
- काठमांडू से विदेश मंत्रालय का बयानः हिंदू होने के बाद रूस ने उन्हें दफनाया
- नेपाल ने कहा हमारे नागरिकों का इस्तेमाल बंद करे मास्को
- मारे गए सैनिकों के परिजनों को उचित मुआवजा दे रूस
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
काठमांडू। नेपाली नागरिकों को यूं हीं बहादुर नहीं कहा जाता है। भारत में बकायदा एक गोरखा रेजीमेंट ही है, जिसमें अधिकांश नेपाली नागरिक ही होते हैं। लेकिन भारतीय सेना की अग्निवीर योजना से किनारा करने वाले नेपाल के गोरखा सैनिक बड़े पैमाने पर रूसी सेना में भर्ती हुए थे। नेपाली विदेश मंत्रालय ने खुलासा किया है कि यूक्रेनी सेना से जंग लड़ते हुए अब तक नेपाल के छह गोरखा सैनिक मारे गए हैं। इनके शव तक रूस से नहीं आ सके और हिंदू होने के बाद भी उन्हें वहीं दफना दिया गया है। इसके बाद भी नेपाली सैनिकों के रूस पहुंचने का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। आलम यह है कि हर दिन नेपाल का एक नागरिक मास्को स्थित नेपाली दूतावास से लौटाया जा रहा है। ये नेपाली गोरखा सैनिक रूस की सेना में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं।
बताते चलें कि रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 22 महीने से लड़ाई चल रही है जो अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल की सरकार ने अपने नागरिकों को रूस की सेना में शामिल होने की अनुमति नहीं दी है लेकिन इसके बाद भी हर दिन कोई न कोई नेपाली गोरखा मास्को पहुंच रहा है। नेपाल सरकार की ओर से केवल ब्रिटेन और भारतीय सेना में शामिल होने की अनुमति है।
नेपाली राजदूत ने यह भी कहा कि देश के युवाओं को खूब सारा पैसा देने का वादा किया जा रहा है और ज्यादातर को रूस भेजा रहा है। यही नहीं प्रत्येक नेपाली युवा 10 लाख रुपये एजेंट को देकर तब तस्करी के जरिए रूस पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि हर दिन हम कम से कम एक युवक को वापस नेपाल भेज रहे हैं। इन सभी को रूसी सेना में शामिल होने का लालच देकर लाया गया था। नेपाली राजदूत ने कहा कि इन युवकों के पास अगर यात्रा दस्तावेज नहीं है तो उन्हें जारी किया जाता है।
नेपाली युवकों के शव मांग रही प्रचंड सरकार
इससे पहले नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी करके कहा था कि नेपाली नागरिक युद्धग्रस्त देशों में विदेशी सेनाओं में शामिल नहीं हों। रूस में मारे गए नेपाली गोरखा सैनिकों को अपने देश की जमीन तक नसीब नहीं हो रही है। नेपाली विदेश मंत्रालय ने बताया कि मारे गए नेपाली युवकों के शव को रूसी सेना ने वहीं दफना दिया है। नेपाल ने अब रूस से मांग की है कि वह नेपाली युवकों के दफनाए हुए शव को वापस भेज दे ताकि उनका हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जा सके। नेपाल के कई नागरिक टूरिस्ट वीजा लेकर जा रहे हैं और वहां सेना में शामिल हो जा रहे हैं।
रूसी सेना में कितने नेपाली गोरखा ?
नेपाली गोरखा दुनिया के कई देशों की सेनाओं में शामिल हो रहे हैं। नेपाली पीएम प्रचंड ने पत्रकारों के साथ बातचीत में खुलासा किया कि अभी कई नेपाली युवा रूसी सेना में सेवाएं दे रहे हैं और यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि नेपाल के कुछ युवा यूक्रेन की सेना में भी शामिल हैं। वहीं रूस में नेपाल के राजदूत मिलन राज तुलाधर का अनुमान है कि रूसी सेना में कुल 150 से लेकर 200 गोरखा सैनिक हैं। उन्होंने कहा कि रूसी सेना में शामिल जो भी नेपाली नागरिक उनके संपर्क में आ रहा है, उन्हें यूक्रेन युद्ध के खतरों के बारे में बताया जा रहा है और तत्काल वापस काठमांडू लौट जाने के लिए कहा जा रहा है।