- मरीजों के परिजनों को लूट रहे मेदांता के डॉक्टर
- बगैर वेंटीलेटर पर रखे लगा दिया वेंटिलर का चार्ज
- मरीज को डिस्चार्ज करने में लगा दिए पांच घंटे
राकेश यादव
लखनऊ। राजधानी के मेदांता अस्पताल में डॉक्टरों और स्टाफ की अराजकता थमने का नाम नहीं ले रही है। हाल ही में मेदांता अस्पताल में मृतक मरीज के परिजनों से वसूली का एक वीडियो वायरल हुआ था। सोमवार को मेदांता अस्पताल का एक और सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। आगरा से उपचार के लिए मेदांता लाए गए एक मरीज का परिजनों से मरीज को बगैर वेंटीलेटर पर रखे ही बिल में वेंटीलेटर पर रखे जाने का चार्ज वसूल किया गया। यही नहीं मरीज के परिजनों ने हालत में सुधार नहीं होने पर जब डिस्चार्ज करने को कहा तो अस्पताल प्रशासन के कर्मियों ने मरीज का डिस्चार्ज करने में पांच घंटे से अधिक का समय लगा दिया। काफी जद्दोजहद के बाद परिजन किसी तरह से मरीज को डिस्चार्ज करा पाए। मेदांता के डॉक्टरों और प्रशासन के रवैए से परिजन काफी आक्रोशित नजर आए।
मिली जानकारी के मुताबिक आशियाना निवासी रिंकू गोयल इस भरोसे के साथ की मेदांता में अच्छा उपचार होता है अपने पिता झम्मन लाल गोयल को जोकि यूरिन और लांस इन्फेक्शन से पीड़ित थे। उन्हे आगरा के एक अस्पताल से डिस्चार्ज कराकर बीती 17 दिसंबर को लखनऊ के मेदांता अस्पताल लाए। करीब 14 दिन उपचार के बाद भी मरीज के सेहत में कोई सुधार नहीं होता देख उन्होंने अस्पताल प्रशासन से पिता (मरीज) को डिस्चार्ज करने को कहा। मरीज को डिस्चार्ज करने में अस्पताल प्रशासन में पांच घंटे से अधिक का समय लगा दिया।
मरीज झम्मन लाल गोयल के बेटे भगवती प्रसाद गोयल, रिंकू गोयल, मोहिनी ने बताया कि आज एक बजे हमने इनसे डिस्चार्ज के लिए बोला। इन्होंने बोला डिस्चार्ज करने में दो घंटा लग जायेगा। दो घंटे क्यों लगेंगे इस सवाल पर इनका कहना था कि प्रोसेस में इतना समय लग जाता है। इन्होंने हमारा पेसेंट साढ़े पांच और छह बजे के बीच हमको दिया है। ऊपर आईसीयू से नीचे इनका जो बिल आता है उसमे इन्होंने 27 दिसंबर और आज का वेंटीलर चार्ज लगा रखा था। पिताजी न तो 27 को वेंटीलेटर पर थे और न आज ही, आज तो पूरे दिन हम उन्हीं के पास थे। वेंटीलेटल का एक्स्ट्रा चार्ज हटाने में इन्होंने हमारा दो घंटे बर्बाद किया। उन्होंने आरोप लगाया को अस्पताल प्रशासन के लोगों को बात करने तक की तमीज नहीं है। अस्पताल में बेवकूफ लोग बैठे हुए है। इनको सिर्फ और सिर्फ पैसा चाहिए। अब तक 11 लाख से अधिक ले चुके हैं। इसके बाद भी मरीज की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ है। इस दौरान मरीज के परिजनों और अस्पताल प्रशासन के बीच जमकर नोकझोंक भी हुई। पैसे को लेकर हुई कहासुनी के बाद मरीज के परिजन अस्पताल प्रशासन को कोसते हुए बाहर निकल गए। इस संबंध में जब मेदांता अस्पताल के निदेशक राकेश कपूर से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। अस्पताल प्रशासन के एक अन्य अधिकारी ने इस मसले पर चुप्पी साध ली।