भारतीय अर्थव्यवस्था में पहली बार विनिर्माण निर्यात को मिली बढ़त: वैष्णव

नई दिल्ली।  केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज दावा किया कि भारत की अर्थव्यवस्था एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच गयी है जहां निर्यात बाज़ार में विनिर्माण क्षेत्र ने सेवा क्षेत्र को पीछे छोड़ दिया है और जल्दी ही भारत का निर्यात एक ट्रिलियन डॉलर के स्तर को पार कर जाएगा। उन्होंने यह भी दावा किया भारत आज हर साल एक करोड़ 80 लाख नये रोज़गार अवसर पैदा कर रहा है। वैष्णव ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में ये जानकारियां साझा कीं।  वैष्णव ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंच गयी है। देश में लंबे समय से विनिर्माण यानी मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने की बात कही जाती रही लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था। बीते 40 से 50 साल के दौरान भारत में विनिर्माण लगातार घटता रहा और हम उसकी क्षमता का दोहन नहीं कर पाये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया के नारे का मज़ाक उड़ाते थे और आज हालात खुद उनका ही मज़ाक उड़ाने लगे हैं।

उन्होंने कहा कि आज हम उस स्थिति में पहुंच गये हैं जब हमारा निर्यात एक ट्रिलियन यानी दस खरब डॉलर के करीब पहुंचने वाला है और जल्दी ही हम इस स्तर को पार कर लेंगे। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय निर्यात 7.62 खरब डॉलर से अधिक का रहा। इसमें से विनिर्माण निर्यात 4.53 खरब डॉलर और सेवा क्षेत्र निर्यात 3.09 खरब डॉलर का रहा। उन्होंने बताया कि पहले हम केवल तीन चार वस्तुओं का भी निर्यात करते थे। अब निर्यात करने वाली वस्तुओं की सूची भी लंबी हो रही है। बीते वर्ष हुए निर्यात में सर्वाधिक 97 अरब डॉलर पेट्रोलियम पदार्थ, 19 अरब डॉलर फार्मास्युटिकल्स, 12 अरब डॉलर टेलीकॉम उपकरण, 11 अरब डॉलर इलैक्ट्रिकल मशीनरी, आठ अरब डॉलर एल्युमिनियम उत्पाद, 8.7 अरब डॉलर मोटर वाहन एवं कार तथा चार अरब डॉलर के इलैक्ट्रॉनिक्स उपकरण का निर्यात हुआ है।

उन्होंने कहा कि जापान, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और चीन आदि विकसित देशों की अर्थव्यवस्था का विस्तार एवं स्थायित्व विनिर्माण क्षेत्र की मजबूती पर ही आधारित रहा है। इसलिए भारत को भी विकसित देशों की श्रेणी में लाने के लिए भारत में विनिर्माण क्षेत्र का विस्तार बहुत ही महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मेक इन इंडिया, डिज़ाइन इन इंडिया, इनोवेट इन इंडिया जैसे मिशनों की बड़ी भूमिका रही है। आज भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता एवं लागत दोनों वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी हैं और इसी से हमारा निर्यात बढ़ रहा है। वैष्णव ने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र के मजबूत होने से रोज़गार भी तेजी से बढ़े हैं और भविष्य निधि के खातों का अध्ययन करें तो पाएंगे कि पहले औपचारिक रोज़गार छह लाख प्रति माह के स्तर पर था, वह अब 14 से 15 लाख प्रति माह के स्तर पर पहुंच गया है। यानी करीब एक करोड़ 70 से 80 लाख रोज़गार सालाना पैदा हो रहे हैं जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सालाना दो करोड़ रोज़गार के वादे के करीब है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश में एक समय 98 प्रतिशत मोबाइल फोन आयात होते थे और आज 99.2 प्रतिशत मोबाइल फोन भारत में निर्मित हैं। एपल जैसी कंपनियां भारत में मोबाइल विनिर्माण कर रहीं हैं और आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन चुका है। मोबाइल निर्यात के मामले में हम चौथे नंबर पर हैं। बीते वित्त वर्ष में 11 अरब डॉलर का मोबाइल फोन सेट निर्यात हुआ जो चालू वित्त वर्ष में 15 अरब डॉलर यानी करीब सवा लाख करोड़ रुपए के पार चला जाएगा। वैष्णव ने कहा कि खिलौना निर्यात में भी हम चार हजार करोड़ रुपए से अधिक अर्जित करने लगे हैं। मोबाइल बैटरी एवं मोबाइल के अन्य उपकरणों के निर्माण में भी हम तेजी से बढ़ रहे हैं। अगले वर्ष सेमीकंडक्टर का विनिर्माण आरंभ हो जाएगा। (वार्ता)

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