

यूपी और बिहार में दशको तक परिवारवाद जातिवाद और तुष्टीकरण की राजनीति का वर्चस्व रहा है। दोनों ही प्रदेशों में एक ही परिवार के सदस्यों को वर्षों तक सत्ता में रहने का अवसर मिला। आज भी बिहार में क्षेत्रीय पार्टी सत्ता में है। उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय पार्टी मुख्य विपक्षी की भूमिका में हैं। इनमें पीढ़ीगत बदलाव हुए।लेकिन विचार और समीकरण यथावत हैं। इनमें बदलाव की कोई गुंजाइश भी नहीं हैं। क्योंकि इनका पूरा अस्तित्व ही जाति मजहब पर आधारित है। दूसरी ओर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार और संगठन नई राजनीति पर अमल कर रहा है। इसमें सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वस शामिल हैं। विपक्षी पार्टियों का जातिवाद संकुचित है। इसमें जाति विशेष का ही महत्व होता है। इसके बाद वोटबैंक का महत्व होता है। दूसरी तरफ नरेंद्र मोदी गरीब को ही अपना मान कर चलते हैं। वह परिवारवाद और तुष्टीकरण की राजनीति के विरोधी हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसी प्रकार का संदेश दिया है।
मध्यप्रदेश में मोहन यादव और छत्तीसगढ़ में विष्णु देव को मुख्यमंत्री बनाया गया। पिछड़ा वर्ग और वनवासी समुदाय को सम्मान दिया गया। दोनों का जन्म गरीब परिवारों में हुआ। विरासत में इन्हें सत्ता या राजनीति नहीं मिली। संघ और भाजपा में इन्हें वैचारिक प्रतिबद्धता अवश्य मिली। यह राष्ट्रवाद की विचारधारा है। इसमें विकास सबका तुष्टीकरण किसी का नहीं यह भाव है। साँस्कृतिक राष्ट्रवाद पर गर्व की अनुभूति है। पार्टी हाईकमान और विधायक दल का निर्णय इसी पर आधारित था। ऐसा ही निर्णय राजस्थान में देखने को मिला है। भाजपा का यह निर्णय उन क्षेत्रीय दलों के लिए चुनौती की तरह है जो परिवारवाद तक ही सीमित रहते हैं। सत्ता में रहते हुए एमवाय समीकरण पर अमल होता है, विपक्ष में पीडीए याद आता है।
मोहन यादव कई संदर्भों में परिवारवाद की राजनीति से बिल्कुल अलग हैं। वहां उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। राष्ट्रवाद की विचारधारा पर उनका पूरा विश्वस है। यह आशा है कि वह इसी विचार पर मध्यप्रदेश के शासन का संचालन करेंगे। उनकी यह छवि ही बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करेंगी। यहां के क्षेत्रीय दलों के सामने एक चुनौती होगी। मोहन यादव ने विक्रमादित्य शोधपीठ का गठन किया। वह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भारतीय नववर्ष मनाने की परंपरा का दशको से निर्वाह कर रहे हैं। यह प्रतिवर्ष भव्य उत्सव शिप्रा तट पर आयोजित किया जाता है। मोहन यादव धार्मिक आयोजनों में सक्रिय भागीदारी करते हैं। इसके साथ ही पारंपरिक आयोजनों में शामिल होकर साहित्यिक,सांस्कृतिक, कला,विज्ञान,पुरातत्व, वेद ज्योतिष सम्बन्धी कार्यक्रम समारोह में उनका सक्रिय योगदान रहता है। उज्जैयनी का पर्यटन, विश्वकाल गणना के केंद्र डोंगला का लेखन, संकल्प शुभकृत, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव आदि पुस्तकों का प्रकाशन किया।
उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं, जो की वर्ष 2013 में पहली बार इस क्षेत्र से विधायक बने थे, जिसके बाद वर्ष 2018 में फिर इसी विधानसभा सीट से विजय श्री हुए। उन्होंने 2 जुलाई 2020 को शिवराज सरकार मे उच्च शिक्षा मंत्री की शपथ ली थी। जिसके बाद 3 दिसंबर 2023 को वे लगभग 13000 मतों से उज्जैन दक्षिण क्षेत्र से विजय श्री घोषित हुए थे। डॉ. मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था। शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रह चुके मोहन यादव के पास आधा दर्जन से भी ज्यादा डिग्रियां हैं। वो बीएससी, एलएलबी और पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुके हैं।