
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिकता को अपराध घोषित करने वाले 2013 के अपने फैसले के खिलाफ दायर सुधारात्मक (केविएट) याचिकाओं को गुरुवार को ‘अप्रभावी’ घोषित कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी, न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पांच सदस्यीय पीठ ने दो सदस्यीय पीठ के फैसले के खिलाफ दायर सुधारात्मक याचिकाओं को अपने 2018 के एक फैसले के मद्देनजर अप्रभावी घोषित करते हुए इससे संबंधित कार्यवाही बंद करने का फैसला किया। (वार्ता)