जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
सरस्वती पूजा साल में दो बार यानी बसंत पंचमी और नवरात्रि पर की जाती है। देवी सरस्वती को ज्ञान, बुद्धि और विद्या की देवी के रूप में मान्यता प्राप्त है। हर राज्य देवी की पूजा पूरी श्रद्धा से करता है। केरल में इस पूजा को विद्यारंभम के नाम से जाना जाता है।
- सरस्वती पूजा को सरस्वती प्रधान पूजन के नाम से भी जाना जाता है। सरस्वती पूजन के दिन सभी लोग माँ का पूजन कर उनका आशीर्वाद पाते है।
- दुर्गा पूजा के दूसरे दिन मनाये जाने वाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण व् खूबसूरत पर्व है जो की विजयदशमी जैसे पावन अवसर पर मनाया जाता है।
- सरस्वती पूजन नवरात्री में से एक दिन मनाये जाने वाला शुभ दिन है और यह शीत ऋतू के आने का भी संकेत देती है।
- पूरे भारत में यह पर्व श्रद्धालुओं के बीच बहुत ही उत्साह व् उमंग के साथ मनाया जाता है।
- भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार माँ सरस्वती जल की देवी मानी जाती हैं अथवा इन्हे पवित्रता व् सम्पन्नता के लिए पूजा जाता है। माँ सरस्वती ने ही संस्कृत भाषा को बनाया था, जो की हमारे शास्त्रों, विद्वानों व् ब्राह्मणो द्वारा इस्तेमाल की जाती है।
सरस्वती पूजन विधि
- सूर्य उदय के पूर्व उठ नहाने के जल में गंगाजल मिला कर स्नान करें।
- सबसे पहले सूर्य को सदा जल अर्पित करें।
- सरस्वती आवाहन के दिन स्थापित की गई माँ की मूर्ति को प्रणाम करें।
- माँ के चरण धोये व् उनका श्रृंगार भी करें।
- माँ के आगे घी का दीपक लगाएं व् धूप अगरबत्ती भी लगाएं।
- माँ को सफ़ेद व् पीले फुओं की माला अर्पित करें।
- माँ को सफ़ेद मिष्ठानो का भोग भी लगाएं।
- माँ की स्तुति से अपनी पूजा की शुरुआत करें।
- आखिर में माँ की आरती अवश्य करें।
देवी सरस्वती का महत्व
सरस्वती माँ को ज्ञान, बुद्धि, कला, संगीत और विद्या की देवी के रूप में जाना जाता है। वह शक्ति के प्रेरणादायक और रचनात्मक पहलुओं को प्रदर्शित करती है। जब भगवान ब्रह्मा विश्व का निर्माण कर रहे थे, तो यह अराजकता से भरा था और इसमें रचनात्मकता, शांति और समृद्धि का अभाव था। तब उन्हें एहसास हुआ कि यह दुनिया ज्ञान के माध्यम से एक बेहतर जगह बन सकती है। इस अनुभूति के बाद देवी सरस्वती ब्रह्मा जी के मुख से हंस पर सवार होकर प्रकट हुईं। उन्हें वेदों और वीणा को पकड़े हुए दिखाया गया है जिसके माध्यम से वह दुनिया में ज्ञान और लय लाती हैं। देवी का हंस पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है जिसे व्यक्ति को अपने विचारों में कार्यों में रखना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि जिस प्रकार हंस कीचड़ में अपना भोजन ढूँढ़ता है, उसी प्रकार हमें हर चीज़ में ज्ञान ढूँढ़ना चाहिए। हिंदू संस्कृति में, प्रत्येक ज्ञान पवित्र है क्योंकि इसे सरस्वती मां का आशीर्वाद माना जाता है। वह व्यक्तियों को सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों ज्ञान प्रदान करती है।