योगी आदि अनादि नहीं, पर योगी का कोई विकल्प नहीं!

मनोज श्रीवास्तव
मनोज श्रीवास्तव

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजनीति की नई परिभाषा गढ़नी शुरू कर दी है। उनका बुलडोज़र मॉडल पूरे देश-दुनिया में धूम मचा  रखा है। विपक्षी दल के नेताओं को भी उन पर इतना विश्वास है कि वो दावे के साथ कहते हैं कि मैं जब चाहूं योगी से बात कर सकता हूँ। पढ़िए सूबे की राजधानी लखनऊ से वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव की बेबाक़ टिप्पणी..

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसेवा के साधना का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है वह अनुकरणीय बन गया। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद विपक्ष और सेक्युलर कामरेडों का अनुमान था कि योगी हिंदुत्ववादी कट्टरता के चलते प्रदेश का माहौल बिगाड़ देंगे। लेकिन योगी ने कार्ययोजना बना कर अपने कर्तव्यों को तटस्थता से क्रियान्वयन किया। जिसके कारण योगी के विरोधी निरुत्तर हो गये। विरोधी दल के नेता अपनी उपस्थिति बनाये रखने के लिये योगी पर आक्रामक वक्तव्य दे कर अपना दायित्व निर्वहन कर देते हैं। आज तक के समीक्षा के बाद यह कहा जा सकता है कि योगी की घेरेबंदी उनके बूते की बात नहीं रह गयी। योगी के कार्यकाल में प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक हुई है। प्रदेश में करोड़पति बढ़े तो गरीबी का उन्मूलन करते हुये लाखों लोग गरीबी की सीमा से निकल कर मध्यम वर्ग की कक्षा में प्रवेश किये।

महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधरी है, प्रदेश से होने वाले युवाओं के पलायन में कमी आयी है। जिस गति से वह चल रहे हैं उसका आकलन आसान नहीं है। योगी के नेतृत्व की उत्तर प्रदेश सरकार जिस दिन निवेश और बेरोजगारी का भौतिक सत्यापन कराने में सफल हुई उस दिन वह अंतरराष्ट्रीय पटल पर सक्षम उत्तर प्रदेश नहीं सक्षम भारत का नेतृत्व करते दिखेंगे। मैं पूरी जिम्मेदारी से कह सकता हूँ। योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में एक भी आरोप विपक्ष का ऐसा सप्रमाण नहीं लगा जिससे यह साबित हुआ कि योगी विकास के विरुद्ध हैं या विकास के मुद्दे पर फेल हो गये। ऐसा भी नहीं कि योगी आर्थिक उन्नति के विरुद्ध हैं। विपक्षियों की तुलना में योगी रोजगार देने में सफल साबित हुये। उनके कार्यकाल में बेरोजगारी का आंकड़ा घटा है।जनता को सुविधा देने के सवाल पर योगी घिरे हों। घोटाला, कालाबाजारी, कमीशनखोरी पर शिकंजा कसने में योगी सब पर भारी पड़े हैं।कानून व्यवस्था पर देश के सभी राज्यों से नागरिक अभिनंदन प्राप्त हुआ है। जनमानस के पटल पर योगी भविष्य बन कर स्थापित हो गये। यह छवि कोई पीआर कंपनी नहीं बना सकती थी।

