
- मुख्यमंत्री के मंसूबों पर पानी फेर रहे नौकरशाह
- शासन स्तर पर हुई जांच में दोषी पाया गया था यह अफसर
- उत्तर प्रदेश चीनी निगम का हाल
राकेश यादव
लखनऊ । योगी सरकार की नौकरशाही को घोटालेबाज के दोषी और दागदार अफसर रास आ रहे हैं। यही वजह है कि चीनी निगम में करोड़ों का घोटाला करने वाले दोषी अधिकारी एसके मेहरा को एक बार फिर संविदा पर 11 माह सेवा विस्तार मिल गया है। यह अधिकारी रिटायरमेंट के बाद अक्टूबर माह से अस्थाई नियुक्ति पाकर कमाऊ सीट पर बैठा है। हकीकत यह है कि चहेते कमाऊ अफसरों के लिए इस विभाग में नियम और कानून कोई मायने नहीं रहता है।
मिली जानकारी के मुताबिक चीनी निगम में बसपा सरकार में चीनी मिलों की बिक्री को लेकर सुर्खियों में रहे अधिकारी एसके मेहरा बीती 30 सितंबर को सेवा निवृत्त हो गए। सेवा निवृत्त होने के अगले ही दिन तीन माह के लिए संविदा पर अस्थाई नियुक्ति दे दी गई। अक्टूबर माह में ही उन्होंने फिर से निगम में रहते हुए पुराने पदों पर काम शुरू कर दिया। बताया गया है कि चीनी निगम से सेवानिवृत्त होने के पूर्व में उनके पास जो प्रभार थे उन्हीं प्रभारों के साथ सेवा विस्तार दिया गया। वर्तमान समय में इस अधिकारी के पास महाप्रबंधक परियोजना, कार्मिक, वित्त के साथ कंपनी सचिव के अलावा जिन जगहों पर महाप्रबंधक नहीं है वह प्रभार भी इन्ही के पास हैं।
सूत्र बताते है कि संविदा पर तीन माह का सेवाविस्तार पाए एसके मेहरा का कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त गया। हो रहा है। सूत्रों का कहना है की पुरानी बोर्ड बैठक में हुए संस्तुति का हवाला देते हुए एसके मेहरा का कार्यकाल 11 माह और बढ़ा दिया गया है। ऐसा तब किया गया है जब मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट की मुंडेरवा और पिपराइच दोनों चीनी मिलों को हालत अत्यंत ही दयनीय बनी हुई है। इसमें एक मिल जो बिजली का उत्पादन कर बिजली बेचती था आज वह मिल हाइडिल के भरोसे चल रही है। उधर इस संबंध में जब चीनी निगम के प्रबंध निदेशक विमल दूबे से बात करने का प्रयास किया गया तो उनके निजी सचिव ने उनके मीटिंग में होने की बात कहकर बात कराने से मना कर दिया। निगम के एक अन्य अधिकारी ने एसके मेहरा का कार्यकाल बढ़ाए जाने की पुष्टि की है।