- आशियाना के कृष्णधाम में आठ दिवसीय रामकथा का समापन
- समापन पर आयोजित हुआ विशाल भंडारा
- बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चे हुए शामिल
लखनऊ। जो राम का नहीं, वह किसी काम का नही। मनुष्य का जीवन तभी सफल होगा, जब आप राम के बन जाओगे। जो निस्वार्थ भाव से पुरुषार्थ करते हैं, वे अपना और समाज दोनों का कल्याण करते है। यह विचार आशियाना के कृष्णधाम में चल रही आठ दिवसीय रामकथा में वृंदावन से पधारे कथा व्यास मांस मर्मज्ञ सीताराम उपाध्याय ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गलती करके सीखने से समय बर्बाद होता है। यदि हां दूसरों की गलतियों से सीख ले तो समय बचेगा।
रामायण ही एक ऐसा ग्रंथ है जो मनुष्य को ज्ञानवान बनाता है। कृष्णधाम में प्राण प्रतिष्ठा के दिन 22 जनवरी से रामकथा का शुभारंभ हुआ था। रामकथा के आयोजनकर्ता एवं कृष्णाधाम के संयोजक एडवोकेट संतोष त्रिपाठी ने बताया कि गीत संगीत और गाजे बाजे, भजनों के साथ चली रामकथा का सोमवार को भंडारे के साथ समापन हुआ। कथा के दौरान पूरा मौहाल राममय हो गया। इस मौके पर बालाजी ट्रस्ट के संयोजक अनिल शुक्ला, रजनीश त्रिपाठी, सुरेश बाजपेई, संजीव त्रिपाठी, साधना त्रिपाठी के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों ने कथा के रसास्वादन के साथ भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।