एक राजकुमारी, एक खिलाड़ी! किस्सा परीनुमा, हुआ सच!!

के. विक्रम राव 

स्पेन के सोशलिस्ट गद् गद् हैं। प्रमुदित भी। कारण ? उनके देश की 18-वर्षीया राजकुमारी लियोनोर एक आम आदमी, फुटबॉलर से प्रेम विवाह कर रही हैं। समतामूलक प्रयास है। समाजवाद का मतलब यही है। सर्वाधिक खुशी सोशलिस्ट प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज को है। वे सोशलिस्ट इंटर्नेशनल के अध्यक्ष भी हैं। बिना बाइबिल थामे सांचेज़ ने पद की शपथ (जून 2018) ली थी। ईसाई राष्ट्र में सेक्युलर रीति से। राजशाही वाले स्पेन की अगली महारानी होंगी लियोनोर ! खिलाड़ी हो जाएगा राजाध्यक्ष। तो स्पेन साम्राज्य की यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण खबर सार्वजनिक कैसे हो गई? राजकुमारी लियोनोर के पिता सम्राट फिलिप अष्टम गत दिनों दोहा (कतर) में थे। वहां गए थे स्पेन के फुटबॉल टीम को उत्साहित करने। स्पेन ने कोस्टा रिका को सात गोल से हरा दिया था। सम्राट तब ड्रेसिंग रूम में गए अपने विजेताओं को बधाई देने। वहां एक जर्सी मिली। उस पर फुटबॉलर गावी, आयु 19 वर्ष, के हस्ताक्षर थे। सम्राट ने पाया कि वह शर्ट छोटे साइज की थी। अर्थात उनके लिए माफिक उपहार नहीं हो सकती थी। पता चला कि गावी ने राजकुमारी के लिए दिया है। दास्तान-ए-मुहब्बत का अंदाज तभी हो गया। खेल की भावना से वे आप्लावित हो गए। बादशाह ने विवाह की सहमति भी दे दी। सामाजिक पत्रिका “सोशललाइव” ने प्रेम गाथा की पूरी रपट प्रकाशित की। हालांकि इसके पूर्व पितामह सम्राट जुआन कार्लोस प्रथम की पुत्री इंफांता क्रिस्टीना का इश्क भी खिलाड़ी इनाकी उर्दगरीन लाइवर्ट से हुआ था। दोनों ने शादी कर ली थी।

मगर लियोनोर को स्पेन में जनसमर्थन इसलिए भी मिल रहा है क्योंकि उनकी मां भी एक सामान्य नागरिक थीं। पत्रकार थीं। उन्होंने सम्राट कार्लोस के पुत्र और वर्तमान बादशाह फिलिप से शादी की। महारानी बनीं। यह महिला एक मध्यम वर्गीय परिवार की थी, नाम है लेटिजिया। सीएनएन और टेलीविज़न एस्पनोला में समाचार एंकर थीं। एबीसी और ईएफई के लिए भी काम किया। उन्होंने पहले अलोंसो ग्युरेरो पेरेज़ से 1998 में शादी की। उनसे अगले वर्ष तलाक ले लिया। फिर लेटिजिया ने राजा जुआन कार्लोस प्रथम के बेटे और उत्तराधिकारी राजकुमार फेलिप से 2004 में शादी कर ली थी। राजकुमारी लियोनोर उन्हीं की पुत्री है। महारानी लेटिजिया के पिता जोस अल्बारेज भी पत्रकार थे। उनकी पत्नी अस्पताल में नर्स थीं। ऑर्टिज़ ने दैनिक समाचार पत्र “ला नुएवा एस्पाना” और बाद में संवाद एबीसी और राष्ट्रीय समाचार एजेंसी ईएफई के लिए काम किया।

