अद्भुत लीला रचे मुरारी

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी

बहुत मिले जीवन के पथ में।
कुछ पल साथ बिता कर ठहरे।।
कोई रस्ते बीच रुक गया।
कितने जाने किधर मुड़ गये।।

गिनती करना बहुत कठिन है।
किससे प्रीत लगाई मैंने?
किसने आस जगाई मन की।
किसने रिश्ता सहज तज दिये।।

बड़ा कठिन है अगला मंजर।
अब तो तन भी साथ तज रहा।।
नेत्र ज्योति भी मंद होरही।
हाथ पैर अब रोज थक रहा।।

दिल की धड़कन चलती जाती।
तब तक जीने की आशा है।।
कौन हमारे साथ रहेगा?
इसकी कभी न प्रत्याशा है।।

मेरे मालिक कैसा तूने?
खेल रचाया सृष्टि बना कर।।
पता नहीं कब? जाये कोई।
रोता ही आता जगती पर।

सबको रुला चला जाता है।
हंसने की घड़ियां क्यों कम हैं?
रोना ही अक्सर आता है।।
रोते बड़े बड़े धन पति हैं।

यही गरीबों की थाती है।
कभी नहीं हो संतुष्टि जगत से।
भले सृष्टि सब मिल जाती है।।
दशरथ रोये अंत समय में।

सर्वेश्वर जिनके घर आए।‌
कारागार बंद दंपति थे।
कृष्ण और बलराम सरीखे।
नारायण जिनके सुपुत्र थे।।

कृष्ण उन्हें समझा ना पाये।
दुर्योधन,शिशुपाल आदि को।।
लगा कंठ श्रीकृष्ण अघाये।
देख सुदामा सरिस दीन को ।।

बड़े बड़े ज्ञानी ध्यानी भी।
तेरी लीला समझ न पाये।।
कब किस पर तुम हाथ रखोगे।
तेरी मर्जी समझ न आए।।

Litreture

पुस्तक समीक्षाः शब्दों की आत्मा तक पहुँचती एक विलक्षण कृति — ‘शब्द-संधान’

मुकेश कुमार शर्मा भाषा केवल विचारों की अभिव्यक्ति का साधन नहीं, बल्कि संवेदना, संस्कृति और समय की सजीव चेतना भी है। इसी चेतना को स्पर्श करती है हिंदी के चर्चित लेखक, भाषाविद् और व्युत्पत्तिशास्त्री कमलेश कमल की नवीनतम और चर्चित कृति ‘शब्द-संधान’, जो प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक शब्दों के उद्गम, उनकी […]

Read More
Litreture

विश्व हिंदी दिवस पर, प्रणव गुंजार है हिंदी

हिंसा से जिसको दुख होता वह है हिंदुस्थान हमारा। और अहिंसा मे जो जीता ऐसा हिंदू नाम हमारा।। प्रेम भाव से विश्व बनाया वह सच्चिदानंद जग पावन। यहां बाल क्रीड़ा करते हैं बारंबार जन्म ले उन्मन।। कभी राम बन कर आता हैं, कभी कृष्ण बन खेल रचाता। गौएं चरा बजाता वंशी । हलधर हो बलराम […]

Read More
Litreture

यदि आप साहित्य प्रेमी है तो यह आपके लिए भी जानना है बहुत जरूरी

लोरी के रूप में मां के मुंह से उपजा बाल साहित्य साहित्य अकादेमी दिल्ली का आयोजन अब नजरंदाज हो रहा है बाल साहित्य नया लुक संवाददाता लखनऊ। साहित्य अकादेमी दिल्ली के दो दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन हिंदी संस्थान के निराला सभागार में चले बाल साहिती के सत्रों में संगोष्ठी, काव्य समारोह के संग पुरस्कृत […]

Read More