- कैदियों की समयपूर्व रिहाई में शासन की पक्षपातपूर्ण कार्यवाही
- शासन की कार्यवाही से जेल अफसरों में आक्रोश
राकेश यादव
लखनऊ। कैदियों की समयपूर्व रिहाई के मामले में शासन के दो पक्षीय कार्यवाही ने अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए है। शासन ने एक मामले तो एक जेल अधीक्षक को क्लीन चिट दे दी, वही दूसरे मामले में उस जेल अधीक्षक को निलंबित कर दिया। इस सनसनीखेज मामले का खुलासा निलंबित जेल अधीक्षक के निलंबन के बाद कोर्ट जाने के बाद हुआ है। यह अलग बात है कि जेल मुख्यालय के अफसर इस मसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
मामला कैदियों की समयपूर्व रिहाई से जुड़ा हुआ है। मिली जानकारी के मुताबिक फतेहगढ़ जेल से कैदी खेम सिंह उर्फ माना पुत्र भारत सिंह यादव का है। जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी ने समयपूर्व रिहाई के जेल प्रशासन को आवेदन दिया। जेल अफसरों ने बीती 16 जून 2023 को मामले को पड़ताल किए बगैर ही कैदी की समयपूर्व रिहाई के लिए मामले को मुख्यालय और मुख्यालय ने मामले को शासन भेज दिया। सूत्रों का कहना है कि जेल प्रशासन को जब कैदी की समयपूर्व रिहाई का मामला गलत होने की जानकारी हुई तो उन्होंने इसे त्रुटिपूर्ण होने की बात कहते हुए शासन को एक पत्र भेजकर रिहाई के आवेदन को निरस्त करने की बात कही। इस पर शासन ने मामले में बगैर जेल प्रशासन के किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही किए ही मामले को निरस्त कर दिया।
ऐसा ही एक मामला हाल ही में जिला जेल कानपुर देहात में हुआ। जेल प्रशासन के अधिकारियों ने जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रही महिला कैदी मालती केवट पत्नी मंगली केवट की समयपूर्व रिहाई के लिए 9 सितंबर 2023 को जेल मुख्यालय को आवेदन पत्र भेजा। इसमें भी वही गलती हुई जो फतेहगढ़ में त्रुटि हुई थी। शासन की ओर से मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचे इस पत्र में पुनः हुए गलती को देखकर अफसर भड़क गए। उन्होंने कहा बार बार ऐसी गलती करने वाले अफसर को निलंबित किया जाए। शासन के निर्देश पर आनन फानन में जिला जेल कानपुर देहात के अधीक्षक राजेन्द्र कुमार को निलंबित कर दिया। यही गलती फतेहगढ़ जेल अधीक्षक से भी हुई किंतु उनके खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। शासन की इस पक्षपातपूर्ण कार्यवाही से विभागीय अधिकारियों में खासा आक्रोश व्याप्त है। इस संबंध में जब प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह से बात करने का प्रयास किया गया तो उनके निजी सचिव विनय सिंह ने बताया कि साहब मीटिंग में व्यस्त हैं बात हो नही पाएगी। उधर डीआईजी मुख्यालय ने अधीक्षक राजेन्द्र कुमार के निलंबन की बात तो स्वीकार की लेकिन इस मामले में और कोई भी टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया।
डीआईजी मुख्यालय से मांगा स्पष्टीकरण
जिला जेल कानपुर देहात में आजीवन कारावास की सजा काट रही मालती केवट की सरकार की स्थाई नीति के तहत समयपूर्व रिहाई के त्रुटिपूर्ण प्रस्ताव के मामले में डीआईजी मुख्यालय से 10(2) के तहत स्पष्टीकरण मांगा गया है। शासन से भेजे गए पत्र में कहा गया है प्रस्ताव का गंभीरतापूर्वक परीक्षण किए बगैर ही प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया। जबकि महिला कैदी दो प्रकरणों में आजीवन कारावास की सजा काट रही है। ऐसे में महिला कैदी स्थाई नीति के तहत समयपूर्व रिहाई के लिए पात्र ही नहीं थी। फिर भी महिला कैदी के समयपूर्व रिहाई का प्रस्ताव कैसे भेज दिया। 15 दिन में स्पष्टीकरण का जवाब नही मिलने पर कार्यवाही की जाएगी।