- ताबड़तोड़ खुलेआम प्रतिबंधित पेंडो का करवाया जा रहा सफ़ाया
- हरियाली का विनाश करवाने में उद्यान विभाग की भूमिका भी संदिग्ध
धौरहरा खीरी । उत्तर खीरी वन प्रभाग के धौरहरा रेंज में वन विभाग व लकड़ी माफ़िया का गठजोड़ क्षेत्र में लगे हरे भरे छाया व फलदार प्रतिबंधित आम,नीम,गूलर,जामुन,शीशम आदि के पेड़ों का सफ़ाया करवाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ रहा है। जिसको देख आमजन वन विभाग के नुमाइंदों की भूमिका को ही संदिग्ध बताने लगा है। यही नहीं पर्यावरण बचाओ अभियान को किनारे रख क्षेत्र में खुलेआम किए जा रहे प्रतिबंधित पेंडो के सफाए को लेकर बन्द कमरे में बैठकर कागजी खानापूर्ति कर रहे उद्यान विभाग पर भी सवालिया निशान लगने शुरू हो गए है।
धौरहरा क्षेत्र में एक तरह जहां पर्यावरण बचाने के लिए किसानों को खेतों में फसलों का अवशेष जलाने पर कार्रवाई करने का आये दिन संदेश जारी हो रहा है वही उसी पर्यावरण को जीवित रखने वाले हरे भरे छाया व फलदार प्रतिबंधित पेड़ों का वन विभाग,उद्यान विभाग व लकड़ी माफिया का गठजोड़ पर्यावरण बचाओ अभियान को ताक पर रखकर खुलेआम पेंडो को काटकर विनाश लीला जारी रखे हुए है। हद तो तब हो गई जब ईसानगर क्षेत्र के बरारी ओझावा गांव के उत्तर में स्थित राजाराम पुत्र नंदराम की आम व जामुन की बाग जिसमें करीब डेढ़ दर्जन हरे भरे पेंडो का कटान शुरू होते ही इसकी जानकारी ग्रामीणों द्वारा वन विभाग को दी गई तो उल्टे वन विभाग के नुमाइंदे केवल दो पेड कटने का हवाला देकर ठेकेदार को पूरी बाग काटने की छूट दे दी। जिसके चलते लकड़ी ठेकेदार रातों रात करीब डेढ़ दर्जन आम व जामुन के पेड़ों का सफाया कर लकड़ी को लेकर रफ़ूचक्कर हो गया जिसकी जड़े इस बात की गवाही दे रही है कि कितने पेड़ों का अवैध कटान करवा दिया गया। जिसको लेकर ग्रामीण वन विभाग के नुमाइंदों की भूमिका संदिग्ध बताकर उल्टे उन्हीं पर ही सवालिया निशान लगाने शुरू कर दिया है। यही नहीं इससे पहले अदलिशपुर, कलुआपुर , मैला , बालूपुरवा, महेवा , चौरा समेत अन्य दर्जनों गांवों में भी खुलेआम लकड़ी माफ़िया द्वारा बड़ी संख्या में प्रतिबंधित पेड़ों का सफाया कर दिया गया पर वन विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। वही इस बाबत वन विभाग के अधिकारी नरेंद्र सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बरारी ओझावा में काटे गए पेड़ों पर कार्रवाई की गई है जबकि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि क्या कार्रवाई की गई है।
हरियाली का विनाश करवाने में उद्यान विभाग की भूमिका भी संदिग्ध
इस बाबत कुछ लकड़ी कार्य से जुड़े कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पेड़ों के कटान में वन विभाग के साथ साथ उद्यान विभाग भी अहम भूमिका निभाता है। साथ ही बताया गया कि अगर कही 10 आम या अन्य प्रतिबंधित पेंड काटने होते है तो दो से पांच पेंड काटने के लिए परमिट बनवाने के लिए फाइल तैयार करवाकर वन विभाग व उद्यान विभाग को भेजी जाती है जहां पूर्व की भांति बगैर मौके की जांच किए ही पेंडो को काटने की अनुमति मिल जाती है। फिर क्या अगर 5 पेंडो का परमिट जारी हो गया तो आपसी बातचीत से 15 से 20 पेंडो का कटान करवाने में कोई दिक्कत नहीं होती। इससे तो यही मालूम पड़ता है कि ग्रामीण हरियाली की हो रही विनाश लीला में जो वन विभाग व उद्यान विभाग की भूमिका संदिग्ध बता रहे है वह सही ही है।
रात के अंधेरे में काटे जा रहे प्रतिबंधित पेड़
उत्तर खीरी वन प्रभाग की धौरहरा रेंज में वन कर्मचारियों की मिली-भगत से शातिर लकड़कट्टे रात के अंधेरे में प्रतिबंधित पेड़ो पर आरा चलाते हैं। रात के अंधेरे में काटे गए पेड़ों से होने वाली कमाई में वनकर्मी भी बहती गंगा में हाथ धोने का काम कर रहे हैं बीते दिनों क्षेत्र के महेवा व जसवन्तनगर गांव में लगे आम जामुन व गूलर के प्रतिबंधित दर्जनों पेड़ों को रात के अंधेरे में वन कर्मचारियों की मिली-भगत से शातिर लकड़कट्टों ने काटकर पड़ोसी जनपद को भेज दिया। शिकायतों पर वन कर्मचारी कुछ पेड़ों पर जुर्माना वसूल कर अपनी पीठ अपने आप थपथपा ले रहे हैं।