- दो फाड़ में बंटा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय तो कराह उठेगी पं. मालवीय की आत्मा
- BHU में छेड़खानी का यह पहला नहीं है मामला, सुरक्षा व्यवस्था की खुली पोल
- दीवार बनाकर बाँटने वालों ने नहीं सोचा कि कैसे बचेगा BHU का अस्तित्व
लखनऊ/वाराणसी। शिक्षा जगत में भारत का नाम यूँ ही सर्वोपरि नहीं है। यहाँ की मेधा पूरी दुनिया में अपना जलवा बिखेर रही है। गूगल के सीइओ सुंदर पिचाई से लेकर यू-ट्यूब के नीलकमल तक सभी भारतीय हैं। ट्विटर के सीईओ रहे पराग अग्रवाल की बात करें या फिर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की। ये सभी पूरी दुनिया में हिंदुस्तानी झंडा बुलंद कर रहे हैं। इसी सूची में एक बड़ा नाम आता है- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) का। इस संस्थान के लिए पं. मदन मोहन मालवीय ने देश-विदेश तक की यात्रा की, तब जाकर एक बहुत ही सुंदर और साकार रूप लेकर BHU तैयार हुआ। आज लग रहा है कि महामना की बगिया को किसी की नज़र लग गई। पांच दिनों पहले हुई एक दुखद घटना की वजह से कुछ लोग शिक्षा के इस विशाल परिसर को दो टुकड़ों में बांटना चाह रहे हैं।
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BHU प्रशासन ने पांच दिन पहले यानी दो नवम्बर की रात छात्रों को एक बयान जारी कर कहा है कि कमिश्नर ने सूचित किया है कि उन्होंने संस्थान के लिए एक चहारदीवारी के निर्माण के बारे में शिक्षा मंत्रालय के साथ चर्चा की है। CPWD और IIT-BHU के प्रोफेसरों की एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा और निर्माण के लिए संस्थान परिसर के सर्वेक्षण का काम सौंपा जाएगा। समिति एक हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी और उसके बाद आयुक्त वाराणसी से मंजूरी लेकर चहारदिवारी निर्माण करा दिया जाएगा। बताते चलें कि साल 1919 में स्थापित इस संस्थान को वर्ष 1968 में प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ था। साल 2012 में इसे IIT का दर्जा प्राप्त हुआ, लेकिन इसके लिए अलग से कहीं संसाधन नहीं जुटाए गए। तत्कालीन मनमोहन सरकार ने इसके लिए न किसी बिल्डिंग का प्रावधान किया और न ही कोई अलग से व्यवस्था दी। BHU के प्रोद्योगिकी विभाग (IT Institute) को ही IIT का दर्जा दे दिया गया और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नाम से ही इसे शुरू कर दिया गया। गौरतलब है कि काशी शहर के दक्षिणी छोर पर करीब 1300 एकड़ में पसरे इस संस्थान के पास मां गंगा की अविरल धारा बहती रहती है।
क्या है घटना, जिस कारण विवादों में आया BHU का नाम
BHU के IIT कैम्पस में बीते दिनों यानी एक नवंबर (बुधवार) की रात IIT की एक छात्रा से बाइक सवार तीन बदमाशों ने बदसलूकी की और निर्वस्त्र कर वीडियो बनाया। घटना के बाद आरोपी कैम्पस के हैदराबाद गेट से फरार हो गए। इसके बाद BHU में दो नवंबर की तड़के सुबह छात्र-छात्राओं का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। छात्रा का आरोप है कि बदमाशों ने उसे जबरन चूमा और उसे निर्वस्त्र कर वीडियो रिकॉर्ड किया। घटना की जानकारी मिलने के बाद सैकड़ों छात्र परिसर में बेहतर सुरक्षा की मांग को लेकर संस्थान निदेशक के कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन करने जुट गए। छात्रा की शिकायत पर वाराणसी की लंका पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ IPC की धारा 354-बी, 506 और IT अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
छात्रा के साथ छेड़खानी का यह पहला मामला नहीं
