मोदी की फिरकी में फंस गया इंडिया गठबंधन?

  • एनडीए गठबंधन करेगा अबकी बार चार सौ पार?
  • 2024 लोकसभा चुनाव?

उमेश चन्द्र त्रिपाठी

महराजगंज । अयोध्या में प्रधानमंत्री मोदी के हाथों राममंदिर के उद्घाटन की जैसी तैयारी है, उसे देख कौन नहीं कहेगा कि दर असल यह 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी है। भाजपा और उसके अनुषांगिक संगठन के लोग तमाम तरीकों से देश भर में राम मंदिर के बहाने सक्रिय हो गए हैं। गांव-गांव में भजन कीर्तन के साथ रामायण और रामचरित मानस के पाठ की व्यापक तैयारी है। देश के अन्य प्रदेशों का तो पता नहीं लेकिन यूपी के जिलों में राम मय माहौल की तैयारी की देख भाल सरकार के आला अधिकारियों के हाथ है। ये सब के सब सक्रिय भी हो गए हैं। 22 जनवरी के पूर्व संध्या तक सारे देश का माहौल राम मय बनाने की है। राम मंदिर के उद्घाटन के साथ ही मोदी सरकार के हैट्रिक की भी तैयारी है वह भी “चार सौ पार” के लक्ष्य के साथ। 2024 के चुनाव को लेकर विपक्ष यानी इंडिया गठबंधन की जैसी लचर तैयारी है, उसे देख भाजपा 400 के लक्ष्य तक भले न पंहुचे, तीसरी बार उनकी सरकार को रोक पाना संभव नहीं जान पड़ता। इंडिया गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस अब तक के चुनावों में शायद सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ने को मजबूर हो।

सीट शेयरिंग का जो फार्मूला संभावित है उसके तहत कांग्रेस के हिस्से में 543 में से 272 या इससे भी कम सीटें आ सकती है। इसे साजिश कहें या गठबंधन में शामिल दलों की मंशा, वे यदि भाजपा को हरा पाने की स्थिति में आए तो गठबंधन सरकार का नेतृत्व कांग्रेस के हाथ में आने से रोकना है। बसपा जो अभी गठबंधन का हिस्सा नहीं है लेकिन उसने सीधे प्रधानमंत्री पद का पासा फेंक दिया है। उधर नीतीश कुमार के भी प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग उठती रही है। इस तरह देखें तो इंडिया एलायंस की मौजूदा स्थिति भाजपा से टकराने के लायक भी नहीं बन पाई है। भाजपा की नीतियां भले ही जनता के लायक न हो लेकिन वह बार बार विकल्प पर सवाल पूछती है। गठबंधन अभी तक जनता को यह समझा पाने में विफल है कि आखिर 2004 और 2009 में कौन सा विकल्प था जो जनता ने अटल बिहारी वाजपेई जैसे कद्दावर शख्सियत की सरकार को उखाड़ फेंकी थीं। मनमोहन सिंह तीसरे पारी की अपनी सरकार नहीं बचा पाए तो इसके लिए वे और कांग्रेस ही जिम्मेदार हैं। अपने खिलाफ भाजपा के भ्रष्टाचार के झूठे पहाड़ को वह नहीं भेद पाई। उसके हर आरोपों के समक्ष लाचार कांग्रेस धराशाई हो गई। 2014 में “अच्छे दिन आने वाले हैं” तथा “बहुत हुई मंहगाई की मार” जैसे आक्रामक नारे कांग्रेस को ले डूबी । 2004 में बाजपेई के इंडिया शाइनिंग जैसे नारे की हवा निकाल देने वाली कांग्रेस इतना बेबस और लाचार होगी, इसकी कल्पना किसीको नहीं थी।

