नई दिल्ली। सेना के शीर्ष कमांडरों का पांच दिन का सम्मेलन शुक्रवार को यहां संपन्न हो गया जिसमें मौजूदा घटनाक्रमों के संदर्भ में सुरक्षा संबंधी पहलुओं पर व्यापक चर्चा की गयी। सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने कमांडरों को संबोधित किया। रक्षा मंत्री ने अप्रत्याशित घटनाक्रमों से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत पर बल देते हुए पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक संकट और संघर्ष से सबक लेने पर जोर दिया।
उन्होंने टिप्पणी की कि सेनाओं की असमानता की गलत व्याख्या करना और प्रतिद्वंद्वी को कम आंकने की प्रवृत्ति किसी भी संघर्ष में जीत या हार के बीच की निर्णायक रेखा होती है। जनरल चौहान ने बदलते परिदृश्य के अनुकूल राष्ट्रीय सुरक्षा वास्तुकला और सैन्य मामलों में व्यापक बदलाव की आवश्यकता को स्पष्ट किया। सम्मेलन में शीर्ष कमांडरों ने मौजूदा और उभरते सुरक्षा परिदृश्यों पर विचार-मंथन किया तथा भारतीय सेना की परिचालन तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने संगठनात्मक संरचनाओं और प्रशिक्षण व्यवस्थाओं के मूलभूत पहलुओं पर भी गहराई से चर्चा की। सैन्य नेतृत्व द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष सहित भू-रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की गई।
सिक्किम में हाल ही में झील में बादल फटने और उसके परिणामस्वरूप होने वाले नुकसान और तैयारियों की स्थिति पर भी विचार-विमर्श किया गया। बचाव, राहत और संचार बुनियादी ढांचे की त्वरित बहाली के लिए सरकार की सभी एजेंसियों के बीच तालमेल पर चर्चा की गई। इसी तरह की आकस्मिकता में बेहतर कार्य के लिए तंत्र स्थापित करने पर भी विचार-विमर्श किया गया। ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ’ विषय पर चर्चा के दौरान सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद ने भविष्य के युद्ध पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव के बारे में बात की। उन्होंने क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रगति, साइबर खतरों को कम करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढती भूमिका पर जोर दिया। (वार्ता)