
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
पांच सौ वर्षों का सनातन अनुयायियों का सपना साकार हुआ। इसके साथ ही इस सम्बन्ध में चल रहे नकरात्मक विचार भी निरर्थक हुए। पिछले कई दिनों से देश में राम आयेंगे आयेंगे राम आयेंगे की गूंज थी। अब लय स्वर और भाव सब बदल गए। अयोध्या जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर में प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई..राम आए हैं आए हैं राम आए हैं।
श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम और पूजन विधि सोलह जनवरी से शुरू हो गई थी। जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होनी थी,उसे अठारह जनवरी को गर्भ गृह में अपने आसन विराज मान किया गया था। पौष शुक्ल द्वादशी अभिजित मुहुर्त में दोपहर बारह बजकर बीस मिनट पर श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के पुजारी श्रद्धेय गणेश्वर शास्त्री ने निर्धारित कियाथा।
आज अयोध्या में त्रेता युग की झलक दिखाई दी..
अवधपुरी सोहई एहि भाँती, प्रभुहि मिलन आई जिमि राती’
अवधपुरी अति रुचिर बनाई। देवन्ह सुमन बृष्टि झरि लाई॥
राम कहा सेवकन्ह बुलाई। प्रथम सखन्ह अन्हवावहु जाई॥