अयोध्या मे परिक्रमा के लिए गए श्रद्धालु

बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
बलराम कुमार मणि त्रिपाठी
  • चरण राम तीरथ चलि जाहीं…।
  • बुधवार की रात 11बजे से चल रही परिक्रमा गुरुवार को रात नौ बजे तक चलेगी
  • पंच कोशी की परिक्रमा के लिए उमड़ी भीड़

वे लोग कितने धन्य हैं जिन्हें मथुरापुरी या श्रीअयोध्या धाम मे एकादशी और नवमी को तीर्थो मे परिक्रमा का अवसर मिला है। भगवान के दर्शन पाने और उनको अंत: करण मे बसाने का यह एक पावन संसाधन है। आप नहीं जानते। आपने कितना बड़ा काम किया है। नाम जपते रहो …फरिक्रमा करते रहो…। यह सुन कर और देख कर मन गदगद होगया। प्रभु श्रीराम बाल्मीकि आश्रम मे गए तो ऋषि ने स्वागत किया। श्रीराम सीता और भैया लक्ष्मण को आश्रम पर आया देख ऋषिवर बहुत प्रसन्न हुआ। ऐसा अतिथि जिसे बुलाने विश्वामित्र महामुनि राजा दशरथ के राजमहल मे गए। वे स्वत: ऋषि बाल्मीकि आश्रम मे पधारे, इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा? किंतु तब यज्ञ की रक्षा करने गए थे। बाल्मीकि आश्रम मे तो वे पिता के सत्य की रक्षा करने के लिए स्वत: आए हैं। ऋषि बाल्मीकि ने इसे परम सौभाग्य माना।

प्रभु श्री राम ने पूछा हमे चौदह वर्ष का वनवास मिला है,कहा़ं रहूं.. श्रीराम वन मे रह कर भजन सत्संग और संतों का दर्शन करते हुए समय व्यतीत करना चाहते है। बाल्मीकिजी कहते हैं “पूछेहु मोहि कि रहौं कहं? मैं पूजत सकुचाउं जहं न होउ तहं देउ  कहि,तुमहि देखावहुं ठाउं।” .. यह प्रसंग मुझे बहुत प्रिय है‌। भक्तों को प्रभु के रहने योग्य अंत:करण बनाने की जिज्ञासा है। हम लोगो कै दिशा मिल गई। जैसे नौकरी ढूंढ़ने गए युवा को अपनी योग्यता परखने का मौका मिल गया हो..। ऋषि बाल्मीकि बताते हैं.. जिनके श्रवणेंद्रिय सागर के समान है कभी आपकी कथा सुनने से अघाय न.. जिनके हाथ आपके चरण के पूजन मे लगे रहें.. जिनके नेत्र सदा आपके दर्शन की अभिलाषा रखते है.. जिनके चरण आपके तीर्थ में जाने के लिए सदा समुत्सुक रहते हैं।उनके अंत; करण मे रहिये। हेराम! जिन नयनों संतों के दर्शन नहीं किए वे नेत्र मोरपंख के समान नकली नेत्र है। जिनके सिर देवता,गुरु,ब्राह्मण को देख झुकते नहीं वे कड़वे तुमरी की तरह हैं‌। यह गृहस्थो के लिए भक्ति के सुंदर उपाय हैं।

 

जिनके मन मे काम क्रोध मद मान लोभ मोह  छोभ राग द्वेष न हो। कपटी न हो द्रोही न हो,जौ मायावी न हों… उनके हृदय मे बस जाओ। जो सबके प्रिय हो,सबके हित की सोचते हो। जो दुख- सुखा,जय पराजय,हानि लाभ मे सम भाव मे रहते हैं,उनके हृदय मे बस जाओ। जो दूसरे की स्त्रियों को मां बहन बेटी की तरह देखे.. दूसरे के धन दौलत स़पत्ति  को लेने के लिए झपट्ठे नहीं मारते। जो मिला है उसीमे संतोस करने वाले है। उनके हृदय मे सदा रहो। यह हमारे जीवन को किस तरह ईश्वर के रहने लायक बनाया जाय..इसका सरल और बिस्तार से वर्णन है। अंत मे श्रीराम की मंशा के अनुसार चित्रकूट गिरि करहु निवास तहं तुम्हार सब भांति सुपासू।। कह कर चित्रकूट मे रहने लायक बताया। जहां अत्रि प्रिया सती अनुसुइया द्वारा तपोवल से लाई गई मंदाकिनी गंगा का पवित्र जल है.. जो सभी पापों को धुलने वाला है,सुंदर उपवन है..जहां संत ,महात्मा  और बहुत सारे ऋषिगण रह कर तपश्चर्या करते है। चित्रकूट को ऋषि ने तीनों को रहने के लायक पवित्र स्थान बताया।

अयोध्या मे होरही पंचकोसी परिक्रमा..

बुधवार की रात 11बजे से सरयू मैया का जल  के माथे से लगाकर श्रद्धालुओं ने  एकादशी की परिक्रमा शुरु कर दी। जो आज रात नौ बजे तक चलेगी। कीर्तन भजन करते श्रद्धालु नर नारी लाखों की संख्या मे परिक्रमा कर रहे हैं। परिक्रमा कर रहे श्रवण कुमार मणि त्रिपाठी ने बताया रात 1.20बजे शुरु हुई परिक्रमा परिवार सहित हमने पांच घंटे मे पूरी की। पराक्रमा के बाद स्नान किए। अब दिन मे दर्शन करने कनक भवन और हनुमान गढ़ी जाएंगे।

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