी के मार्गदर्शन का अनुकरण हर सनातनधर्मी करता है। संस्कृति संसद के द्वारा काशी से पूरे विश्व को सनातन रक्षा का सन्देश दिया जायेगा।
काशी में पद्म पुरस्कारों से सम्मानित 14 विद्वानों और काशी में विशिष्ट पहचान रखने वाले लोगों को आयोजन समिति का संरक्षक बनाया गया है। काशी के सभी समाजों और सामाजिक संगठनों को कार्यक्रम से जोड़ा जा रहा है। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए किसी तरह के पंजीकरण की आवश्यकता नहीं है। सभी राष्ट्रभक्त सादर आमन्त्रित हैं। काशी विद्वत परिषद् के संगठन मन्त्री प्रो विनय पाण्डेय ने कहा कि भारत के विश्व गुरु होने का कारण यहाँ की संस्कृति ही रही है। प्रकृति सनातन में सर्वोपरि है। हमारे यहाँ सनातन मूलक विकास की अवधारणा है। विश्वपटल पर सनातन के सन्देश को पहुँचाने के लिए संस्कृति संसद एक बेहतर मन्च सिद्ध होगा। काशी के सांस्कृतिक राजधानी होने के कारण पूरे विश्व को एक अच्छा सन्देश जायेगा।
युवाओं को संस्कृति से जोड़ने के लिए युवा चेहरे के रूप में आयोजन समिति के सचिव सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि आजकल के युवाओं को विभिन्न प्रकार से भ्रमित किया जा रहा है। युवाओं को संस्कृति संसद के माध्यम से धर्म की सही जानकारी और मार्गदर्शन प्राप्त होगा। इसलिए अधिक से अधिक युवाओं को जोड़ने का पूरा प्रयास किया जाएगा। दो से पांच नवम्बर तक अखिल भारतीय सन्त समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद् के मार्गदर्शन में गंगा महासभा के द्वारा संस्कृति संसद का आयोजन किया जा रहा है।
संस्कृति संसद के पहले दिन दो नवम्बर को महारुद्राभिषेक, तीन नवम्बर को धर्मविमर्श, चार नवम्बर को मातृविमर्श और पांच नवम्बर को युवाविमर्श का आयोजन होगा। धर्मविमर्श में सनातन हिन्दू धर्म से जुड़े प्रश्नों और वर्तमान में मिल रही चुनौतियों पर विचार किया जाएगा। मातृविमर्श में सनातन हिन्दू धर्म में मातृकेन्द्रित व्यस्थाओं और विभिन्न वैश्विक सम्प्रदायों और मज़हबों में नारी की स्थिति और स्त्री स्वतन्त्रता पर विचार किया जाएगा। चौथे और अन्तिम दिन युवा विमर्श में युवाओं से जुड़े विषयों पर बात होगी।