- विहार के भागलपुर से जुड़ा है छठ पर्व का तार
- द्वापर युग में कर्ण ने यहीं पर कई घंटे पानी में खड़े रहकर पहली बार भगवान सूर्य को दिया था अर्घ
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
महराजगंज । छठ पूजा हमारे देश के मुख्य त्यौहारों में से एक है। इस त्यौहार पर छठ माता और सूर्य देव की पूजा होती है। छठ का पर्व कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। चार दिन चलने वाले इस महावर्प का महत्व बहुत खास है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह पूजन करने से विवाहित स्त्रियों का सौभाग्य बना रहता है और संतान की उन्नति के मार्ग खुलते हैं। आपको बता दें कि छठ पूजा में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा व उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्य बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
छठ पूजा का पर्व बिहार में क्यों प्रसिद्ध है?
बिहार में महापर्व छठ पूजा मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है और यहां के लोग कई सालों से इस पूजा को उल्लास और भक्ति भाव के साथ मनाते हैं। चार दिन तक छठ पूजा मनाई जाती है जिसमें नहाय खाय, खरना और डूबते व उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। आपको बता दें कि मुख्य रूप से नि:संतान महिलाएं छठ पूजा पर व्रत रखती हैं। बिहार में लोगों का मानना है कि छठ पूजा पर अगर विधि पूर्वक छठी मईया की पूजा की जाए तो सुख-समृद्धि की प्राप्ति होता है। आपको बता दें कि बिहार में छठ पूजा की परंपरा महाभारत काल से जुड़ी हुई है।
हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य पुत्र कर्ण का संबंध बिहार के भागलपुर से है। आपको बता दें कि कर्ण ने अपनी तपस्या और श्रद्धा से सूर्य देव की उपासना की थी। इस तपस्या को उन्होंने कई घंटों तक पानी में रहकर किया था और फिर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया था। जिससे सूर्य देव प्रसन्न हुए थे। इसके बाद से ही बिहार में छठ पूजा मनाने की परंपरा शुरू हुई और इस कारण से ही बिहार में छठ पूजा का बहुत अधिक माना जाता है और सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
क्या है छठ पूजा का महत्व?
आपको बता दें कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार छठ का व्रत प्रकृति को समर्पित माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं की संतान का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है और उसे दीर्घायु का वरदान मिलता है। जो महिलाएं इस व्रत को पूरे नियम के साथ करती हैं तो उनके जीवन में सुख समृद्धि, यश और धन बना रहता है और समस्त मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं इस वजह से यह व्रत करने का बहुत अधिक महत्व होता है।