
- बेखौफ अपराधियों तक नहीं पहुंच रहे पुलिस के हाथ
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। 27 फरवरी 2015- हसनगंज क्षेत्र स्थित बाबूगंज में असलहों से लैस बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर निजी कंपनी के एक कस्टोडियन समेत तीन को मौत की नींद सुला दिया। हत्या करने के बाद खूनी लुटेरे बैंक का 50 लाख रुपए लूटकर भाग निकले। करीब नौ साल में कई एसएसपी बदले अब कमिश्नर की तैनाती, लेकिन बदमाशों को पकड़ने में किसी की भी पुलिसिंग काम नहीं आई।
,,, पांच मार्च 2016 – विकास नगर सेक्टर तीन में बाइक सवार बदमाशों ने बागपत जेल में मारे गए मुन्ना बजरंगी के साले पुष्प जीत समेत दो लोगों के सीने में गोलियों की बौछार कर मौत के घाट उतार दिया। इस सनसनीखेज मामले में पुलिस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन आठ साल गुजरने के बाद भी पुलिस इस नतीजे पर पहुंच सकी कि इनका क़ातिल कौन है।
,,, चार दिसंबर 2015 – मड़ियांव क्षेत्र में IIM रोड पर बेखौफ हत्यारों ने दो महिलाओं की निर्मम हत्या कर सनसनी फैला दी। इनका धड़ मिलने से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस इस घटना में भी अपनी पूरी ताकत झोंक, आज तक पुलिस न तो शवों की पहचान करा पाई और न ही मिले क़ातिल। ऊपर दिए गए ये तीनों सनसनी खेज मामले सूबे की कानून-व्यवस्था का हाल बताने के लिए काफी है। सरकार भले ही बदल गई हो, लेकिन बदमाशों के हौसले पहले की ही तरह बढ़े हुए हैं।
पुलिस के लाख दावों के बाद भी वह लूट व हत्या जैसी घटनाओं पर अंकुश नहीं लगा पा रही है। राजधानी लखनऊ में पुलिसिंग की हकीकत पर गौर करें तो ऐसी दर्जनों घटनाएं पुलिस की फाइलों में गोते लगा रही हैं। इन घटनाओं के खुलासे तो दूर पुलिस लुटेरों एवं कातिलों का हुलिया तक नहीं पता कर पाई। इन घटनाओं के मामले में जब भी किसी जिम्मेदार पुलिस अफसर से पूछा गया तो उनका एक ही जवाब मिला है कि प्रयास जारी है और हत्यारे जल्द ही पकड़ लिए जाएंगे।