डॉ. ओपी मिश्र
प्रभु राम जगत के नियंता है तो आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 1947 में देश के आजाद होने के बाद पहली बार हिंदुओं के नियन्ता बनकर उभरे हैं। वैसे तो वह 140 करोड़ देशवासियों के प्रधानमंत्री हैं और सबका साथ, सबका विकास तथा सबका विश्वास के मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ रहे हैं। किसी समय महात्मा गांधी के लिए कहा गया था- “चल पड़े जिधर दो डगमग में, चल पड़े कोटी पग उसी ओर” आज राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी की कविता की यह पंक्तियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर सटीक बैठ रही हैं यह बात में उनकी चरण वंदना या चाटुकारिता के चलते नहीं लिख रहा हूं बल्कि इस समय का यथार्थ यही है मैंने पिछले एक सप्ताह में कई धार्मिक स्थानों की यात्रा की है लोगों को सुना है उन्हें समझा है उनकी भावनाओं का विश्लेषण करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि भाजपा के लोग यदि यह कहते घूम रहे हैं कि मोदी है तो मुमकिन है। शायद लोगों ने इसे मान लिया है और स्वीकार भी कर लिया है कि यदि मोदी है तो सब कुछ होना संभव है। आज की तारीख में मोदी एक व्यक्ति नहीं बल्कि संस्था है, संस्थान है और मोदी एक व्यक्तित्व भी है। राम जन्मभूमि आंदोलन जब पूरे शवाब पर था और भाजपा के हिंदुत्व चेहरा लालकृष्ण आडवाणी की जब रथ यात्रा चल रही थी।
उस समय तक कोई नरेंद्र मोदी को जानता तक नहीं था बहुत कम लोग यह बात जानते हैं कि आडवाणी की रथ यात्रा के सारथी नरेंद्र भाई मोदी ही थे। लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था तभी तो आडवाणी की रथ यात्रा का वह सारथी आने वाली 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य यजमान बनकर आ रहा है। जबकि रथ यात्रा के हीरो लालकृष्ण आडवाणी उस कार्यक्रम में सशरीर शामिल नहीं हो रहे हैं उन्होंने एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कहा भी है की नियति ने शायद उस समय निश्चय कर लिया था कि रथ यात्रा का सारथी प्राण प्रतिष्ठा का यजमान बनेगा और उसी के हाथों मंदिर का जीर्णोद्धार होगा। जान ले कि यह रथ यात्रा 25 सितंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ मंदिर से प्रारंभ की थी जिसे बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रोक लिया था और आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया था।
आज वही सारथी न केवल भारत का प्रधानमंत्री है बल्कि संपूर्ण देशवासियों और उसमें से खास तौर से हिंदुओं की नियंता बन गया है । एक ऐसा नियन्ता जो अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा से पहले हर वह अनुष्ठान संपन्न करना चाहता है जो आवश्यक है तभी तो प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि प्रभु ने उन्हें प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सभी भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है। वह इसे ध्यान में रखते हुए 11 दिन का विशेष अनुष्ठान प्रारंभ कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का कहना है कि मैं भावुक हूं, पहली बार जीवन में इस तरह के मनोभाव से गुजर रहा हूं। प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि जिस स्वप्न को अनेक पीढ़ियो ने वर्षों तक एक संकल्प की तरह अपने हृदय में जिया, उन्हें उसे साकार होते हुए देखने का मौका मिला। प्रधानमंत्री मोदी ने एक वीडियो जारी करके कहा कि उनके अंतर मन की जो भाव यात्रा है वह उनके लिए अभिव्यक्ति की नहीं बल्कि अनुभूति का अवसर है। कभी-कभी मैं सोचता हूं कि धन्य है वे भारतवासी जिनका प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। वह कहते हैं की जनता भी ईश्वर का रूप है और उनकी ऊर्जा साथ लेकर मंदिर के गर्भ ग्रह में प्रवेश करेंगे। अब यह अलग बात है कि मंदिर अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है लेकिन इससे क्या फर्क पड़ता है क्योंकि भगवान राम अयोध्या में ही ‘टाट ‘ में भी तो रह चुके हैं।
