आगरा। आज हम सभी सांस्कृतिक आदान-प्रदान को समझ रहे हैं। आज डिजिटल तकनीक से हिंदी का उपयोग इंटरनेट, सोशल मीडिया और अन्य तकनीकी माध्यमों से बढ़ रहा है, यह साबित हो रहा है कि हिंदी भाषा व्यापक रूप से एक ग्लोबल भाषा बनने की ओर बढ़ रही है। विश्व में हिंदी के प्रसार_प्रचार के लिये किए जा रहे योगदान एवं विश्व में हिंदी की दिशा व दशा पर कन्हैया लाल मणिकलाल मुंशी, हिन्दी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ, डा० भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा आयोजित दो दिवसीय आयोजन में साहित्यकार अनिल कुमार शर्मा ने अपना महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किए। साहित्यकार अनिल कुमार शर्मा भारत_आस्ट्रेलिया साहित्य सेतु के संस्थापक हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास सिडनी, आस्ट्रेलिया ने सितम्बर 2018 में जब मुझे पहली बार काव्य पाठ के लिये आमंत्रित किया तो मैने जिन शब्दों से आरम्भ किया वह आपको सुना रहा हूँ।
“स्वच्छ सुनहरे साँवले कुछ तो बहुत विशेष, नहीं मिल सका आज तक भारत जैसा देश” मेरे लिए यह गौरवान्वित पल हैं, जिस विश्वविद्यालय से मैने शिक्षा प्राप्त की आज वहीं पर हिन्दी के प्रसार_ प्रचार पर विचार रखने के लिये मुझे आमंत्रण मिला।
विश्व में हिंदी भाषा का प्रसार_ प्रचार एक महत्वपूर्ण कार्य है, जो हमें हिंदी भाषा के महत्व और इसके समृद्धि के संदर्भ में विचार करने का अवसर प्रदान करता है। हिंदी जो विश्व की तीसरी सबसे बड़ी बोली है, न केवल एक भाषा है, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक साझेदारी का प्रतीक भी है। हिंदी भाषा का प्रसार विश्वभर में बढ़ रहा है। विभिन्न भागों में व्यापक संख्या में भारतीय समुदाय ने हिंदी को अपनी भाषा के रूप में बनाए रखा है और इसे स्थानीय सांस्कृतिक सम्प्रेषण में शामिल किया है। हिंदी भाषा सांस्कृतिक संबंध का एक माध्यम भी है, जो विभिन्न समृद्धि सहयोग के क्षेत्रों में अवस्थित है। हिंदी भाषा ने विभिन्न सांस्कृतिक और शैली के साथ विविध रूप से अपनी विशेषता को प्रदर्शित किया है। इस भाषा के माध्यम से, हम अनेक भाषाओं के बावजूद विश्व की अनेक भाषाओं के बीच संवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।
आपको जानकर ख़ुशी होगी कि हिंदी के प्रचार_प्रसार हेतु संकल्पित संस्था “भारत आस्ट्रेलिया साहित्य सेत” हिंदी के प्रचार_प्रसार हेतु लगातार हिंदी काव्य गोष्ठी व हिन्दी विमर्श के आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कर रही है। भारतीय लेखक व अप्रवासी लेखक इसमें सहभागिता कर रहे हैं। हिंदी काव्य आयोजनों में सहभागिता करने वाले अप्रवासी हिंदी की महती उपयोगिता को समझने लगे हैं। अप्रवासी भारतीय नव युवकों के एक समूह ने “हिंदी विंदी” नाम से आस्ट्रेलिया में पहली हिंदी फिल्म का निर्माण शुरू किया है, जिसका फ़िल्मांकन 8 जनवरी से प्रारंभ हो चुका है। इस फिल्म में मशहूर कलाकार नीना गुप्ता व मिहिर आहूजा मुख्य भूमिका में हैं। हिंदी भाषा का सिनेमा भारत में बने और विदेशों में दिखाया जाये यह साधारण बात हो सकती है, लेकिन हिंदी भाषा की फिल्म का फ़िल्मांकन विदेश में हो और विदेशी नागरिकों की उस फ़िल्म के निर्माण में महत्वपूर्ण सहभागिता हो यह बात हिंदी के प्रसार के लिये सराहनीय सफलता है। इस तरह की पहल हिंदी भाषा के प्रसार के लिये नये द्वार खोल रही है। हमें यह चिंतन करना होगा कि हिंदी भाषा के प्रसार के लिये हम लीक से हट कर सोचें, हम और कौन सा नया तरीक़ा हिंदी भाषा के प्रसार के लिये निकाल सकते हैं। इसके ऊपर नव युवकों को चिंतन करना ही चाहिए।
हिंदी के क्षेत्र में विश्व में रोज़गार की अनेक संभावनायें हैं। इसी तरह का एक प्रयास आस्ट्रेलिया में प्रारंभ हो रहा है जिसमें हिंदू समाज एक अपना हिंदू स्कूल बना रहा है। इसमें सभी भाषाओं के साथ विषेश रूप से हिंदी भाषा नियमित पाठ्यक्रम में पढ़ाई जायेगी। भारतीय आप्रवासी समुदाय द्वारा संचालित हिंदू स्कूल बनाने की ओर एक कदम बढ़ा चुका है। हिंदी भाषा के पक्षधर हिंदू समाज के किसी भी व्यक्ति से तीन हज़ार डालर देकर एक वर्ग मीटर ज़मीन के मूल्य के बराबर धनराशि सहयोग करने की अपील की गई है। जिससे कि हर परिवार को भविष्य में यह स्कूल कालेज अपने ही अनुभव होते रहेंगे। निकट भविष्य में विश्व के अनेक देशों में इस तरह के स्कूल कालेजों की कल्पना की जा सकती है। हमें व्यक्तिगत रूप से भी हिंदी के प्रचार_प्रसार के लिए जागरूकता रखनी होगी, इसके लिये हमेशा सरकार की तरफ़ देखना उचित नहीं है। सरकार की मदद मिले तो बहुत अच्छा अन्यथा समूह बना कर भी विदेशों में हिन्दी की ध्वजा फहराई जा सकती है।