‘बूँदों की टूटे न लड़ी’ बनती सतत जीवन की कड़ी  

 

प्रो. कन्हैया त्रिपाठी
प्रो. कन्हैया त्रिपाठी

लेखक भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति जी के विशेष कार्य अधिकारी रह चुके हैं। आप केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब में चेयर प्रोफेसर, अहिंसा आयोग व अहिंसक सभ्यता के पैरोकार हैं।

 लोग कहते हैं रेडियो के दिन गए लेकिन रेडियो ने अब भी धूम मचा रखी है। प्रधान मंत्री ने मन की बात से रेडियो को जिस प्रकार जन-जन को जोड़ा कुछ वैसे ही परिणाम आने लगे हैं-बूंदों की टूटे न लड़ी से। यह एक आकाशवाणी लखनऊ द्वारा शुरू की गयी संवाद-सीरीज है। इसकी संकल्पना आकाशवाणी लखनऊ के हेड सुश्री मीनू खरे ने की है। अब इसके 75 एपीसोड पूरे हो चुके हैं। अपने अमृत पड़ाव से आगे बढ़ती ‘बूंदों की टूटे न लड़ी’ शृंखला चलाने की उद्घोषणा मीनू खरे ने जी-20 कार्यकम में की थी। उन्होंने यह सबके सामने वादा किया था कि अब हमें अपने रचनात्मक कार्य को आगे बढ़ाना है और हमारा अगला विषय है-जल। जल संरक्षण पर हम 100 एपीसोड तक नियमित प्रत्येक दिन किसी जल योद्धा से बात करेंगे, और जल-संरक्षण के इस अभियान से जल-समृद्धि लाने की पुरजोर कोशिश करेंगे।

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बात निकली तो दूर तलक जायेगी, इस कथ्य को सब सुने होंगे लेकिन मीनू खरे ने इसको और रोमांचक रूप से अपने संकल्प के माध्यम से सिद्ध कर दिया की कि संकल्प होगा तो दूर तलक जाएंगे, अपने साथ अपने मुल्क की नई सूरत बनायेंगे। बात बहुत सामान्य लगती है जब कोई घोषणा होती है लेकिन कभी-कभी किसी-किसी के संकल्प ही समाज के लिए वरदान बन जाते हैं। कुछ ऐसा ही फलीभूत हो रहा है आकाशवाणी लखनऊ द्वारा प्रसारित की जा रही ‘बूंदों की टूटे न लड़ी’ सीरीज से। इसने उन 75 जल योद्धाओं के साथ अब तक संवाद कायम किया है जिन्होंने अपने समय-काल को प्रभावित किया है। जल संरक्षण के लिए जिया है। सब काम का सुयोग होता है। इसका सुयोग तब बना जब आकाशवाणी लखनऊ द्वारा जी-20 में भारत की अध्यक्षता को उत्सव स्वरूप हम सब सेलीब्रेट कर रहे थे। तमाम विश्वविद्यालयों के युवाओं के साथ यूथ कॉनक्लेव्स का आयोजन हो रहा था। पर्यावरण और सतत विकास लक्ष्य पर विशेष कार्यक्रम हो रहे थे। उस दौरान मीनू खरे द्वारा लिया गया एक निर्णय अब उत्तर प्रदेश के महिलाओं, युवाओं और सेवाभावी लोगों में अपनी जगह बना रहा है। उन्हें इस महत्वपूर्ण शृंखला से आत्मशक्ति मिल रही है। वे जल संरक्षण के लिए जागरूक हो रहे हैं।

3 सितंबर से सतत आकाशवाणी लखनऊ अपने लोकप्रिय एफएम चैनल पर इस अभिनव प्रयोग से लोगों को इस प्रकार बाँध लेगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था। अब जल संरक्षण हेतु वायुतरंगों पर मानव श्रृंखला का निर्माण हो रहा है। जल संरक्षण, रख-रखाव, सामाजिक-आर्थिक व सांस्कृतिक अहमियत से अब उत्तर प्रदेश बदलाव की और बढ़ रहा है, ऐसा कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। यद्यपि यह लखनऊ केंद्र से प्रसारित होने वाला कार्यक्रम है किन्तु इसका प्रभाव पूरे भारत पर हो रहा है, सबसे अहम् बात यह है। देश भर के जल-योद्धाओं के माध्यम से संवाद की पूरी शृंखला में अभी तक इसमें पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी, पद्मश्री उमाशंकर पांडेय, आइएएस श्री हीरा लाल, मैग्सेसे अवार्डी राजेंद्र सिंह, आईपीएस महेंद्र मोदी, आईएफएस चन्द्र भूषण त्रिपाठी, होम्योपैथ डॉ पुनीत सरपल, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शारदा वंशकर आदि शामिल हो चुके हैं। यह 100 दिवसीय ह्यूमन चेन अपने आप में देश की पहली ह्यूमन चेन रेडियो पर बनी है। रेडियो तरंगों पर निर्मित हो रही इस अभिनव सोच की सराहना हो रही है और इसकी पूरी हक़दार मीनू खरे व उनकी संकल्प से सिद्धि तक जाने वाली उनकी टीम को है। 100 दिवसीय मानव श्रृंखला ‘बूँदों की न टूटे लड़ी’ प्रतिदिन जनता से जुड़ती है और जोडती है उनके दिलों को, उनमें अपनी जगह बना देती है।

