
- इंडिया गठबंधन में टिकट के लिए सपा के कुंवर अखिलेश सिंह होंगे सबसे मजबूत दावेदार!
उमेश चन्द्र त्रिपाठी/ मनोज कुमार त्रिपाठी
महराजगंज। सिब्बन लाल सक्सेना को आज भी महराजगंज की धरती एक मसीहा के तौर पर याद करती है। आजादी के बाद वर्ष 1952 में हुए पहले आम सभा चुनाव में वह पहली बार निर्दल प्रत्याशी के रूप में सांसद निर्वाचित हुए थे। बता दें कि भारत-नेपाल की सीमा पर बसे यूपी के महराजगंज लोकसभा क्षेत्र का समृद्ध प्रजातांत्रिक इतिहास रहा है। आजादी के बाद इस सीट से छह बार चुनाव जीतने का रिकार्ड भाजपा सांसद और वर्तमान केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी के नाम है। उनके पहले पूर्वांचल के गांधी के रूप में मशहूर प्रोफेसर सिब्बन लाल सक्सेना महराजगंज सीट से चार बार सांसद निर्वाचित हुए थे। हर्षवर्धन और महादेव प्रसाद दो-दो बार यहां से निर्वाचित होकर लोकसभा में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे थे।
लेकिन पिछले तीन दशक की राजनीति पर गौर करें तो विपक्ष केवल दो बार ही भाजपा के इस गढ़ में सेंध लगा पाया। छह बार के सियासी सफर में पंकज चौधरी एक बार जीत का हैट्रिक लगा चुके हैं। उनके समर्थक इस बार इसे दोहराने का दम भर रहे हैं जबकि विपक्ष बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए बिखरी ताकत को एकजुट करने की कोशिश में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा यहां अपनी साख को बरकरार रख पाएगी या फिर विपक्षी एका कोई नया गुल खिलाएगा। कभी कोशल राज्य का अंग रहे चुके इस क्षेत्र में नवाबों के दौर के पहले राजपूत राजाओं का शासन था। इस धरती का इतिहास भगवान बुद्ध के ननिहाल से भी जुड़ा है।
ब्रितानी हुकूमत के खिलाफ बगावत में जहां इस इलाके के लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सेदारी की वहीं आजादी के बाद प्रोफेसर से नेता बने स्वतन्त्रता सेनानी प्रोफेसर सिब्बन लाल सक्सेना की अगुवाई में महराजगंज की धरती ने संघर्ष का फलसफा ठीक से सीखा। आजीवन अविवाहित रहे प्रोफेसर सक्सेना जीवन भर दलितों, शोषितों के उत्थान के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने इस सीट से चार बार जीत हासिल कर एक रिकॉर्ड बनाया था जिसे मौजूदा सांसद पंकज चौधरी ने छह बार जीतकर तोड़ दिया। सिब्बन लाल सक्सेना को आज भी महराजगंज की धरती एक मसीहा के तौर पर याद करती है। आजादी के बाद वर्ष 1952 में हुए पहले आम सभा चुनाव में वह पहली बार निर्दल प्रत्याशी के रूप में सांसद निर्वाचित हुए थे। दूसरे चुनाव में भी निर्दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव में उतरे और जीत हासिल की। 1971 में भी निर्दल और अंतिम बार 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर रघुबर प्रसाद को हराकर सांसद बने। उनका निधन 20 अगस्त 1984 को हुआ।
नब्बे के दशक में भाजपा ने बनाई पैठ
1990 के बाद यहां की राजनीति में भाजपा ने पैठ बना ली। तबसे अब तक यहां हुए आठ लोकसभा चुनाव में भाजपा को छह बार जीत मिली। इस बीच एक बार कद्दावर नेता स्व. हर्षबर्धन ने कांग्रेस के टिकट पर तो एक बार कुंवर अखिलेश सिंह ने सपा के टिकट पर जीत हासिल कर भाजपा के विजय रथ को रोक दिया था। अब केन्द्र और प्रदेश में भाजपा की सरकार है और महराजगंज के सांसद पंकज चौधरी केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री हैं।
विधानसभा सीटों का गणित
महराजगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों में से तीन पर भाजपा, एक पर उसकी सहयोगी निषाद पार्टी और एक पर कांग्रेस का कब्जा है। महराजगंज सदर से भाजपा के जय मंगल कन्नौजिया, फरेंन्दा से कांग्रेस के वीरेन्द्र चौधरी, पनियरा से भाजपा के ज्ञानेन्द्र सिंह, सिसवा से भाजपा के प्रेम सागर पटेल और नौतनवां से निषाद- भाजपा गठबंधन के ऋषि त्रिपाठी वर्तमान में विधायक हैं।
सीट के जातीय समीकरण
महराजगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अन्य पिछड़ा, वर्ग (ओबीसी) की आबादी 56 प्रतिशत से अधिक है। यहां के ओबीसी समुदायों में कुर्मी-पटेल, चौरसिया,निषाद, यादव, मौर्य,चौहान,सोनार,नाई और लोहार शामिल हैं। जबकि उच्च जाति समुदाय में कुल मतदाताओं में 13 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। कायस्थ समुदाय का एक छोटा प्रतिशत भी यहां रहता है। दलित आबादी में बहुसंख्यक जाटव हैं। दलितों में हरिजन के अलावा धोबी और पासी भी शामिल हैं। मुस्लिम मतदाता भी यहां संख्यात्मक रूप से महत्वपूर्ण हैं। यहां अनुसूचित जनजाति की दो जातियां भी निवास करती हैं। महराजगंज के सांसद पंकज चौधरी कुर्मी समुदाय से हैं। पिछड़ी जाति के बड़े नेताओं में उनकी गिनती है।
2014 और 2019 के चुनाव परिणाम
साल 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के पंकज चौधरी को 4,71,542 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर बसपा के काशीनाथ शुक्ला थे। उन्हें कुल 2,31084 वोट मिले थे। सपा के कुंवर अखिलेश सिंह 2,13 974 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस के हर्षवर्धन 57,193 वोट पाकर चौथे स्थान पर थे। पंकज चौधरी ने वह चुनाव 2,40,458 मतों से जीता था। साल 2019 में पंकज चौधरी को 7,26,349 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर सपा प्रत्याशी कुंवर अखिलेश सिंह को 3,85,925 वोट मिले थे। 72,516 वोटों के साथ कांग्रेस प्रत्याशी सुप्रिया श्रीनेत तीसरे स्थान पर रहीं। कुल 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। चौथे नंबर के प्रत्याशी को छोड़ दें तो अन्य सभी को दस हजार से कम वोट मिले थे।
वैसे अगर 2024 की लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो आज भी गठबंधन प्रत्याशी के रूप में सपा के पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह की दावेदारी पूरी तरह से मजबूत है। क्योंकि पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें 3,85,925 मत मिले थे। और पार्टियों के प्रत्याशी भाजपा के पंकज चौधरी के मुकाबले कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहे थे ऐसे में अगर इंडिया गठबंधन से अखिलेश सिंह को टिकट मिला तो पंकज चौधरी को कड़ी टक्कर मिलेगी। हालांकि पिछले दिनों पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश ने पूर्वांचल किसान युनियन के नाम से एक नया संगठन बनाया है और वह महराजगंज लोकसभा क्षेत्र का धूंआधार दौरा कर रहे हैं। चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहना अभी जल्दबाजी होगी परन्तु जो आसार दिख रहे हैं लड़ाई पंकज और अखिलेश के बीच ही होगी?