- ‘उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोबिंद त्यज निद्रां जगत्पते…:
- देवर्षि नारद करेंगे वीणा के स्वर से नारायण कीर्तन
- स्वर्ग के देवता गंधर्व किन्नर अप्सरायेंं सभी हुए सक्रिय
- नाग लोक मे रहेगा उत्साह,सभी दिग्गज हुए पुलकित
- श्रीगणपतिर्जयतु।..
श्रीगणेश जी विद्या बुद्धि के कारक हैं। इसी लिए बुध के स्वामी हैं।। बुद्धिर्यस्य बलं तस्य.. जिसके पास बुद्धि वही युक्ति से बड़े से बड़े काम को अंजाम तक पहुंचा देता है। एक प्रशासक को बुद्धिमान होना अति आवश्यक है। इसीलिए विश्वप्रकाशक सूर्य के साथ रह कर बुधादित्य योग बना कर ये उसे अत्यंत बुद्धिमान प्रकाशक बनाते हैं। फिर तो ऋद्धि सिद्धि अनुगामिनी होकर उसे हर तरफ से समृद्धि प्रदान करती हैं।
वर्तमान में कार्तिक मास शुक्ल पक्ष का आज दसवां दिन है। सूर्य के धरती के समीप आने का दसवां दिन है आज।.. आकाश समुद्र मे शेष शैया पर महाविष्णु इस बार गुरुवार को योग निद्रा त्याग कर उठेंगे। लोग व्रत कर उनका स्वागत करेंगे। उनके साथ सूर्य सर्वाधिक प्रकाशमान आदित्य और महापराक्रमी सेनापति साथ मौजूद होगा।परमबुद्धिमान बुध भी साथ है। तीनो वृश्चिक राशि( जिसका स्वामी मंगल है) मे उपस्थित है,देवर्षि नारायण सुमधुर वीणा के स्वर के साथ नारायण मंत्र का गान करते हुए भगवान नारायण का स्वागत करेंगे। सूर्य के रथ को ढकेलने वाले दैत्य,नृत्य करती हुई अप्सरा,वेद मंत्रों का गायन करते हुए ऋषि और अन्य सहचरों के आगे आगे नर्तन करते हुए रश्मिसमूहो की तरह बालखिल्य ऋषि गण प्रसन्नता मे भर कर आनंद नृत्य करते हुए सूर्य के आगे आगे चलेंगे। आकाश मे देव गण दुंदुभि शंख आदि बजायेंगे.. मनुष्य गण ताली बजा कर श्लोक का वाचन करेंगे-
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोबिंद त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्।।
ब्रह्मेंद्र रुद्राग्निकुबेरसूर्य सोमादिभिर्वंदित वंदनीय।
बुध्यस्य देवेश जगन्निवास मंत्र प्रभावेण सुखेन देव!।।
इयंतु द्वादशी देव प्रबोधनार्थंविनिर्मिता।
त्वयैव सर्वलोकानां हितार्थं शेष शायिन:।।
इसी के साथ सामगान का गायन करते हुए वेदपाठी ब्राह्मण श्रीहरि का अभिवंदन करेंगे। श्रीनारायण मुस्कराते हुए सबका अभिनंदन स्वीकार करेंगे। महालक्ष्मी (तुलसी) के साथ विराज मान होकर जगत का पालन करेंगे। इसी के साथ धरती पर मंगल कार्य शुरु होजाएंगे।
श्रीअयोध्या धाम की होगी पंच कोशी परिक्रमा
नवमी परिक्रमा पूर्ण हुई। लाखों श्रद्धालुओं ने माता सरयू जी के जयकारे के साथ कल भोर से देर रात कर चौदह कोसी परिक्रमा की। भोर मे सरयू स्नान, नागेश्वर नाथ दर्शन,कनक भवन,हनुमान गढ़ी मे दर्शनार्थियों का तांता लगा रहा। दशमी बुधवार को थकान मिटाने के बाद आज रात 10.34 बजे से एकादशी लगने के साथ पंचकोशी परिक्रमा शुरु होजाएगी जो गुरुवार को रात 8.21बजे तक चलती रहेगी।
भगवन्नाम संकीर्तंन करते हुए भक्त गण,साधु संत व श्रद्धालु नर नारी युवा वृद्ध बालक बालिका सभी सरयू मैया को मत्था नवा कर परिक्रमा की शुरुआत करेंगे। लगभग सभी मंदिरों में अपराह्न से देर रात तक तुलसी शालिग्राम के विवाह की धूम रहेगी। मंडप बना कर विवाह कार्य होंगे और महालक्ष्मी को सुहाग सामग्री के साथ उपहार दिये जाएंगे। सामूहिक विवाह गीतों के साथ कोइंछा भरा जाएगा। रात्रि मे हर मंदिर मे कीर्तन भजन होगा। इस तरह धरती से स्वर्ग तक चोदहों लोक मे मंगल गान का माहौल बन जाएगा।