इस घटना से पहले साल 2017 में एक छात्रा के साथ इसी तरह की घटना हुई थी। बावजूद इसके BHU परिसर में सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हो पाया। इस साल छेड़खानी के कुल पांच मामले सामने आ चुके हैं। बीते 16 अक्टूबर की देर रात भी उनके हॉस्टल के पास छेड़खानी हुई थी। जिसमें चार बाहरी छात्र गिरफ्तार हुए थे। इससे पहले जनवरी 2023 और फरवरी 2023 में भी IIT-BHU की चार छात्राओं से परिसर में छेड़खानी हुई थी, जिनमें एक छात्रा दृष्टिबाधित थी। छेड़खानी के लगातार मामले आने से BHU की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। गौरतलब है कि IIT-BHU परिसर की सुरक्षा व्यवस्था एक हजार से अधिक पूर्व सैनिकों के हाथों में है। इनमें 856 सुरक्षाकर्मियों की तैनाती BHU और बाकी की IIT में हुई है। इस व्यवस्था में 12 करोड़ रुपये सालाना खर्च हो रहे हैं। सवाल उठता है कि इतने बड़े बजट के बाद परिसर में सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं है? अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक पदाधिकारी का कहना है कि BHU परिसर में कमजोर सुरक्षा व्यवस्था ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार है।
राजनेता कहां पीछे रहने वाले…
जगह बनारस हो और लोकल सांसद खुद प्रधानमंत्री हो तो ऐसी घटनाओं पर राजनीति होना भी वाजिब है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर लिखा कि …एक छात्रा को निर्वस्त्र कर उसके साथ दुर्व्यवहार करने और वीडियो बनाने की घटना UP में लॉ एंड आर्डर की स्थिति पर एक तमाचा है। यह अपराध के प्रति BJP की जीरो टॉलरेंस नीति के दावे की पोल खोलता है। UP की महिलाओं का BJP सरकार से भरोसा उठ गया है। अब इस सरकार से कोई भी उम्मीद बेमानी है। वहीं कांग्रेस महासचिव और प्रियंका गांधी ने ‘X’ पर लिखा कि क्या BHU और IIT जैसे परिसर सुरक्षित नहीं हैं? क्या PM के निर्वाचन क्षेत्र में एक छात्रा के लिए अपने ही शैक्षणिक संस्थान में निडर होकर घूमना अब संभव नहीं है? शर्मनाक।”
…नहीं रोक सकते बाहरी लोगों का प्रवेश
BHU के एक अधिकारी के मुताबिक सर सुंदर लाल अस्पताल BHU के मुख्य परिसर में है, जिसके चलते परिसर में बाहरी लोगों के प्रवेश को रोकना संभव नहीं है। इस अस्पताल में दूर-दूर से लोग इलाज के लिए आते हैं। फिर BHU की कई इमारतें IIT परिसर में हैं। उदाहरण के लिए IIT-BHU के दो विभाग – खनन और धातुकर्म – मुख्य परिसर में हैं। वहीं BHU का कृषि विज्ञान विभाग IIT-BHU परिसर में है।
क्या है BHU का इतिहास
IIT (BHU) वाराणसी को पहले बनारस इंजीनियरिंग कॉलेज (BENCO), कॉलेज ऑफ माइनिंग एंड मेटलर्जी (MINMT), कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी (TECNO) और इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (IT-BHU) के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से गहराई से जुड़ी हुई है । BHU में पहला दीक्षांत समारोह दो दिसंबर 1920 को आयोजित किया गया था। BHU को मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, धातुकर्म और फार्मास्यूटिक्स में पहली बार डिग्री कक्षाएं शुरू करने का श्रेय प्राप्त है। इसका नाम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों तक में सम्मान के साथ लिया जाता है। यहां से पढ़े लाखों छात्रों ने अपने-अपने क्षेत्रों में न जाने कितने कीर्तिमान गढ़े हैं।
इस तरह शुरू हुआ था यह संस्थान
काशी नरेश ने महामना मालवीय को BHU के निर्माण के लिए करीब 11 गांव के साथ 70 हजार पेड़ और करीब 100 पक्के कुएं तथा 20 कच्चे कुएं दान में दिए। साथ ही उन्होंने 860 कच्चे घर व 40 पक्के मकान भी दान दे दिया। साथ ही काशी नरेश ने BHU के निर्माण के लिए एक मंदिर और एक धर्मशाला भी दान में दी थी। दिन भर नापने के बाद जो जमीन मिली उस पर BHU का निर्माण हो सका और दरभंगा नरेश, पंडित मालवीय, एनी बेसेंट व डॉ. एस राधाकृष्णनन जैसे अनेकों लोगों का सपना साकार लेता गया। आखिरकार चार फरवरी 1916 बसंत पंचमी के दिन मालवीय जी ने BHU की नींव रखी।