- करीब एक दशक बाद शीघ्र ही NCR में होगा अपना आशियाना
- चार लाख से अधिक मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों को मिलेगी राहत
- बैंक का लोन, किराए के घर में रहने की दोहरी त्रासदी झेल रहे थे लोग
लखनऊ । अमीर हो या गरीब क्षमता के अनुसार एक अदद घर हर किसीका सपना होता है। ऐसा घर जिसमें उसे सुकून और शांति मिले। जिसे अपना कहने में उसे गर्व और उपलब्धि महसूस हो। मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग एक अदद आवास के सपने के लिए जीवन भर पाई पाई जोड़ता है। कुछ तो अपने जीवन भर की पूंजी भी इसमें लगा देते हैं। ऐसा करने के बाद भी अगर एक दशक से उनके घर का सपना पूरा न हो पाया हो तो उनके और उनके परिवार वालों की मनोदशा को समझा जा सकता है। तब तो और भी जो एक उम्मीद में इस बाबत लिए गए बैंक लोन को भी चुका रहे हैं और किराए के घर का किराया भी।
अब इनके सपने को सरकार पूरा करने जा रही है। शीघ्र ही इन लोगों के पास अपना घर होगा। लिगेसी स्टाल्ड रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स की समस्याओं के समाधान के लिए नीति आयोग के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ कांत की अध्यक्षता में गठित समिति के प्रस्ताव इसका जरिया बनेंगे। उल्लेखनीय है कि करीब 4.12 लाख घर व फ्लैट्स ऐसे हैं जो डेवलपर्स की खराब वित्तीय हालत की वजह से अधूरे हैं। इसमें से 2.40 लाख तो सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में हैं। ये नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यीडा में हैं। इन परियोजनाओं के अधूरा होने की वजह डेवलपर्स की खराब वित्तीय स्थित के अलावा, मुकदमेबाजी, पर्यावरण संबधी अड़चनें, कुछ साल पहले रियल स्टेट सेक्टर में आई मंदी और कोविड रही। साथ पूर्व की सरकारों की उपेक्षा भी एक बहुत बड़ी वजह रही।
सभी हित धारकों को ध्यान में रखते हुए सरकार दे रही समाधान
अब सभी हित धारकों (प्राधिकरण, डेवलपर्स,वित्तीय संस्थाएं और खरीददार )के हितों का ध्यान में रखते हुए अभिताभ कांत की समिति ने इसका प्रभावी समाधान निकाला है। इसमें कोविड, मुकदमेंबाजी या अन्य किसी वजह से जितने समय तक किसी प्रोजेक्ट का काम रुका रहा है उसे जीरो पीरियड घोषित कर इससे जुड़े स्टेक होल्डर्स को रियायत देना। जो आवास पूर्ण हैं उनका तुरंत उनको खरीदने वालों को कब्जा देना। अधूरे पड़े प्रोजेक्ट्स को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए कोडेवलपर्स को जोड़ना और उसके द्वारा किए गए निर्माण के लिए उसको ज्वाबदेह बनाना जैसे प्रस्ताव शामिल हैं।
को डेवलपर्स की होगी महत्वपूर्ण भूमिका
इसमें को डेवलपर्स की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी। यह सर्वप्रथम अधूरे फ्लैट्स को पूरा कर खरीददारों को उपलब्ध कराएंगे। इसके बाद प्रोजेक्ट्स के खाली हिस्से में तय व्यावसायिक गतिविधियों के लिए निर्माण कराएंगे। इन सबसे जो भी पैसा मिलेगा वह विकास प्राधिकरण के एस्क्रो अकाउंट में जमा होगा। ताकि पहले प्राधिकरण के देयों का भुगतान हो सके। इनको प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए तीन साल का समय दिया जाएगा। इससे न केवल लाखों लोगों के एक अदद घर का सपना पूरा होगा। बल्कि निर्माण कार्य शुरू होने पर बहुतों को रोजगार भी मिलेगा। रियल सेक्टर में बूम आना भी स्वाभाविक है। उल्लेखनीय है कि यह खुद में यह एक महत्वपूर्ण सेक्टर है। इसमें 200 से अधिक इंडस्ट्रीज जुड़ी हैं। इस सेक्टर में अच्छा खासा रोजगार भी सृजन होता है।
इंडस्ट्रीज को भी राहत
जिन वजहों से घरों और फ्लैट्स की खरीद बिक्री प्रभावित हुई उनसे प्रदेश के औद्योगिक प्राधकृणों में इंडस्ट्रीज और आईटी पार्क के लिए प्लाट खरीदने वाले भी कमोबेश प्रभावित हुए। योगी सरकार ने इनको भी राहत दी है। इसके बाबत जारी पहले के शासनादेश में संशोधन कर इसकी सूचना संबंधित प्राधिकरणों के सक्षम अधिकारियों को भेज दी गई है।समग्र रूप से बड़ी राहत दी गई है। पहले के शासनादेश के अनुसार आठ वर्ष पूर्व आवंटित भूखंड पर 31 दिसंबर 2022 तक काम न शुरू होने की दशा में उसे संबंधित प्राधिकरण से अटैच करने को लेकर नोटिस जारी किया जाना था। यानी ऐसे भूखंडों का आवंटन निरस्त किया जाना था।
नए और संशोधित आदेश से आवंटन स्वतः निरस्त माने जाने योग्य भूखंड को प्राधिकरण में निहित किए जाने की तिथि को 31 दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है। इस नई व्यवस्था के बाबत शासनादेश जारी करने के साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यीडा, यूपीसीडा, गीडा, सीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों को विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिया है। सरकार के इस फैसले से भी निवेश और रोजगार में भी काफी इजाफा होगा।