डॉ दिलीप अग्निहोत्री
योगी आदित्यनाथ के सुशासन में डिजिटल अभियान का भी महत्व है। उन्होंने अपने शासन के शुरुआती दौर में ही
व्यवस्था से बिचौलियों को बाहर कर दिया था। इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए विधाई कार्यों को भी डिजिटल इंडिया अभियान में शामिल किया गया था। उत्तर प्रदेश की विधानसभा देश की पहली ई-विधानसभा हो गई है। यहां की पूरी व्यवस्था हाईटेक है। सदन की कार्यवाही पेपरलेस होने लगी है। इसी प्रकार सूचना आयोग में नवीन सॉफ्टवेयर और मोबाइल ऐप अपनाने वाला यूपी देश का पहला बन गया। योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश सूचना आयोग में शिकायतों एवं द्वितीय अपीलों की ई फाइलिंग एवं ऑनलाइन सुनवाई की सुविधा के लिए सॉफ्टवेयरएवं मोबाइल ऐप का शुभारम्भ किया था।
उत्तर प्रदेश में डिजिटल इंडिया अभियान निरंतर प्रगति पर है। इसके पहले नई दिल्ली से भेजे गए सौ पैसों में से अंतिम स्तर तक मात्र पन्द्रह पैसे पहुंचते थे। यह कथन देश के एक प्रधानमंत्री का था। उन्हीं की पार्टी के नेतृत्व में दस वर्ष तक यूपीए सरकार रही। व्यवस्था को सुधारने की जगह उसके समय में तो हालत बदतर हो गए। उस सरकार पर आर्थिक मसलों पर गंभीर आरोप लगते रहे। नरेन्द्र मोदी ने व्यवस्था को सुधारने का संकल्प लिया। उन्होंने सच्चे अर्थों में पहली बार डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया। इसके पहले चरण में पचपन करोड़ जनधन खाते खोले गए। ये वह लोग थे जिन्होंने आजादी के बाद पहली बार बैंक को भीतर से देखा। उस समय विरोधियों ने इस पर भी खूब तंज कसे थे। उनकी नजर में यह व्यर्थ कवायद थी। लेकिन इस योजना ने दिल्ली से भेजी गई धनराशि जरूरतमंदों तक शत प्रतिशत पहुंचने लगी। सब्सिडी,भरण पोषण भत्ता, किसान सम्मान निधि, उपज का भुगतान बिना बिचौलियों के होने लगा।
उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा प्रदेश है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसके अनुरूप केंद्रीय अभियानों में यूपी की भागीदारी सुनिश्चित की। अनेक अभियानों व योजनाओं में यूपी ने कीर्तिमान स्थापित कर दिए। इसमें डिजिटल इंडिया अभियान भी शामिल है। डिजिटल इंडिया अभियान वन नेशन वन एप्लीकेशन के माध्यम से चरितार्थ हो रहा है। डिजिटल इंडिया के माध्यम से शासन की योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुंचने लगा है।समाज के अन्तिम पायदान तक के लोगों को शासन की योजनाओं से जोड़ने का कार्य किया गया। डीबीटी के माध्यम से शासन की योजनाओं को अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाना सुनिश्चित हुआ है। उत्तर प्रदेश विधानसभा ने केवल इसी मुद्दे पर कीर्तिमान नहीं बनाया है, बल्कि अभिनव प्रयोग भी किये हैं। शासन में सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग से पारदर्शिता आती है। उसी प्रकार विधान मण्डलों में सूचना प्रौद्योगिकी के बेहतर प्रयोग से सदन में तर्क एवं संवाद की स्थिति बेहतर होती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-फाइलिंग आज की आवश्यकता है। इसकी ओर बढ़ना ही होगा, तभी एक नागरिक का लोकतंत्र और कानून के राज में विश्वास मजबूत होगा। यही राम राज्य की अवधारणा भी है। सूचना का अधिकार अधिनियम लोगों के मन में विश्वास पैदा करने का सशक्त माध्यम है। सॉफ्टवेयर या मोबाइल ऐप की उपलब्धता से किसी को भौतिक रूप से आने की आवश्यकता नहीं है। अब वे कहीं से भी अपना आवेदन कर सकते हैं और आवेदन के निस्तारण की स्थिति जान सकते हैं।तकनीक का प्रयोग कार्यों के त्वरित निस्तारण, भ्रष्टाचार पर प्रभावी अंकुश लगाने और मेरिट के आधार पर समयबद्ध तरीके से किसी भी कार्य को गुणवत्ता के साथ निस्तारित करने की दृष्टि से आवश्यक है।
