शासन के निर्देश पर LIU टीम ने इन पुलिस कर्मियों की सत्यनिष्ठा पर उठाए थे सवाल

  • महराजगंज जिले में 53 पुलिस कर्मियों की लाइन हाजिरी बना‌ यक्ष प्रश्न?
  • बीते दिनों चरस तस्करी में एक उपनिरीक्षक भेजा गया था जेल
  • चरस तस्करों में नहीं है सुरक्षा एजेंसियों का खौफ, नेपाल सीमा पर लगातार दो दिनों में पकड़ी गई सौ करोड़ की चरस

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

महराजगंज । भारत सीमा से सटे नेपाल के अंदर कई ऐसे गांव व कस्बे हैं जो नशीले पदार्थों खासकर चरस के गोदाम के रूप में इस्तेमाल हो रहे हैं। इस समय नेपाल के रास्ते चरस की तस्करी जिस रफ्तार में बढ़ी है वह सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय हो सकती है साथ ही यह भी चिंतित करती है कि नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में चरस की खेप इकट्ठी कर वे कौन लोग हैं जो भारतीय युवकों को नशा परोस रहे हैं? नेपाल की खुली सीमा नशीले पदार्थों के तस्कर ही नहीं बिना वीजा पासपोर्ट के आर पार होने वाले विदेशियों के लिए दिन ब दिन मुफीद होती जा रही है। हैरान करने वाली बात है कि पिछले दो दिनों में नेपाल के सोनौली बार्डर से करीब सौ करोड़ की चरस पकड़े जाने के एक दिन बाद ही इसी रास्ते बिना वैध कागजात के भारत से नेपाल जा रहे दो इरानी नागरिक भी पुलिस के हत्थे चढ़ जाते हैं। दो दिन में क्रमवार सौ करोड़ की चरस की बरामदगी और दो इरानी नागरिकों की गिरफ्तारी से ऐसा लगता है कि अवांछनीय तत्वों को यहां सुरक्षा और पकड़े जाने का कोई भय नहीं है। कुछ दिन पहले नेपाल से सोनौली बार्डर पार कर करीब बीस किमी आगे तक निकल आई दो लग्जरी कारों से करीब 88 किलो चरस बरामद हुआ था।

रूटीन चेकिंग के दौरान कोल्हुई थाने की पुलिस ने चकमा दे कर भाग रही दो कारों को दौड़ा कर रोका और उनकी तलाशी ली। तलाशी में चरस की उतनी बड़ी खेप बरामद हुई। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि चरस और कार के साथ जो तीन लोग पकड़ गए उसमें दो गोरखपुर के और एक शाहजहांपुर का निकला। दोनों कारें लखनऊ और गाजियाबाद की थीं। इससे यह साबित होता है कि नेपाल के अंदर चरस की तस्करी का धंधा करने वाले यूपी के पश्चिमी जिलों के निवासी हैं जो गोरखपुर, महराजगंज तथा नेपाल सीमा के अन्य क्षेत्रों के गरीब व बेरोजगार युवकों को मामूली लालच में कैरियर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। कोल्हुई थाने की पुलिस ने जिन तीन लोगों को चरस और लग्जरी कारों के साथ गिरफ्तार किया उन्हें इस धंधे के सरगना की कोई जानकारी नहीं है। इन्होंने बताया कि चरस के इस खेप को उन्हें शामली पंहुचाना था, इसके बदले उन्हें बीस हजार रुपए मिलने थे। इन तीनों को नारकोटिक्स एक्ट में जेल भेज दिया गया है। इस केस में जब कभी फैसला आएगा तो कम से कम दस साल या आजीवन कारावास की सजा तय है। जमानत की भी गुंजाइश बहुत कम है। इस तरह इन तीन युवकों की जिंदगी तबाह मानी जाय।

तस्कर चाहे चरस के हों या किसी अन्य के, होते बहुत चालाक हैं। तस्करी के सामान को कैरियरों के जरिए ही नेपाल सीमा के पार तक पहुंचाया जाता है। इस दौरान तस्कर सरगना सामने नहीं आता। चालांकी इस हद तक बरती जाती है कि गंतव्य तक माल पंहुचाने वाले कैरियर भी एक दूसरे को नहीं जानते। तस्कर ज्यादा तर झाड़ झंखाड़ और पगडंडी मार्गों का इस्तेमाल करते हैं। नेपाल सीमा पर चौकसी सुरक्षा एजेंसियों के बीच नदी नाले व झाड़ झंखाड़ वाले रास्ते बहुत हैं जो सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ा खतरा है। नेपाल से सटे भारत के सोनौली बार्डर से लगातार दो दिनों तक चरस की बड़ी खेप की बरामदगी से नेपाल सीमा पर सक्रिय सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। अभी वे सोनौली बार्डर से 20 किलोमीटर दूर कोल्हुई थाने की पुलिस द्वारा चरस की बरामदगी की समीक्षा कर ही रहे थे कि एक दिन बाद ही तस्करों ने 85 किलो चरस की तस्करी कर दुस्साहस कर बैठे। सीमा की सुरक्षा एजेंसियां चूंकि चौकस थीं इसलिए वे पकड़े गए। कोल्हुई थाने की पुलिस द्वारा 88. 50 किलो चरस की बरामदगी के बाद नेपाल बॉर्डर की सुरक्षा एजेंसियां चौकन्नी हो गई थी।