जब राजकुमारी लियोनोर की माता की सगाई जब (1 नवंबर 2003) को सम्राट फिलिप के साथ घोषित हुई थी तो आमजन को अचरज होना स्वाभाविक ही था। एक तलाकशुदा पत्रकार को महारानी बनाया जा रहा था। फिलिप उन्हें सफेद सोने की सजावट के साथ 16 बैगुएट हीरे की सगाई की अंगूठी के साथ प्रस्ताव दिया था। उन्होंने इस अवसर को उन्हें सफेद सोना और नीलमणि कफ़लिंक और एक क्लासिक किताब दिया।
राजकुमारी लियोनोर की मीडिया इसलिए तारीफ कर रहा है क्योंकि अन्य राजपरिवारजनों की भांति उनके खिलाफ कोई वित्तीय अथवा सामाजिक लांछन नहीं रहा। सोशल मीडिया के जमाने में राजकुमारी को कभी भी किसी विवादित विषय में पड़ते नहीं देखा गया। लियोनोर जब पढ़ाई कर रही थीं तो भी काफी संतुलित थीं। उनकी लोकप्रियता इतनी ज्‍यादा है कि “होला मैगजीन” के सर्वे में सिर्फ 21 फीसदी (अल्पसंख्या में) स्पेनिश नागरिक ही मानते हैं कि अभी वह देश के मुखिया के तौर पर अपने कर्तव्य के लिए तैयार नहीं हैं। लियोनोर के निजी जीवन या वह अपने खाली समय में क्या करना पसंद करती हैं ? इसके बारे में बहुत कम जानकारी है। हालांकि राष्ट्रीय क्षेत्र में उनकी ख्याति बढ़ गई है।

अब चर्चा हो दूल्हेराजा की। गावी (पूरा नाम पाल्बो मार्टिन पेज गाविरा) का जन्म 5 अगस्त 2004 को हुआ। वे बस एक ही साल बड़े हैं राजकुमारी से। गावी जब मात्र ग्यारह साल के थे, तभी से बार्सिलोना क्लब की टीम में शामिल हो गए थे। शीघ्र ही युवा खिलाड़ियों में गावी का शुमार महान ब्राजीलीयन खिलाड़ी पेले के साथ होने लगा। पेले आज भी फुटबॉल के महाराजा हैं। विश्व कप में गावी भी शोहरत कमा चुके हैं। वहीं पर जब स्टेडियम में गावी और लियोनोर की प्रथम भेंट हुई थी तो “पहली नजर में ही प्रेम वाली” बात खरी बैठी। गावी हैं कौन ? स्पेनिश फुटबॉलर है जो सेंट्रल मिडफील्डर के रूपला लीगा क्लब, बार्सिलोना और स्पेन की राष्ट्रीय टीम में खेलते है। उन्होंने गोल्डन बॉय पुरस्कार 2022 में जीता और कोपा ट्रॉफी प्राप्त की।

पाब्ले गार्वर और राजकुमारी के रोमांस को देखकर दो फिल्में याद आयीं। पहली थी हॉलीवुड की, शीर्षक था “रोमन हालिडे”। इस फिल्म में “अमेरिका के देवानंद” कहलाने वाले ग्रेगरी जैक एक रिपोर्टर होते हैं। उनकी मुलाकात राजकुमारी (आड्रे हेपनर्न) से रोम में होती है। बस वही प्रेमगाथा शुरू। पहले रिपोर्टर को यकीन नहीं होता कि एक भटकी हुई राजकुमारी से उनकी मुलाकात हो रही है। पर जब फुटपाथी रेस्त्रां में नायिका ने शेम्पेन शराब मांगी तो रिपोर्टर समझ गया कि पाला राजसी व्यक्तित्व से ही पड़ा है। अंततः राजकुमारी राजमहल में वापस। मानवीय भावना दिखी। रिपोर्टर अपने संपादक को बताता है : “कोई रपट नहीं है।” बड़ा रूमानी पटाक्षेप हो जाता है। मगर बंबईया फिल्म “मुगले आजम” आज में अधिक यथार्थवादी थी। अकबर (पृथ्वीराज कपूर) ने अनारकली (मधुबाला) से कहा : “एक कनीज हिंदोस्तान की मल्लिका नहीं बन सकती।” मगर राजधानी माद्रिद में ठीक ऐसी ही एक फिल्म कथानक समूचा यथार्थ बन गया था। गावी और लियोनोर नया इतिहास रचाएंगे। सोशलिस्ट स्पेन में।

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