
लखनऊ। देश में 22 जनवरी से पहले शुरू हुआ श्रीरामोत्सव आज भी अनेक रूप रंग के साथ चल रहा है। इसमें लेखन और संगोष्ठी के स्वरूप भी हैं। राष्ट्रवादी संपादक लेखक नरेंद्र भदौरिया की पुस्तक अनंत के नाविन्य संस्करण का विमोचन किया। इस अवसर पर प्रभु श्रीराम का जीवन मानव मात्र के लिए आचार संहिता विषयक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
इसमें राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के अवध प्रांत प्रचारक कौशल का मुख्य व्याख्यान हुआ। उन्होंने श्रीराम चरित मानस की चौपाइयों का उल्लेख करते हुए संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि श्रीराम तो धर्म के ही विग्रह है। वह मर्यादा पुरुषोत्तम है। उनके सभी भाई भी मर्यादा का पालन करते हैं। श्रीराम कथा में मानव जीवन की अचार संहिता है। सम्पूर्ण मानवता की समस्याओं का समाधान इससे सम्भव है। कौशल ने गोस्वामी तुलसीदास के योगदान का उल्लेख किया। जिन्होंने अवधी में श्रीरामकथा लिख लिख कर सनातन समाज को जागृत किया। श्रीराम लीला का गांव गांव तक मंचन शुरू किया। जिसमें राजा राम चंद्र की जय का उद्घोष होता था। इसका संदेश था कि भारतीय जनमानस के राजा प्रभु श्रीराम है। विदेशी आक्रांता हमारे शासक नहीं हो सकते।
श्रीराम मन्दिर तीर्थ क्षेत्र न्यास के सदस्य अनिल मिश्र ने मन्दिर निर्माण के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी। मुख्यमंत्री के सलाहाकार अवनीश अवस्थी ने फैजाबाद के जिला मजिस्ट्रेट रहते हुए अपने अनुभव साझा किए। विगत सात वर्षों के दौरान अयोध्या के नव निर्माण भव्य दीपोत्सव का उल्लेख किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यायमूर्ति के एन वर्मा ने की।