वे तब भी पूजे जाते थे वे तब भी प्रभु श्री राम थे देशवासियों के आराध्य थे और आज जब भव्य मंदिर का एक तिहाई हिस्सा बन चुका है तो भी वह आराध्य हैं। तभी तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 जनवरी को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है मुख्यमंत्री योगी का कहना है कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह उत्तर प्रदेश के लिए ग्लोबल ब्रैंडिंग का सुनहरा मौका है। हमें इसके लिए पुख्ता और बेहतरीन इंतजाम करने होंगे। मुख्यमंत्री योगी केवल योगी ही नहीं बल्कि हिंदू हृदय सम्राट होने के साथ ही साथ एक राजनेता तथा कुशल प्रशासक भी है। और उनकी दृष्टि ब्रैंडिंग के बहाने उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास पर भी टिकी हुई है। हम सब जानते हैं कि अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर से न केवल अयोध्या या उसके पास पड़ोस का विकास होगा बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश का सर्वांगीण विकास होगा क्योंकि अगर अयोध्या उत्तर प्रदेश में है तो काशी विश्वनाथ मंदिर भी उत्तर प्रदेश में ही है।
इतना ही नहीं कृष्ण जन्मभूमि भी तो उत्तर प्रदेश में है। इसको अगर दूसरे शब्दों में कहे तो उत्तर प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है जहां अगर शिव है तो राम भी हैं और कृष्णा भी हैं। धन्य है उत्तर प्रदेश के वे लोग जिसमें मैं भी शामिल हूं तथा इसके मुख्यमंत्री एक योगी है। अब एक तरफ योगी और मोदी तो दूसरी तरफ राम, कृष्ण और शिव का स्थान उत्तर प्रदेश। तभी तो लोग-बाग यह नारा लगाते हुए नहीं थकते की मोदी के बाद योगी। ऐसे में अगर यह कहा जाए प्रधानमंत्री देशवासियों के नियंता है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश वासियों की आशाओं के एक ऐसे केंद्र बिंदु हैं जिन्हें लोग भविष्य का प्रधानमंत्री मान रहे हैं । अब जब मोदी और योगी दोनों राजनेता हैं दोनों को चुनाव लड़कर लोक सभा और विधानसभा में जाना होता है तो जाहिर सी बात है कि उनकी दृष्टि 2024 के लोकसभा चुनाव पर तो रहेगी ही । अब अगर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम चुनाव को ध्यान में रखकर हो रहे हैं तो इसमें हैरानी की बात क्या? सीधी सी बात है जब आपके पास पावर होगा तभी तो आप प्रदेशवासी और देशवासियों का कल्याण कर पाएंगे उनका समुचित विकास कर पाएंगे।
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80 करोड़ गरीबों को बहुत सस्ते दर पर खाद्यान्न दे पाएंगे आदि आदि। आज विपक्षी दल भले ही शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई , भ्रष्टाचार तथा बेरोजगारी की बात कर रहा है लेकिन उन्हें यह भी सोचना चाहिए कि जिस देश में तमाम कुछ मुफ्त दिया जाता है,सस्ता दिया जाता है आबादी पर अंकुश नहीं है वहां तो इस तरह की समस्याएं कभी भी खत्म नहीं हो सकती। विपक्ष के लोगों को यह भी सोचना चाहिए की जहां के लोगों की अटूट श्रद्धा और विश्वास ईश्वर पर है तथा जहां के लोगों का यह मानना है कि पूरे साल भ्रष्टाचार करो और पांच मंगल लोगों को लंगर खिला दो और गंगा स्नान कर लो तो सारे पाप धुल जाएंगे, सारा भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा ऐसे देश और प्रदेश के लोगों की सही नब्ज प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने पकड़ रखी है। वैसे अयोध्या में प्रभु राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम यदि रामनवमी के दिन होता तो यकीनन पूरे देश में शहनाई बजती और हर एक के मुंह से यही निकलता -‘ भये प्रकट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हित कारी’।
लेकिन ऐसा शायद इसलिए संभव नहीं हो पाया क्योंकि 17 मार्च रामनवमी तक चुनाव के दृष्टिगत आचार संहिता लग सकती है अब भले ही प्रभु राम से कथित विरोधी मानसिकता रखने वाले यह कहें की चारों शंकराचार्य नहीं आ रहे हैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मुख्य यजमान नहीं बनाया गया, अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए आदी आदी। लेकिन उन्हें इस ध्रुव सत्य को स्वीकार करना ही होगा कि विपक्ष को ‘ मोदी है तो मुमकिन है’ इसके अलावा विपक्ष को यह भी सोचना और समझना चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी तथा तभी अगले प्रधानमंत्री हो पाएंगे जब वह और उनका एनडीए चुनाव मैदान से जीत कर आएगा इसलिए चुनाव जीतने के लिए तथा नियंता बनने के लिए वह सब कुछ आवश्यक है जो इस समय हो रहा है । इसके बावजूद यदि कुछ लोगों को लग रहा है की राजनीति ने धर्म को गटक लिया तो वह मानसिक दिवालियापन के शिकार हैं। क्योंकि धर्म और राजनीति का साथ चोली दामन का रहा है। पहले धर्म राजनीति पर अंकुश लगाती थी और अब शायद राजनीति तथा धर्म का घालमेल ही सत्ता तक पहुंचने का एक जरिया बन कर रह गया है।