इसके उदहारण ही तो हैं उत्तर प्रदेश के विभिन्न अंचल में बन रहे रेडियो क्लब। इन क्लबों का कहना है की इस सीरिज ने हमें जल की अहमियत को बता दिया है। हम अब पानी को जाया नहीं करना चाहते। हम बचाना चाहते हैं अपना आज और कल भी क्योंकि जीवन तो जल से ही सुरक्षित रहने वाला है। इसके श्रोताओं का कहना है की जब किसी ऐसे जल योद्धा से बातचीत की जाती है जिसने जल संरक्षण में क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया हो, वे हमें झंकृत कर देते हैं और कुछ करने और सोचने के लिए बाध्य कर देते हैं। आकाशवाणी लखनऊ ने इसमें समाज के हर वर्ग के जल योद्धा शामिल किया है जिसमें पद्म अलंकारों से विभूषित जल योद्धा, ब्यूरोक्रेट्स, वैज्ञानिक, एकेडमिशियंस,गीतकार, गायक, अभिनेता, कम्युनिटी लीडर्स, पत्रकार युवा और सभी आयु के सामान्य जन आदि शामिल हैं। इन जल योद्धाओं ने उत्तर प्रदेश में नई लहर पैदा की है। नई चेतना विकसित की है। नई आवाज़ दी है जल के लिए और सुनहरे कल के लिए।

यदि अब उन प्रेरणा प्राप्त जन-समुदाय की भी बात कर दी जाए तो ही उचित होगा। बाबूपुर महिला रेडियो जल क्लब ग्राम भीमा पुर पोस्ट बाबूपुर ब्लॉक बांकेगंज जिला लखीमपुर खीरी में बना है। यहाँ की बहने अपनी बाबूपुर रेडियो जल क्लब की अध्यक्ष बहन सरिता मिश्रा जी के नेतृत्व में जल को लेकर जागरूकता अभियान चला रही हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम की सूत्रधार मीनू खरे को लिखा आदरणीय मीनू जी सादर प्रणाम। बहन नीलिमा द्विवेदी जी ने महुलारा महिला रेडियो जल क्लब का गठन किया है। जिसकी अध्यक्ष बहन नीलिमा जी है। बहन नीलिमा जी आकाशवाणी लखनऊ की बहुत ही पुरानी जागरूक श्रोता है। वह हमारे भारतीय रेडियो श्रोता संघ की वरिष्ठ उपाध्यक्ष है। इसी प्रकार सफीपुर रेडियो जल क्लब, उन्नाव, कैथनपुरवा रेडियो जल क्लब, अमेठी, ढकिया जोगी महिला रेडियो जल क्लब, लखीमपुर खीरी, बाबूपुर महिला रेडियो जल क्लब, लखीमपुर खीरी, बल्दीराय रेडियो जल क्लब, सुल्तानपुर, कोटवा धाम रेडियो जल क्लब, बाराबंकी, घरवास जोत रेडियो जल क्लब, गोंडा और बैशन पुरवा किसान रेडियो जल क्लब, अमेठी में बना। ये बनते क्लब सामुदायिक चेतना के लिए कार्य करेंगे और यह बदलाव की मिसाल हैं। सबसे अहम् बात यह है की इस बदलाव की मुहिम में जाति-धर्म का भेद मिटाकर आपसी सहयोग के लिए समाज का झुकाव है।

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आकाशवाणी की यह शृंखला शुरू करने से पहले संभवतः मीनू खरे ने सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा चमत्कारिक परिणाम हमें देखने को मिलेगा भी। अब जब उन्हें लिखकर आता है कि आज दिनांक 15 नवंबर 2023 को आकाशवाणी से प्रसारित एफ एम  रेडियो 100।7 पर 100 कड़ियों में प्रसारित हो रहे कार्यक्रम “बूंदों की न टूटे लड़ी” से प्रेरणा लेकर ग्राम पंचायत जैतपुर के पूरे बैशन गांव में गांव के प्रगति शील एवं जागरूक किसानों की एक बैठक का आयोजन पूर्व प्रधान और क्षेत्र के अग्रणी व प्रगति शील किसान अर्जुन सिंह भदौरिया की अध्यक्षता में किया गया।।।मौजूद सभी किसान साथियों ने कृषि और आम उपयोग में जल संरक्षण के हर तरीके अपनाने का संकल्प लिया।।।हमने यह निर्णय लिया कि सभी रेडियो जल क्लब सदस्य स्वयं तो हर प्रकार से जल संरक्षण करेंगे साथ ही मिलने वाले सभी जनमानस और किसानों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करेंगे। और कोई यह कहता है कि हमें ‘बूँदो की ना टूटे लड़ी’ प्रोग्राम बहुत ही पसंद आता है। इतना अच्छा ज्ञानवर्धक प्रोग्राम प्रसारित करने के लिए आकाशवाणी लखनऊ की केंद्र निदेशक आदरणीय मीनू खरे जी धन्यवाद। हमारा रेडियो जल क्लब पूरी तरह से जल को समर्पित है। हम शपथ लेते है कि हम ‘बूँदो की लड़ी’ को टूटने नहीं देंगे हम भी एक जल योद्धा बनेंगे। इससे निःसंदेह मीनू खरे को आत्म-संतोष होता है कि हमने जो शुरू किया वह हमारे समाज के लिए काम आ रहा है, इससे ज्यादा बड़ी ख़ुशी किसी के लिए और क्या हो सकती है। यह हिंदुस्तान के लिए और भारत की जल संस्कृति के लिए अहम् योगदान है और यदि ऐसे कार्यक्रम अपनी रंगत लाते रहे तो भारत के लोगों को कभी भी चिंतित होने की बात नहीं है क्योंकि बदलाव की बयार सदैव समाज में रचनात्मक व शुभकारी साबित होती है। इस कार्यक्रम से भी कुछ ऐसा ही संदेह गया है। जुड़ाव की यह बयार है और यह जीवन रक्षा की बयार है।

 

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