
लखनऊ। शायद मैं एक मात्र ‘संघी’ था जिसे शायर मुन्नवर राणा दिल से चाहते थे और खुले आम इस बात का इजहार भी करते थे। उनका यह स्नेह मुझे हमेशा- हमेशा याद रहेगा”, ऐसे भावुक शब्दों में उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने शायर मुन्नवर राणा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
नाईक ने याद किया कि जून 2017 में PGI में जब किसी और को मिलने वें गए थे। तब उन्हें बताया गया कि मुन्नवर राणा भी वहीँ भर्ती है तो उन्होंने राणा कि भेंट लेकर हालचाल पूछा था और अपनी पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ भेंट कर दी थी।
तब स्वस्थ होने के बाद उन्होंने मुझ पर लेख लिखा था। उन्होंने लिखा था। ‘हमारी भारतीय राजनीति में राम नाईक साहब जैसे सौ दो सौ लोग पैदा हो जाते तो इस देश में दवा और अन्न के बगैर मरनेवालों की संख्या न के बराबर होती’।। कि शायरी में उंचा ओहदा रखनेवाले शायर मुन्नवर राणा के यह शब्द आज भी मुझे भावविभोर करते है, ऐसा नाईक ने कहा। ‘माँ’ पर लिखी शायरी के लिए शायर मुन्नवर राणा को हम हमेशा याद रखेंगे।, ऐसा भी राम नाईक ने अंत में कहां।