उत्तर प्रदेश सूचना आयोग ने विगत तीन वर्षों में तेजी के साथ मामलों का निस्तारण किया है। इस अवधि में एक लाख से अधिक मामलों का निस्तारण हुआ है। सॉफ्टवेयर का सही तरीके से प्रयोग करते हुए टीम वर्क के साथ कार्यों का निस्तारण किया जाएगा, तो आने वाले समय में लम्बित मामलों को शून्य तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। यही सूचना का अधिकार अधिनियम की उपयोगिता है और यह एक नागरिक का अधिकार भी है,जो एक लोकतंत्र में उसे प्राप्त होने चाहिए। उन्होंने कहा कि पहले उत्तर प्रदेश में खाद्यान्न घोटाले होते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की अस्सी हजार से अधिक फेयर प्राइस शॉप पर एक साथ छापेमारी करायी। इसमें तीस लाख फेक राशन कार्ड मिले। प्रदेश सरकार ने इन फेयर प्राइस शॉप को ई-पॉस मशीन से जोड़ा, जिससे घटतौली सहित अन्य समस्याओं का समाधान हुआ। आज यह प्रसन्नता का विषय है कि उत्तर प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली देश में सबसे उत्कृष्ट कोटि की है। वर्तमान में अपवाद छोड़ दें तो सभी लोग प्रदेश की फेयर प्राइस शॉप से अपना खाद्यान्न बिना किसी घटतौली और समय से प्राप्त करते हैं।
पहले राजस्व से जुड़े मामलों में बहुत देर होती थी। वरासत, पैमाइश तथा नामांतरण से जुड़े जो मामले ऑटोमोड में होने चाहिए, वह वर्षों लम्बित रहते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने राजस्व विभाग की समीक्षा की थी.तब बारह लाख से अधिक वरासत के मामले लम्बित थे। उन्होंने इनका समाधान पैंतालीस दिनों में करने का निर्देश दिया. योगी ने इच्छाशक्ति दिखाई. जिससे व्यवस्था में व्यापक सुधर हुआ. सॉफ्टवेयर को इस तरीके से बनाया जा सकता है कि जो लोग कानून का दुरुपयोग करते हैं, उन पर लगाम भी लगायी जा सके। जरूरतमंद को समयबद्ध व पारदर्शी तरीके से उसका अधिकार भी दिलाया जा सके। तकनीक के माध्यम से यह बहुत आसानी से हो सकता है। योगी ने कहा कि ईज ऑफ लिविंग का रास्ता जनता की संतुष्टि का स्तर बढ़ने से ही प्रारम्भ होता है। एक व्यापारी की संतुष्टि का स्तर बढ़ने से ईज ऑफ डुइंग बिजनेस का मार्ग प्रशस्त होता है। यह हमें जीवन के सभी क्षेत्रों में करना होगा। तकनीक उपलब्ध है। इसका प्रयोग करते हुए कार्य करेंगे तो उसी प्रकार परिणाम भी सामने आएंगे। योगी सरकार ने मिशन मोड पर कार्य करते हुए लाखों मामले निस्तारित किए। जनसुनवाई पोर्टल आईजीआरएस की शुरुआत की गयी, जिससे लोग अपनी समस्याओं को मोबाइल के माध्यम से शासन तक पहुंचा सकें। सीएम हेल्पलाइन जारी की गयी। इनका उद्देश्य था कि शिकायतकर्ता को संतुष्टि मिले। किसी भी मामले का तब तक निस्तारण नहीं माना जाता, जब तक शिकायतकर्ता संतुष्ट न हो जाए। पहले वर्ष में ही, केवल इन दोनों प्लेटफॉर्म की मदद से सरकार ने बाइस लाख से अधिक मामलों का निस्तारण करने में सफलता प्राप्त की।