2024 का रण जीतने के लिए इंडिया गठबंधन की तैयारी का पता नहीं जबकि भाजपा राम मंदिर उद्घाटन के फौरन बाद कम से कम सौ सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर चुनाव का बिगुल फूंकने की तैयारी कर चुकी है। अभी जिन पांच प्रदेशों के चुनाव परिणाम आए हैं उससे भी भाजपा के पक्ष में माहौल बना है जबकि इन चुनाव परिणामों के पहले भाजपा की हताशा देखने लायक थी। अब वह उससे न केवल उबर चुकी है, उत्साहित भी है। अपने 9-10 साल के कार्यकाल में भाजपा सरकार में राहत कम दुश्वारियां ज्यादा मिली, लेकिन उनका जो आपदा में अवसर खोज लेने की कला है वह दुश्वारियों पर भारी पड़ जाता है। नोटबंदी, जीएसटी, मंहगाई जैसी दुश्वारियों के बीच हाल ही लागू ट्रेफिक कानून के विरोध के चलते भी सारा देश दो दिन तक हलकान रहा लेकिन इससे जनाक्रोश जैसी स्थिति नहीं दिखी। निर्भया के बाद हर साल निर्भया से भी क्रूरतम वारदातें हुईं, जनता का खून निर्भया जैसी घटना के वक्त जैसा खौलता हुआ नहीं दिखा। और तो और वाराणसी में भाजपा के भक्तों द्वारा गैंगरेप की घटना की प्रतिक्रिया भी खामोश है। जिस निर्भया कांड पर दिल्ली में उमड़े जनसैलाब ने अपने गुस्से का इजहार किया था, उसका सौंवा हिस्सा गुस्सा भी बनारस वासियों में भाजपा के आईटी सेल से जुड़े बलात्कारियों के खिलाफ नहीं दिखा विपक्ष भी इसके खिलाफ जनता में आक्रोश पैदा करने में विफल रहा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को चाहिए कि वे सहारनपुर की तरह बनारस में भी पदयात्रा कर लोगों को बताएं कि प्रधानमंत्री की कर्मभूमि और बाबा विश्वनाथ की पवित्र धरती पर क्या हो रहा है? और ऐसा घृणित कृत्य करने वाले कौन लोग हैं?

विपक्ष खासकर कांग्रेस को भाजपा के चुनावी चालों से सतर्क रहते हुए उसका काट तलाशना होगा। बताने की जरूरत नहीं कि सरदार पटेल भाजपा के नहीं कांग्रेस के थे। चीन के मसले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का यह बयान पूरी तरह चुनावी है कि चीन पर नेहरू नहीं पटेल की नीति पर फैसला लेंगे। पटेल और नेहरू में भले ही कभी कोई मतभेद न रहा हो लेकिन यह नेहरू के मुकाबले पटेल को खड़ा कर एक बड़े वोट बैंक को अपने पक्ष में बनाए रखने की भाजपाई कोशिश है। चुनाव में विपक्ष को कुंद करने की कोशिश भी तेज होगी। इसके लिए ईडी, आईटी, सीबीआई आदि संस्थाओं का इस्तेमाल होगा। ईडी की एक जांच रिपोर्ट में राबर्ट वाड्रा और प्रियंका गांधी का नाम शामिल करना इसी कड़ी का हिस्सा माना जाना चाहिए। चुनाव आते आते विपक्ष और कांग्रेस के कई बड़े नेता जांच एजेंसियों के जद में आ सकते हैं। जाहिर है लोकसभा चुनाव में भाजपा एक ओर विपक्षी गठबंधन की ढुलमुल चुनावी तैयारी का फायदा उठाना चाहेगी ही, 400 पार के लिए वह कोई भी हथकंडा इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगी!

National

झारखण्ड: बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में 6 लोगों को ED का समन, आज से पूछताछ शुरू

अल्ताफ के फोन में सौ से ज्यादा बांग्लादेशी लड़कियों के नंबर मिले कोलकाता के रहने वाले कई लोगों के अवैध ठिकानों पर हो सकती है दबिश नया लुक ब्यूरो रांची। ईडी ने बांग्लादेशी घुसपैठ मामले में छह लोगों को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया है। सभी को सोमवार से अलग–अलग तारीख पर रांची […]

Read More
National

समाज का आईना होता है पत्रकार, राष्ट्रीय प्रेस दिवस आज

हर साल 16 नवम्बर को मनाया जाता है यह दिन आजादी की लड़ाई से ही पहचान में आई थी देश की पत्रकारिता राजेंद्र गुप्ता जयपुर। भारत में आजादी से लेकर अब तक प्रेस की अहम भूमिका रही है। भारत में अंग्रेजों के राज के दौरान क्रांतिकारियों का सबसे बड़ा हथियार प्रेस ही रहा। भारत की […]

Read More
National

यहां तो सब नकली…नकली है… चुनावी जीत के लिए देश का डेमोग्राफी बदलने के बड़े कुचक्र का पर्दाफाश

नकली आधार कार्ड से जुड़े ऑपरेशन का पर्दाफाश नकली आधार कार्ड, जाली पासपोर्ट, अचल संपत्ति के दस्तावेज और नकदी जब्त रंजन कुमार सिंह रांची। अंदर ही अंदर कुछ तो हो रहा है, जिसे हम परख नहीं पा रहे हैं। 𝐂𝐁𝐈, 𝐄𝐃 और 𝐈𝐁 पिछले तीन बरसों से लगे हुए इस खतरनाक पौधे की जड़ को […]

Read More