नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने फाइबरनेट कथित घोटाला मामले में आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई नौ नवंबर तक के लिए टाल दी। न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने शुक्रवार को नायडू की गिरफ्तारी पर भी तब (नौ नवंबर) तक रोक लगा दी। नायडू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा की अंतरिम राहत की गुहार पर शीर्ष अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि गिरफ्तारी के खिलाफ आंध्र प्रदेश सरकार के मौखिक आश्वासन को तब तक (नौ नवंबर) जारी रहने दें।
पीठ ने सुनवाई के दौरान लूथरा से पूछा,कि क्या उसे (नायडू की एक अन्य याचिका पर) फैसला आने तक इंतजार करना चाहिए? आंध्र प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ वकील ने लूथरा की दलीलों पर आपत्ति करते हुए कहा कि एक बार जब कोई व्यक्ति हिरासत में आ जाता है। तो हमेशा गिरफ्तारी का सवाल नहीं उठता। पीठ ने नायडू को गिरफ्तार करने की आवश्यकता पर सवाल उठाते हुए राज्य के वकील से कहा कि नायडू पहले से ही हिरासत में हैं और वे उनसे पूछताछ कर सकते हैं।
नायडू फाइबरनेट कथित घोटाला मामले में हिरासत में हैं। उन्होंने फाइबरनेट कथित घोटाला मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार करने वाले आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर की है। नायडू ने कौशल विकास केंद्र कथित घोटाला मामले में प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करने वाले आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को भी चुनौती दी है। (वार्ता)