क्या भारतीय सेना में इतिहास बन कर रह जाएंगे नेपाल के गोरखा सैनिक?

  • गोरखा युवाओं को लेकर ताक में हैं चीनी ड्रैगन

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

काठमांडू। नेपाल के गोरखा सैनिक रूस से लेकर यूक्रेन तक में जंग लड़ रहे हैं। इन युद्धरत देशों में कम पैसा और जान के खतरों के बाद भी नेपाली युवा वहां जाने को मजबूर हो रहे हैं। नेपाल के विदेश मंत्री नारायण प्रसाद सौद ने मंगलवार को दावा किया है कि रूसी सेना में शामिल 100 के करीब नेपाली युवा लापता और घायल हैं। 6 के मारे जाने की भी खबर है। उन्‍होंने कहा कि इस समय नेपाल के करीब 200 गोरखा पैसे के लिए रूसी सेना की ओर से यूक्रेन से लड़ रहे हैं और यह संख्‍या और भी ज्‍यादा हो सकती है। नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड खुलासा कर चुके हैं कि कई गोरखा सैनिक यूक्रेन की सेना की ओर से भी लड़ रहे हैं। नेपाल ने रूस से गोरखा सैनिकों की भर्ती बंद करने को कहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाली गोरखा सैनिकों के यूक्रेन की जंग में हिस्‍सा लेने की एक बड़ी वजह भारतीय सेना की अग्निवीर योजना है।

भारतीय सेना में नेपाल के गोरखा सैनिकों की भर्ती रुकी

नेपाल ने साफ कह दिया है कि वह भारत की नई अग्निवीर योजना के तहत अपने युवाओं की भर्ती नहीं होने देगा। इसी वजह से गोरखा सैनिकों की भर्ती भारत की सेना में रुकी हुई है। इससे गोरखा ब्रिगेड में लगातार उनकी संख्‍या भी अब कम होती जा रही है। गोरखा सैनिकों की दिलेरी के बारे में कहा जाता है कि वे मौत से भी नहीं डरते और दुश्‍मन की आंख में आंख डालकर हमला करते हैं। अग्निवीर योजना की खामियों के बारे में हाल ही में भारत के पूर्व सेना प्रमुख मुकुंद नरवणे ने भी अपनी किताब में खुलकर लिखा था। उन्‍होंने अपनी किताब में लिखा है कि जनरल बिपिन रावत की डिजाइन की हुई अग्निवीर योजना को पहले केवल 5000 सैनिकों पर ही पायलट प्रॉजेक्‍ट के रूप में लागू किया जाना था।

अग्निवीर योजना 1947 की संधि का उल्‍लंघन: नेपाल

अग्निवीर योजना के लागू होने के बाद जून 2022 से ही नेपाली गोरखा अग्निवीर की भर्ती रुकी हुई है। इससे पहले कोरोना की वजह से ये भर्ती नहीं हो पाई थी। भारत-नेपाल और ब्रिटेन की सरकार के बीच गोरखा सैनिकों की भर्ती को लेकर समझौता हुआ था। भारत ने बिना नेपाल के साथ विचार विमर्श के अग्निवीर योजना का ऐलान कर दिया। गोरखा सैनिक ब्रिटिश काल से ही महान योद्धा माने जाते रहे हैं। भारत के लिए गोरखा सैनिकों का शामिल होना केवल ‘भर्ती’ नहीं था बल्कि यह दोनों देशों के बीच करीबी रिश्‍ते को दर्शाता था। अब नेपाल में अग्निवीर योजना को लेकर लोग बंटे हुए हैं।

नेपाल में माओवादी दल लंबे समय से मांग कर रहे थे कि नेपाली युवाओं की भर्ती को बंद किया जाए। अब माओवादी प्रचंड नेपाल के पीएम हैं, ऐसे में उनसे झुकने की उम्‍मीद न के बराबर है। नेपाल के आर्मी चीफ ने भी कहा है कि वे गोरखा सैनिकों के भारतीय सेना में भर्ती का विरोध नहीं करते हैं, उनका विरोध केवल अग्निवीर योजना को लेकर है। नेपाल सरकार का मानना है कि भारत की अग्निवीर योजना 1947 की संधि का उल्‍लंघन है। प्रचंड सरकार अग्निवीर योजना पर राजनीतिक सहमति बनाने की कोशिश कर रही है लेकिन इन सबके बीच गोरखा ब्रिगेड और उसकी 38 बटालियन का भविष्‍य अधर में लटक गया है।

साल 2030 तक गोरखा बटालियन पर संकट!

यही नहीं भारतीय सेना अब नेपाली गोरखा की कुमायूं, गढ़वाली और नागा सैनिकों को भर्ती करने पर विचार कर रही है। वह भी तब जब गोरखा सैनिक रहे फील्‍ड मार्शल सैम मानेकशॉ पर फिल्‍म बनी है। भारत और नेपाल में उन्‍हें पूरे सम्‍मान के साथ याद किया जाता है। रिटायर मेजर जनरल अशोक मेहता अपने एक लेख में चेतावनी देते हैं कि अगर ऐसे ही रहा तो साल 2030 तक कोई भी विशुद्ध गोरखा बटालियन नहीं बचेगी। उन्‍होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर गोरखा सैनिकों को भारत भर्ती नहीं करता है तो पड़ोसी चीन उनकी तरफ लालचभरी नजरों से देख रहा है। इससे भारत के लिए खतरा और ज्‍यादा बढ़ जाएगा। भारत-नेपाल के बीच रिश्‍ते फिर कभी वैसे नहीं रह जाएंगे, जैसे दोस्‍ती भरे अभी हैं।

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