जयपुर से राजेंद्र गुप्ता
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत का खासा महत्व माना जाता है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है और मान्यता है कि यह व्रत रखने से व्यक्ति को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। हर माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं। ठीक ऐसे ही दिसंबर के महीने में आने वाला प्रदोष व्रत 24 दिसंबर को पड़ने जा रहे हैं।
प्रदोष व्रत की तिथि
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 दिसंबर, दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 24 मिनट पर आरंभ होगी। इसका समापन 25 दिसंबर, दिन सोमवार को सुबह 5 बजकर 54 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, दूसरा प्रदोष व्रत 24 दिसंबर को रखा जाएगा और पूजा का मुहूर्त शाम बजकर 30 मिनट से रात 8 बजकर 14 मिनट रहेगा।
साल के आखिरी प्रदोष व्रत के उपाय?
दिसंबर में पड़ने वाले दोनों प्रदोष व्रत साल के आखिरी प्रदोष व्रत हैं। कुछ उपाय करने से आपको सालभर की पूजा का फल मिल सकता है और आने वाला नया साल शिव कृपा में बीत सकता है। साल के आखिरी प्रदोष व्रत पर शिवलिंग की पूजा के दौरान जल चढ़ाने के बाद वह थोड़ा सा जल अपने घर पर ले आएं और उसे संभालकर मंदिर में रख दें। व्रत का पारण करते समय उस जल को ग्रहण को पूरा पी जाएं।
साल के आखिरी प्रदोष व्रत पर भगवान शिव को पंचामृत से अभिषेक कराएं और माता पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें। इससे शिव-शक्ति की कृपा बनी रहेगी और वैवाहिक जीवन में प्रेम एवं मधुरता बढ़ेगी। साल के आखिरी प्रदोष व्रत पर पीपल के पेड़ की पोजा करें। भगवान शिव और माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं। इस दिन जरूरतमंदों को दान करें। इससे आने वाले नए साल में आपके घर सुख-समृद्धि का वास होगा।
प्रदोष व्रत फल : हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है। सोमवार का प्रदोष, मंगलवार को आने वाला प्रदोष और अन्य वार को आने वाला प्रदोष सभी का महत्व और लाभ अलग अलग है।
रविवार : जो प्रदोष रविवार के दिन पड़ता है उसे भानुप्रदोष या रवि प्रदोष कहते हैं। इस दिन नियम पूर्वक व्रत रखने से जीवन में सुख, शांति और लंबी आयु प्राप्त होती है। रवि प्रदोष का संबंध सीधा सूर्य से होता है। अत: चंद्रमा के साथ सूर्य भी आपके जीवन में सक्रिय रहता है। यह सूर्य से संबंधित होने के कारण नाम, यश और सम्मान भी दिलाता है। अगर आपकी कुंडली में अपयश के योग हो तो यह प्रदोष करें। रवि प्रदोष रखने से सूर्य संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
सोमवार : सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर इसे सोम प्रदोष कहते हैं। यह व्रत रखने से इच्छा अनुसार फल प्राप्ति होती है। जिसका चंद्र खराब असर दे रहा है उनको तो यह प्रदोष जरूर नियम पूर्वक रखना चाहिए जिससे जीवन में शांति बनी रहेगी। अक्सर लोग संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं।
मंगलवार : मंगलवार को आने वाले इस प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं। इस दिन स्वास्थ्य सबंधी तरह की समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। इस दिन प्रदोष व्रत विधिपूर्वक रखने से कर्ज से छुटकारा मिल जाता है।
बुधवार : इस दिन को आने वाले प्रदोष को सौम्यवारा प्रदोष भी कहा जाता है यह शिक्षा एवं ज्ञान प्राप्ति के लिए किया जाता है। साथ ही यह जिस भी तरह की मनोकामना लेकर किया जाए उसे भी पूर्ण करता है। यदि आपमें ईष्ट प्राप्ति की इच्छा है तो यह प्रदोष जरूर रखें।
गुरुवार : इस गुरुवारा प्रदोष कहते हैं। इससे आपक बृहस्पति ग्रह शुभ प्रभाव तो देता ही है साथ ही इसे करने से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। अक्सर यह प्रदोष शत्रु एवं खतरों के विनाश के लिए किया जाता है। यह हर तर की सफलता के लिए भी रखा जाता है।
शुक्रवार : इसे भ्रुगुवारा प्रदोष कहा जाता है। जीवन में सौभाग्य की वृद्धि हेतु यह प्रदोष किया जाता है। सौभाग्य है तो धन और संपदा स्वत: ही मिल जाती है। इससे जीवन में हर कार्य में सफलता भी मिलती है।
शनिवार : शनि प्रदोष से पुत्र की प्राप्ति होती है। अक्सर लोग इसे हर तरह की मनोकामना के लिए और नौकरी में पदोन्नति की प्राप्ति के लिए करते हैं।
नोट : रवि प्रदोष, सोम प्रदोष व शनि प्रदोष के व्रत को पूर्ण करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। सर्वकार्य सिद्धि हेतु शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई भी 11 अथवा एक वर्ष के समस्त त्रयोदशी के व्रत करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य और शीघ्रता से पूर्ण होती है। प्रदोष रखने से आपका चंद्र ठीक होता है। अर्थात शरीर में चंद्र तत्व में सुधार होता है। माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। मानसिक बैचेनी खत्म होती है।