नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस वी एन भट्टी की पीठ ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की दलीलों पर भरोसा करते हुए 51 वर्षीय सिसोदिया की याचिका खारिज की। पीठ ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष की ओर से दिए गए आश्वासन के मद्देनजर कि वे अगले छह से आठ महीनों के भीतर उचित कदम उठाकर मुकदमे को समाप्त कर देंगे, हम अपीलकर्ता सिसोदिया को मामले में जमानत के लिए एक नया आवेदन दायर करने की स्वतंत्रता देते हैं। पीठ ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 17 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
सिसोदिया को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति बनाने और उसके कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए धन शोधन और भ्रष्टाचार के आरोप में 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया था। वह जेल में बंद है। CBI ने 17 अगस्त 2022 को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया था। प्राथमिकी (FIR) में सिसोदिया सहित कुल 15 लोगों को विशेष रूप से नामित किया गया था। अदालत के समक्ष CBI और ED ने दावा किया कि आम आदमी पार्टी ने गोवा विधानसभा के चुनाव प्रचार में (शराब नीति से प्राप्त) अवैध धन का इस्तेमाल किया। दावा यह भी किया गया कि आम आदमी पार्टी शराब नीति से लाभ उठाने वाले हितधारकों से प्राप्त रिश्वत की लाभार्थी थी, जिन्हें बदले में शराब के लाइसेंस मिले थे।
इस पर शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया स्पष्टता की कमी है, क्योंकि गोवा चुनाव के लिए ‘आप’ को 45 करोड़ रुपये के हस्तांतरण में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपीलकर्ता सिसोदिया की संलिप्तता पर विशिष्ट आरोप गायब है। शीर्ष अदालत ने कहा कि दोनों जांच एजेंसियों की शिकायत में यह दावा कि वास्तव में शराब समूह द्वारा 100 करोड़ रुपये की रिश्वत का भुगतान किया गया था, कुछ हद तक बहस का विषय है। हालाँकि, शीर्ष अदालत ने CBI के आरोपों को दोहराते हुए कहा कि मौजूदा उत्पाद शुल्क नीति को पुरानी नीति के तहत पांच फीसदी से बढ़ाकर नई नीति के तहत 12 फीसदी तक कमीशन व शुल्क बढ़ाकर थोक वितरकों को सुविधा प्रदान करने और रिश्वत लेने के लिए बदल दिया गया था। CBI ने दावा किया कि थोक वितरकों ने 338 करोड़ रुपये कमाए, जिस पर विवाद नहीं किया जा सकता। सिसोदिया ने CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज मामलों में पहले विशेष अदालत और फिर दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से जमानत याचिका ठुकराये जाने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। (वार्ता)