ए अहमद सौदागर
लखनऊ। शुक्रवार को मलिहाबाद के मोहम्मद नगर गांव में जमीन विवाद को लेकर एक महिला सहित तीन लोगों की हुई हत्या का यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी सूबे की राजधानी लखनऊ में बेशकीमती जमीनों को लेकर हुए विवादों कई बार कई लोगों का खून बह चुका है। माफिया, सफेदपोश व करोड़पति ही नहीं आम आदमी भी मोटी कमाई के चक्कर में जमीन कारोबार से जुड़ गया है। ज़मीन के कारोबार में खून खराबे के पीछे किसी हद तक संबंधित विभाग या फिर स्थानीय पुलिस भी जिम्मेदार है। दरअसल जमीन विवाद का मामला खाकी के पास पहुंचने के साथ ही खेल शुरू हो जाता है। पलड़ा उसी का भारी होता है जिसकी जेब या फिर दबंगई।
दो फरवरी 2024: मलिहाबाद के मोहम्मद नगर निवासी फरीद की पत्नी फरहीन, बेटे हंजला व मुनीर की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
आठ फरवरी 2014: काकोरी के हाजी कॉलोनी में जमीन हथियाने को लेकर हाजी कमाल की गोली मारकर हत्या।
तीन अप्रैल 2019 : चिनहट क्षेत्र में महंत स्वामी दिनेशानंद की दिनदहाड़े गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया गया।
मलिहाबाद के मोहम्मद नगर निवासी फरीद के 15 वर्षीय बेटे हंजला, 40 वर्षीय पत्नी फरहीन व 50 वर्षीय मुनीर की हत्या ने इलाके में चंद गज जमीन को लेकर हुई हत्या ने एक बार फिर हवा दे दी है। मोहम्मद नगर निवासी हिस्ट्रीशीटर लल्लन ख़ान उर्फ सिराज का गांव के ही रहने वाले फरीद खान से बेशकीमती जमीन को लेकर काफी दिनों से दुश्मनी चल रही थी। यह मामला संबंधित विभाग से लेकर स्थानीय पुलिस के पास पहुंचा, लेकिन मामला थमा नहीं और दोनों पक्षों के बीच विवाद बढ़ता गया, नतीजतन यह विवाद शुक्रवार को खूनी रुप अख्तियार कर और विरोधियों ने एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या कर मौत के घाट उतार दिया।
पुलिस उलझाती है जमीन दावेदारों को,
जानकारों की मानें तो जमीन विवाद अगर खाकी तक पहुंचे तो कुछ न कुछ खिलना तय हो जाता है। दरअसल थाने में विवाद पहुंचने पर पुलिस पहले तो विवाद से जुड़ी दोनों पक्षों को बुलाकर डराती है। मगर रकम मिलते ही तेवर बदल जाते हैं। पलड़ा उसी का भारी रहता है, जो ज्यादा जेब ढीली करता है। सामान्य तौर पर ग़लत से काबिज होने वाले ही पुलिस का मुंह भरते हैं। पुलिस के साथ आने वाले ऐसे लोगों का हौसला बढ़ जाता है। जबकि असल मालिक अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष करता रहता है, नतीजा खूनी संघर्ष।