पुलिस ने नेपाल बॉर्डर के करीब दस किलोमीटर तक पगडंडी मार्ग पर मुखबीरों का जाल बिछा दिया था जिसका नतीजा रहा कि सोनौली कोतवाली पुलिस को चरस के दूसरे बड़े खेप की तस्करी की सूचना मिल गई। नेपाल बार्डर के पिपरहिया चौराहे के रास्ते एक लग्जरी कार से चरस की बड़ी खेप गोरखपुर ले जाए जाते वक्त पुलिस ने उक्त कार को दबोच लिया और उसमें से 85 किलो चरस बरामद हुआ। वहीं मौके से कार सवार तीन आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया की लग्जरी कार से चरस की तस्करी कर नेपाल से गोरखपुर ले जाना था। इसके बदले उन्हें कुछ पारिश्रमिक मिलता। चरस की तस्करी की दूसरी खेप के साथ जो युवक पकड़े गए दरअसल वे भी कैरियर ही थे। तस्करी में इस्तेमाल की गई कार महराजगंज जिले की थी और पकड़े गए चार कैरियर भी महराजगंज जिले के सोनौली कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत अलग-अलग क्षेत्रों के थे। लगातार दो दिन तक बरामद करीब पौने दो कुंटल चरस की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सौ करोड़ की बताई जा रही है। नेपाल यूं तो नशीले पदार्थो की तस्करी का बड़ा केंद्र पहले से ही है लेकिन पिछले कई वर्षों में चरस की इतनी बड़ी खेप नेपाल के किसी भी नाके से नहीं बरामद हुई है। नेपाल सीमा पर चरस की इतनी बड़ी बरामदगी से सुरक्षा एजेंसियों में खलबली होना स्वाभाविक है।

बताते चलें कि भारत-नेपाल की समूची सीमा पर चरस और गांजे की बरामदगी का यह कोई पहला मामला नहीं है। बीते वर्षों में सोनौली कस्टम के अधिकारियों द्वारा लगातार दो दिनों में तीन ट्रकों से 10 कुंतल 42 किग्रा चरस की बरामदगी की जा चुकी है। इतनी बड़ी चरस की बरामदगी शायद अब तक कभी नहीं हुई है। वैसे तो भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजेंसियां हमेशा दावा करती रही है कि पूरी सीमा हाई अलर्ट पर है पर यदि आप आंकड़ों पर जाएंगे तो पता चलेगा की इस सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों का तस्करी रोकने का दावा पूरी तरह खोखला है। सच्चाई तो यह है कि बिना सुरक्षा एजेंसियों के मिले सीमा पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। बीते रविवार को महराजगंज जनपद के पुलिस अधीक्षक डॉ कौस्तुभ ने जनपद के ठूठीबारी कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत लक्ष्मीपुर पुलिस चौकी प्रभारी रणविजय सिंह, ठूठीबारी कोतवाली पर तैनात उप निरीक्षक बाल मुकुंद चौहान, निचलौल थाने पर तैनात उप निरीक्षक फिरोज आलम समेत जिले के 53 पुलिस कर्मियों को सिर्फ इसलिए लाइन हाजिर कर दिया कि ये लोग तस्करों को संरक्षण देकर तस्करी कराते थे। लक्ष्मीपुर पुलिस चौकी का इस तरह का मामला केवल पहली बार का नहीं है इससे पहले भी पुलिस अधीक्षक डॉ कौस्तुभ ने प्रभारी सहित पूरी पुलिस चौकी के सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया था। इतना ही नहीं महराजगंज जिले के सीमावर्ती थानों पर तैनात एक उपनिरीक्षक केवल चरस की ही तस्करी करता था। जो बीते दिनों चरस के साथ पकड़ा गया और आज जेल में हैं।

बता दें कि महराजगंज जनपद के समूचे 84 किमी के दायरे में जो पुलिस थाने हैं उन थानों, चौकियों और थाना कार्यालयों में तमाम सिपाही ऐसे हैं जो दो-दो,तीन-तीन वर्षों से वहीं पड़े हुए हैं अगर उनके मोबाइल की जांच की जाए तो सबसे ज्यादा नंबर तस्करों के ही मिलेंगे। सुरक्षा एजेंसियां दावा जितना भी कर लें भारत- नेपाल सीमा पर तस्करी रूकने का नाम नहीं ले रहा है?

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