देश के संकट को मिटाने का एक मात्र उपाय केवल राजतंत्र : श्रीराम मिश्र

  • कपिलवस्तु में राजा के दर्शन को उमड़ा जनसैलाब
  • गणतंत्रवादियों ने देश को लूटा: श्रीकांत पौड़ेल
  • नेपाल हिंदू राष्ट्र हो यही जनता की मांग: गणेश प्रसाद

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

भारतीय सीमा से सटे नेपाल के तराई के कपिलवस्तु जिले के शिवराज नगर पालिका के खैरेन्द्रपुर चौक पर आज शनिवार को दिन में तीन बजे पांच महाराजधिराज ज्ञानेन्द्र बीर बिक्रम शाह देव ने नेपाल के राष्ट्र निर्माता स्वर्गीय  पांच महाराजधिराज पृथ्वी नारायण शाह के भव्य मूर्ति का अनावरण किया। अनावरण समारोह में हजारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया।
इस दौरान राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता और शिवराज नगर पालिका के मेयर अजय थापा ने कहा कि आज नेपाल की करोड़ों करोड़ जनता अपने राजा ज्ञानेन्द्र को आशा भरी निगाहों से देख रही है। विना राजतंत्र के देश का कल्याण नहीं होगा। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज राजा ज्ञानेन्द्र का काफिला दोपहर साढ़े बारह बजे भैरहवा के होटल सिद्धार्थ अभिलाषा से निकलकर सड़क मार्ग से कपिलवस्तु के शिवराज नगर पालिका के लिए रवाना हुआ। काफिला भानूपुर, बहादुरगंज मैंणहवां तौलिहवा भुटहनियां होते चंद्रौटा पहुंचा जहां राजा ज्ञानेन्द्र ने महादेव मंदिर में दर्शन पूजन किया। इस दौरान जनता द्वारा जगह-जगह राजा का भव्य स्वागत किया गया। अनावरण के दौरान लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर राजा ज्ञानेन्द्र सहित आम जनता को मंत्रमुग्ध कर दिया। अनावरण के पश्चात कार्यकर्ताओं द्वारा राजा ज्ञानेन्द्र को स्मृति चिन्ह भेंट कर तथा फूल माला पहनाकर उनका जोरदार स्वागत किया।
इस दौरान आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ राम प्रसाद बस्याल, अजय थापा मेयर शिवराजपुर नगर पालिका कपिलवस्तु, भैरहवा के पूर्व मेयर सागर प्रताप राणा, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रज्जवल बोहरा, गोपाल शर्मा समेत बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

बता दें कि पांच महाराजधिराज पृथ्वी नारायण शाह एक राजा और आधुनिक नेपाल के संस्थापक थे। उनका जन्म 1723 में नेपाल के गोरखा जिले में हुआ था और वह नेपाल में शाह राजवंश के संस्थापक द्रव्य शाह की नौवीं पीढ़ी के वंशज थे। पांच महाराजधिराज पृथ्वी नारायण शाह को उनकी सैन्य विजय और कई छोटे राज्यों को एक बड़े नेपाल में एकजुट करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने देखा कि नेपाल के विभाजित छोटे राज्यों को अंग्रेजों द्वारा जीतना आसान होगा, इसलिए उन्होंने अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के लिए एकीकृत नेपाल की कल्पना की। उन्होंने नुवाकोट, गोरखा, कीर्तिपुर, काठमांडू और पाटन के खिलाफ युद्ध छेड़कर उन पर कब्जा कर लिया और बाद में शहर पर घेराबंदी करके भक्तपुर पर कब्जा कर लिया। एकीकरण के बाद उन्होंने काठमांडू में नेपाल की राजधानी स्थापित की और नेपाल में शाह राजवंश की शुरुआत की।

पांच महाराजधिराज पृथ्वी नारायण शाह को नेपाल के विकास में उनके योगदान के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने राष्ट्रीय पहचान की भावना विकसित करके, शासन और प्रशासन की प्रणाली स्थापित करके, व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देकर और सड़कों और पुलों जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण करके आधुनिक नेपाल की नींव रखी। उन्होंने नेपाल की संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पांच महाराजधिराज पृथ्वी नारायण शाह को नेपाल में व्यापक रूप से एक राष्ट्रीय नायक के रूप में जाना जाता है, और उनकी विरासत को आज भी याद किया जाता है और मनाया जाता है।

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