दीपों की सरिता सलिल बहे,
मन में रोशनी की लहर जगे,
जलते दीपक झिलमिल तारे हों,
ख़ुशियाँ की सरिता बहती हों।
तनहाई में हिलमिल मेले हों,
मन में आनंद की आभा हो,
दीवाली की खील मिठाई हो,
ख़ुशियों की सरिता बहती हो।
प्रेम के दीपक जगमग करते हों
सपने सच होते भी दिखते हों,
मन मन्दिर के भाव मधुर हों,
ख़ुशियों की सरिता बहती हों।
दगें पटाखे खूब हो धूम धड़क्का,
खुशजोश दिवाली काकीकक्का,
बच्चे बूढ़े सभी नाचते गाते हों,
ख़ुशियों की सरिता बहती हों।
मनमीत गीत गुनगुनाते हों,
दुश्मन को गले लगाते हों,
अपने पराये सब खुश हों,
ख़ुशियों की सरिता बहती हों।
तन मन से सजनी सज जायें,
सद्भाव के भाव निखर आयें,
आदित्य दिवाली जगमग हों,
ख़ुशियों की सरिता बहती हों।