सिंद्धांत की दृढ़ता और संकल्प के प्रति कठोरता से योगी ने जो कार्यशैली स्थापित किया उसकी अंतरराष्ट्रीय नकल होने लगी है। अन्तर्राष्ट्रीय नकल मतलब बुल्डोजर की नकल नहीं, नकल उन संकल्पों का जो लाईलाज बन गया था। पूर्वी उत्तर प्रदेश में यमराज बना जापानी इंसेफ्लाइटिस सरेआम मां के गोद से उनके आंख के तारों को लेकर चला जाता था। योगी ने उस यमराज का वध किया। बेबस बन चुकी मां के आँचल की चिरंजीवी शक्ति और बलवती हुई। जापानी इंसेफ्लाइटिस पर विजय मिली। इस प्राकृतिक आपदा को मात्र सत्ता के रथ से रौंदना होता तो कोई भी कुचल देता। इस विषय पर विपक्ष कभी छेड़ना ही नहीं चाहता। योगी आदित्यनाथ की सरकार के पहले इंसेफ्लाइटिस से लड़ने के लिये कोष कम पड़ जाते थे। व्यवस्था में लगे सौदागर मालामाल हो जाते थे, क्योंकि उनके लिये इंसेफ्लाइटिस आपदा से ज्यादा औद्योगिक अवसर बन कर आता था। दुर्भाग्य से दो अक्टूबर गांधी जयंती के दिन देवरिया जिले में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। जिसमें छह लोगों की हत्या हुई। उस घटना के बाद देवरिया विपक्ष का पर्यटन स्थल बन गया लेकिन योगीराज के पहले उस क्षेत्र का स्थायी सवाल बने इंसेफ्लाइटिस पर किसी ने मुंह खोलने की हिम्मत नहीं किया।

सरकारी सेवा में रह कर करप्शन के माध्यम से व्यवस्था को चलाने वाले भारी संख्या में न सिर्फ जेल गये बल्कि सेवा से भी छुट्टी पा गये। घूसखोरों को जेल पहुंचाने में भी योगी सरकार ने कीर्तिमान स्थापित किया है। आज कोई बिचौलिया सरकार की योजनाओं की गारंटी से फिक्स करने वाला नहीं है । मुलायम सिंह यादव की सरकार में अमर सिंह, बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के सरकार में कई बाबू सिंह कुशवाहा, अखिलेश यादव के सरकार में कई-कई गायत्री प्रजापति सरकार की योजनाओं में न सिर्फ भ्रष्टाचार करते थे बल्कि सौदेबाजी के लिये बदनाम हुये। योगी ने इस कुव्यवस्था का अंत कर दिया। यह सोच से परे का समाधान है। जिस समाज में भ्रष्टाचार अनिवार्य अंग रहे उसी समाज के आंख के सामने उसका नाश होता देखना किसी स्वप्न से कम नहीं है। कानून व्यवस्था पर योगी सरकार का काउंटर और बुल्डोजर माफिया गिरी का बड़ा समाधान बन कर उभरा है। अब तो राजनैतिक समीक्षकों के बीच योगी आदित्यनाथ को ग्लोबल मुख्यमंत्री कहा जाता है।  तो वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, लेकिन समय-समय पर देश के विभिन्न राज्यों से योगी मॉडल की मांग उठती है। कानूनी कार्यवाही के क्रियान्वयन में जरा भी भेद-भाव न रखने के करण यह जन विश्वनीयता का प्रमाणपत्र बन गया। कर्नाटक, बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, केरल, मिजोरम, अरुणांचल, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम ऐसे राज्य हैं जहां सरकार भले ही किसी की रही हो जनता ने अपने समाधान के लिये, संतुष्टि के लिये योगी आदित्यनाथ को याद किया।

पिछले दिनों योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय सिंधी समाज के कार्यक्रम में कहा था कि “अगर अयोध्या स्थिति श्रीराम जन्मभूमि को 500 साल बाद वापस लिया जा सकता है, तो कोई कारण नहीं है कि हम पाकिस्तान स्थित सिंधु प्रांत वापस न ले पायें”। उनकी टिप्पणी से पाकिस्तान बौखला गया था। योगी के वक्तव्य को देशव्यापी समर्थन प्राप्त हुआ था।इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय चर्चा आरम्भ हो गया। योगी दुनिया में बढ़ते आतंकवाद से लड़ने के लिये भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सबसे विश्वसनीय नाम बन कर उभरे हैं। उनके विरोधियों ने भी इसे स्वीकार करने को विवश हुये हैं। देश ने योगी को जो स्थान दिया है वह प्रचार और प्रबंधन का मोहताज बन कर नहीं मिला है।जब तक योगी आदित्यनाथ में प्रचंड परिश्रम और जनहित के निर्णयों को लेकर प्रबल इच्छाशक्ति रहेगी उनके लोकप्रियता का रथ कोई नहीं रोक पायेगा।

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