देश के उन्नति के लिए “संविधान” की आवश्यकता: इं•भीमराज साहब

लखनऊ। भारतीय संविधान सम्मान समिति का द्वितीय राष्ट्रीय अधिवेशन रविवार को किशुन खेड़ा पुरैना, मोहान रोड, लखनऊ में हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में इंजीनियर भीमराज साहब ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारतीय संविधान भारत राष्ट्र का धर्म ग्रंथ है, क्योंकि पूरा राष्ट्र भारतीय संविधान पर चलता है। इसलिए भारतीय संविधान को राष्ट्र ग्रंथ भी कहा जा सकता है। अधिवेशन में जिस विषय पर चर्चा होनी है वह विषय “आज भारत का संविधान” विषय एक गंभीर विषय है। करूणा और मैत्री बुद्ध की शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसमें समता, समानता, बन्धुता, जिसका करूणा तथा मैत्री से अत्यंत निकट का संबंध है।

भारत में अथवा दुनिया में अहिंसा के रास्ते पर चल कर ही मानव का कल्याण हो सकता है। हम युद्ध से कुछ भी हासिल नहीं कर सकते हैं, हम करुणा मैत्री भाव से ही दुनिया के बहुत सारे विवाद निपटा सकते हैं। डॉक्टर अंबेडकर ने जो इस देश का संविधान बनाया संविधान में भी समता बंधुत्व मैत्री भाव का समावेश किया। आज आवश्यकता है कि हम लोग मैत्री भाव को रखें। बौद्ध धर्म में ना तो ईश्वर है, न ही आत्मा, न पुनर्जन्म, न भाग्यवाद न स्वर्ग है न नरक है। इसलिए अंधविश्वास का जन्म ही इससे नहीं हो सकता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वनाथ, उपाध्यक्ष अनुसूचित जाति वित्त निगम, भन्ते आर्य वंश, भन्ते बोधी रत्न शिव कुमार रावत, कार्यक्रम में मुख्य रूप विमला देवी, महामंत्री, डाक्टर देवेन्द्र सिंह यादव, आदि सम्मानित लोग उपस्थित रहे।

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