- जांच में दोषी पाए गए प्रधान सहायक को बचाने में जुटा जेल मुख्यालय
- दो सदस्यीय जांच कमेटी ने एक माह पूर्व ही सौंप दी जांच रिपोर्ट
- जांच में प्रधान सहायक समेत चार बाबू मिले दोषी
राकेश यादव
लखनऊ। संयुक्त सचिव कारागार के निर्देश के बाद भी जेल मुख्यालय के अफसर जांच में दोषी पाए गए प्रधान सहायक को हटाने को हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है। करीब एक माह पूर्व ब्रॉड सीट में गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट विभागाध्यक्ष को सौंपी गई। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भी दोषी प्रधान सहायक के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। मामले को लेकर चर्चा है कि विभाग में कमाकर देने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है।
बीते दिनों शासन ने डिप्टी जेलर से जेलर संवर्ग की प्रोन्नति के लिए मांगी गई ब्रॉडशीट (कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों को ब्योरा ) मांगा था। मुख्यालय की ओर से शासन को भेजी गई ब्राड सीट गड़बड़ी का खुलासा हुआ। विभाग के संयुक्त सचिव शिव गोपाल सिंह ने ब्रॉडशीट पर आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रोन्नति के लिए भेजी गई सूची में कई अधिकारियों के दंड को छिपाने का हवाला दिया। ब्रॉडशीट में डिप्टी जेलर राजेश कुमार राय और कुलदीप सिंह के दंड का ब्योरा दर्ज न करने का विशेष उल्लेख करते हुए ब्रॉडशीट तैयार करने वाले पटल के प्रशासनिक अधिकारी, पटल सहायक समेत अन्य कर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई किए जाने का निर्देश दिया है।
संयुक्त सचिव के निर्देश के बाद जेल मुख्यालय के अधिकारियों ने ब्रॉडशीट तैयार करने वाले कर्मियों की जांच के लिए दो सदस्सीय कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी में अधीक्षक जेल मुख्यालय एवं एक अन्य अधिकारी को शामिल किया गया। कमेटी ने एक पखवाड़े तक मामले की जांच की गई। विभागाध्यक्ष को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में ब्राड सीट तैयार करने वाले डिप्टी जेलर पटल के प्रभारी अनिल कुमार, सुरेश कुमार, प्रशांत और संजय श्रीवास्तव को दोषी ठहराते हुए इनके खिलाफ कार्यवाही किए जाने की संस्तुति की गई। दोषी कर्मियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। सूत्रों की माने तो डिप्टी जेलरो की तर्ज पर प्रोन्नत के लिए हेड वार्डरों से भी जमकर वसूली की गई। बताया गया है कि प्रधान सहायक अनिल कुमार लंबे समय से डिप्टी जेलर संवर्ग के पटल पर तैनात है। अधिकारियों को कमाकर देने की वजह से इसका लंबे समय से हटाना तो दूर की बात पटल परिवर्तन तक नहीं किया गया है।