शासन का आदेश जेल मुख्यालय अफसरों के ठेंगे पर!

  • जांच में दोषी पाए गए कर्मियों पर नहीं हुई कोई कार्यवाही
  • कारागार मुख्यालय अफसरों का अजब गजब कारनामा

राकेश यादव

लखनऊ। शासन के अफसरों का आदेश जेल मुख्यालय के अफसरों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। यही वजह है शासन के निर्देश के बाद हुई जांच में दोषी पाए गए कर्मियों के खिलाफ अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। करीब एक माह पूर्व विभागाध्यक्ष को सौंपी गई जांच रिपोर्ट को जेल मुख्यालय के अफसरों ने फाइलो में दबा दिया है। मामले को लेकर विभागीय कर्मियों में तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। चर्चा है कि विभाग में कमाकर देने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही की ही नहीं जाती है।

पिछले दिनों शासन ने डिप्टी जेलर से जेलर संवर्ग की प्रोन्नति के लिए मांगी गई ब्रॉडशीट (कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों को ब्योरा ) मांगा था। मुख्यालय की ओर से शासन को भेजी गई ब्राड सीट गड़बड़ी का खुलासा हुआ। विभाग के संयुक्त सचिव शिव गोपाल सिंह ने ब्रॉडशीट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रोन्नति के लिए भेजी गई सूची में कई अधिकारियों के दंड को छिपाने का हवाला दिया। ब्रॉडशीट में डिप्टी जेलर राजेश कुमार राय और कुलदीप सिंह के दंड का ब्योरा दर्ज न करने का विशेष उल्लेख करते हुए ब्रॉडशीट तैयार करने वाले पटल के प्रशासनिक अधिकारी, पटल सहायक समेत अन्य कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने का निर्देश दिया है।

संयुक्त सचिव के निर्देश के बाद जेल मुख्यालय के अधिकारियों ने ब्रॉडशीट तैयार करने वाले कर्मियों की जांच के लिए दो सदस्सीय कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी में अधीक्षक जेल मुख्यालय एवं एक अन्य अधिकारी को शामिल किया गया। कमेटी ने एक पखवाड़े तक मामले की जांच की गई। विभागाध्यक्ष को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में ब्राड सीट तैयार करने वाले डिप्टी जेलर पटल के प्रभारी अनिल कुमार, सुरेश कुमार, प्रशांत और संजय श्रीवास्तव को दोषी ठहराते हुए इनके खिलाफ कार्यवाही किए जाने की संस्तुति की गई। दोषी कर्मियों के खिलाफ आजतक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

सूत्रों का कहना है कि ब्राड सीट गड़बड़ी में दोषी पाए गए प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार को हेड वार्डर से डिप्टी जेलर पद पर प्रोन्नति कराने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। मुख्यालय में हेड वार्डर से डिप्टी जेलर पद पर प्रोन्नत होने वाले कर्मियों का ब्यौरा तैयार किया गया। सूत्रों की माने तो डिप्टी जेलरो की तर्ज पर प्रोन्नत के लिए हेड वार्डरों से भी जमकर वसूली की गई। बताया गया है कि प्रशासनिक अधिकारी अनिल कुमार लंबे समय से डिप्टी जेलर संवर्ग के पटल पर तैनात है। अधिकारियों को कमाकर देने की वजह से इसका लंबे समय से हटाना तो दूर की बात पटल परिवर्तन तक नहीं किया गया है।

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