लखनऊ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार सशस्त्र बलों की मजबूती और सेवारत सैनिकों के साथ ही पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। लखनऊ में 76वें सेना दिवस पर ‘शौर्य संध्या’ के अवसर पर सिंह ने कहा कि सेना,नौसेना और वायु सेना दिवस को दिल्ली के बाहर मनाने का विचार देश की परंपरा और सैन्य प्रगति को लोगों तक ले जाना है। हमारी सेना नए नवाचारों के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने के साथ-साथ परंपरा पर भी ध्यान केंद्रित करती है। उन्होने सशस्त्र बलों को मजबूत करने के सरकार के संकल्प को दोहराते हुये कहा कि वित्त मंत्रालय बिना किसी हिचकिचाहट के रक्षा मंत्रालय द्वारा मांगी गई धनराशि जारी करता है, जो सैनिकों के प्रति सरकार के समर्पण का प्रतीक है। सरकार न केवल सेवारत सैनिकों, बल्कि पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए भी पूरी तरह प्रतिबद्ध है। ‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना,स्वास्थ्य देखभाल और पुनः रोजगार के अवसर प्रदान करने समेत सैनिकों की भलाई के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होने कहा कि देश की सुरक्षा में पूर्व सैनिकों के योगदान को विस्मरित नहीं किया जा सकता और उनका सम्मान करना लोगों की नैतिक और राष्ट्रीय जिम्मेदारी है। इस अवसर पर सिंह ने पहले दिन का पोस्टल कवर भी लॉन्च किया।
लखनऊ छावनी में आज 76वें सेना दिवस समारोह के हिस्से के रूप में एक सैन्य और युद्ध प्रदर्शन ‘शौर्य संध्या’ का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री के अलावा चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख स्टाफ जनरल मनोज पांडे समेत कई गणमान्य शामिल हुये। इस मौके पर कलारीपयेट्टू और गतका जैसे मार्शल आर्ट प्रदर्शन किया गया। सेना की डेयरडेविल्स मोटरसाइकिल टीम के रोमांचक प्रदर्शन के साथ-साथ रिमाउंट वेटरनरी कोर के आठ घोड़ों की टेंट पेगिंग और ट्रिक राइडिंग ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। आकाश मिसाइलें, के9 वज्र, एंटी-ड्रोन उपकरण, बोफोर्स बंदूकें, तोपखाने हथियार प्रणाली और भारतीय सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले अन्य उपकरण और तकनीक दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रही। इसके अलावा 12 सेना के जवानों ने आठ हजार फीट की ऊंचाई से कूद कर अपने शौर्य का प्रदर्शन किया। ‘शौर्य संध्या’ के दौरान एसयू-30 एमकेआई, सूर्य किरण एरोबेटिक टीम और एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टरों ने आसमान को रोशन किया।
रक्षा मंत्री ने देशभक्ति, साहस, मानवता और भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा को एक सैनिक के चार सबसे महत्वपूर्ण गुण बताये। उन्होने कहा कि मैं रहूँ या न रहूँ, मेरा देश सुरक्षित रहे” की भावना के साथ मातृभूमि की रक्षा करने वाला सैनिक एक अनुकरणीय देशभक्त होता है। यही देशभक्ति सैनिक को साहस प्रदान करती है। संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों और आपदाओं के दौरान राहत एवं बचाव में हमारे सैनिकों का योगदान सराहनीय रहा है। साथ ही 1971 के युद्ध के दौरान उन्होंने 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ जिस सम्मान के साथ व्यवहार किया, वह इस बात का प्रमाण है कि उनमें मानवता है। अपने ही पड़ोस में, हम सेना और उनके संवैधानिक मूल्यों के बीच अलगाव देख सकते हैं। वैधानिक मूल्यों के प्रति भारतीय सेना की भक्ति अतुलनीय है और सभी इसे स्वीकार करते हैं। सिंह ने कहा कि भारतीय सेना न केवल परंपरा पर ध्यान केंद्रित कर रही है, बल्कि नए नवाचारों और विचारों के माध्यम से सकारात्मक बदलाव भी ला रही है। उनका विचार था कि परंपरा को जड़ता की स्थिति में स्थापित नहीं किया जा सकता, इसे निरंतर प्रवाहित होना चाहिए और बदलते समय के अनुसार ढलना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का दिल्ली के बाहर सेना व नौसेना और वायु सेना दिवस आयोजित करने का निर्णय देश की परंपरा के प्रतीक, साथ ही सैन्य प्रगति के प्रतीक समारोहों को लोगों के बीच ले जाने के विचार पर आधारित है। देश अब देख रहा है कि कैसे हमारी सेना लगातार ड्रोन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित आधुनिक हथियारों व प्रौद्योगिकियों से लैस हो रही है, साथ ही सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका भी बढ़ रही है। हर व्यक्ति को सेना में शामिल होने का अवसर नहीं मिलता है, लेकिन जिन लोगों ने आज का कार्यक्रम देखा, वे देश की रक्षा के लिए हमारी सेना की तैयारियों का अनुभव कर सके। इससे लोग हमारे सैनिकों के करीब आये हैं। यह निश्चित रूप से हमारे युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने या हमारे सैनिकों के समान समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करेगा।
इससे पहले दिन में 76वीं सेना दिवस परेड ठाकुर श्योदत्त सिंह परेड ग्राउंड, 11 GRRC, लखनऊ में आयोजित की गई थी। थल सेनाध्यक्ष ने परेड की समीक्षा की और वीरता पुरस्कार प्रदान किये। परेड में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और अन्य वरिष्ठ सैन्यकर्मी शामिल हुए। गौरतलब है कि भारतीय सेना के पहले कमांडर इन चीफ जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) केएम करियप्पा की उपलब्धियों की याद में हर साल 15 जनवरी को सेना दिवस मनाया जाता है। 1949 में आज ही के दिन, 1947 के युद्ध में भारतीय सेना को जीत दिलाने वाले जनरल करिअप्पा ने अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल सर FRR बुचर से भारतीय सेना की कमान संभाली और स्वतंत्र भारत के प्रमुख पहले कमांडर-इन-चीफ बने।(वार्ता)