
संजय तिवारी
नवीन कैलेंडर वर्ष में श्रीराम की मंगलमय उपस्थिति के साथ सनातन विश्व की नवीन यात्रा शुरू हो रही है। श्रीराम सर्वशक्तिमान, हैं, सर्वगुणाधार हैं, सृष्टिकर्ता हैं, सबके एकमात्र स्वामी हैं, ऐश्वर्य, माधुर्य, कारुण्य, प्रेम , दया , संबंध और मर्यादा के अथाह समुद्र हैं, हमारे परम सुहृद हैं। इस बातपर विश्वास होते ही उनके प्रति अपने-आप हृदय खिंच जाता है। शास्त्र और पूज्य संतोंकी वाणीपर विश्वास करके अब श्रीराम की नवीन छवि को ऐसा समझ लेने का नवयुग आरंभ हो रहा।
जगत के कल्याण का सनातन युग। श्रीराम के सदृश कोई वस्तु हमारी दृष्टिमें न रहेगी, तब हमारा हृदय उन्हींका निवासस्थान बन जायगा। हमारा चित्त उन्हींके चिन्तनमें डूब जायगा। श्रीराम के चिंतन के साथ सृष्टि सब रच रही है। मनु से बाल्मीकि, व्यास और तुलसी तक की इस नव यात्रा में सभी का मंगल होगा ही। प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो , विश्वगुरु स्वरूप भारत की स्थापना हो।