युवाओं को प्रेरित कर रहा पिछड़े इलाके से निकलकर IFS बनने वाले “उइके” का सफर

शाश्वत तिवारी

जिंदगी की कठिनाइयों से भाग जाना आसान होता है, जिंदगी में हर पहलू इम्तेहान होता है, डरने वालों को नहीं मिलता कुछ जिंदगी में, लड़ने वालों के कदमों में जहां होता है। ये लाइन छत्तीसगढ़ के एक पिछड़े इलाके से निकलकर विदेश में भारतीय राजदूत बनने तक का सफर तय करने वाले राजेश उइके पर बिलकुल सटीक बैठती हैं।

विदेश जाने से पहले आईएफएस अधिकारी उइके ने राष्ट्रपति मुर्मू से की शिष्टाचार भेंट

कोंडागांव जिले से आने वाले उइके ने असुविधाओं को पार कर सफलता की प्रेरणादायक कहानी लिखी है। 2006 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी उइके की हाल ही में ताजिकिस्तान में भारत के अगले राजदूत के रूप में नियुक्ति हुई है।

कोंडागांव के राजेश उइके विदेश में निभाएंगे भारतीय राजदूत की जिम्मेदारी

ताजिकिस्तान के लिए निकलने से पहले उइके ने नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने ताजिकिस्तान में भारत के अगले राजदूत के रूप में आधिकारिक नियुक्ति को चिह्नित करते हुए उइके को क्रेडेंशियल दस्तावेज प्रस्तुत किए। विदेश मंत्रालय के अनुसार उइके की नियुक्ति से पहले यह पद 1997 बैच के IFS अधिकारी विराज सिंह के पास था, जिन्हें 2019 में ताजिकिस्तान में भारत के राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया था। भारत और मध्य एशियाई ताजिकिस्तान गणराज्य के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं। अब उइके के कंधों पर इन संबंधों को एक नए शिखर पर पहुंचाने की जिम्मेदारी है।

वर्तमान में राजेश उइके नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के बाहरी प्रचार एवं सार्वजनिक कूटनीति प्रभाग में संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं। उनके राजनयिक करियर में विदेशों में भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में विभिन्न भूमिकाएं, साथ ही नई दिल्ली में मंत्रालय के भीतर विभिन्न जिम्मेदारियां शामिल हैं। उइके अपने स्कूल के दिनों से ही काफी प्रतिभावान रहे हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कोंडागांव और सुकमा जिले में पूरी की। उन्होंने एनसीईआरटी की राष्ट्रीय प्रतिभा खोज मेरिट छात्रवृत्ति प्राप्त की। इसके अलावा उन्होंने हाई स्कूल और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर गणित प्रतिभा खोज परीक्षा में क्रमशः स्वर्ण और रजत पदक भी प्राप्त किए।

उइके के पास एनआईटी भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री और आईआईटी, दिल्ली से औद्योगिक इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री है। भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने से पहले उन्होंने कुछ समय के लिए ऑटोमोबाइल सेक्टर में डिजाइन इंजीनियर और ऑपरेशन मैनेजर के रूप में भी काम किया। उइके भारतीय रेलवे में भी सेवारत रहे और उन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई के तुरंत बाद एक औद्योगिक स्टार्ट-अप भी शुरू किया था। हालांकि विदेश मामलों और कूटनीति में विशेष रूचि रखने वाले उइके ने इससे आगे बढ़कर कुछ बड़ा करने की ठानी और वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारियों में जुट गए और कामयाबी भी प्राप्त की। उइके अब ताजिकिस्तान के दुशांबे में अपनी नई भूमिका को निभाने के लिए उत्साहित हैं। विपरीत परिस्थितियों के बीच सपनों को पूरा करने के लिए उइके का अपने लक्ष्य पर फोकस और निरंतरता युवाओं को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

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