
वाराणसी। 492 वर्ष तक अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि स्थान पर भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर बनाने के लिए जिन संतों, गृहस्थों व कारसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी उनकी मुक्ति के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में देशभर से आए संतों द्वारा सांयकाल महारुद्राभिषेक किया गया। इस रुद्राभिषेक के साथ तीन दिवसीय संस्कृति संसद का शुभारंभ हुआ। यह आयोजन अखिल भारतीय संत समिति, अखाड़ा परिषद, श्रीकाशी विद्वत परिषद के सहयोग से गंगा महासभा द्वारा आयोजित है। संस्कृति संसद में भाग लेने पहुंचे 400 महामण्डलेश्वर समेत 1200 समेत संत सर्वप्रथम रविदास घाट में एकत्रित हुए। इसके उपरांत बजड़े द्वारा गंगा द्वार पहुंचे। वहां गंगा पूजन कर पूज्य शंकराचार्य, भारत माता एवं महारानी अहिल्याबाई होलकर की प्रतिमा पर पूज्य संतो ने माल्यार्पण किया। रुद्राभिषेक काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित अविमुक्तेश्वर महादेव मंडप में सम्पन्न हुआ। अविमुक्तेश्वर महादेव बाबा विश्वनाथ के गुरु हैं।
इस महा रुद्राभिषेक समारोह के यजमान गंगा महासभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री गोविंद शर्मा, भक्ति किरण शास्त्री एवं दैनिक जागरण के समूह संपादक संजय गुप्ता थे। इनके साथ महारुद्राभिषेक करने वाले अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कैवल्य पीठाधीश्वर जगद्गुरु अविचल देवाचार्य महाराज , परमहंस स्वामी चिदानंद मुनि, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती आचार्य महामंडलेश्वर विश्वात्मानंद महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर बालिकानंद गिरी महाराज, जगतगुरु शंकराचार्य नरेंद्र आनंद सरस्वती, जगतगुरु शंकराचार्य भानपुरा पीठ ज्ञान आनंद तीर्थ महाराज और स्वामी धर्मदेव, महामंडलेश्वर जनार्दन हरि जी समेत 1200 संत अभिषेक कर रहे थे।
इनमें प्रमुख रूप से महामंडलेश्वर शंकारानंद गिरी उड़ीसा, महामंडलेश्वर हरिहर आनंद सरस्वती मैनपुरी उत्तर प्रदेश, महामंडलेश्वर चिदम्बरानंद सरस्वती मुंबई, महामंडलेश्वर अभियानंद सरस्वती महाराज लखनऊ, जितेंद्रनाथ महाराज विदर्भ, महामंडलेश्वर विश्वेरा नंद महाराज हरियाणा, दिनेश भारती महाराज जम्मू, और राधे-राधे बाबा, महामंडलेश्वर नरसिंह दास महाराज जबलपुर, प्रभाकर आनंद केरल, पूज्य स्वामी गरुड़ानंद महाराज तमिलनाडु, पूज्य स्वामी विद्यानंद महाराज कर्नाटक, विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक माननीय दिनेश चंद्र जी एवं अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद पंरांडे, केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी के साथ साथ काशी के संत सतुआ बाबा , स्वामी बालक दस जी महापुरुष उपस्थित रहे। इस रुद्राभिषेक में सभी संतो ने श्रीराम जन्म भूमि मुक्ति आंदोलन के लिए अपनों प्राणों का न्योछावर करने वाले हुतात्माओं की मुक्ति के लिए अलग अलग संकल्प दोहराते हुए रुद्राभिषेक किया। संतों ने इसी क्रम में सनातन सापेक्ष सरकार बने एवं राष्ट्र एकता और अखंडता अक्षुण्ण रहे कामना के साथ भगवान विश्वनाथ का रूद्राभिषेक किया।